शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

सिर्फ़ तुम्हारे लिए

दुनिया में जीवन मिलता नहीं बार बार
पर चाहती हूं जिन्दगी सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

लफ़्ज़ लबों तक आकर थिरकते रहे
पर सी लिया है उनको सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

लोग शब्दों से छलनी करते जिगर को
सीती हूं जख्मों को सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

हमदर्दी के मायने गलत लेते हैं लोग
इस दर्द को सहती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

जहां में होता नहीं हर कोई एक जैसा
समझाती हूं मन को सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

फ़ूलों के संग होते कांटे भी बहुत ही
बीनती हूं उनको सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

वक्त हर घाव को भरता नहीं
फ़िर भी मलहम लगाती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

राहों में आती हैं मुश्किलें बहुत सी
उनसे लड़ती हूं मैं बस तुम्हारे लिये।

अश्क आंखों से न गिरने पाये जमीं पे
समेटती हूं आंचल में पहले से ही सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

लहर गमों की जो आये तुम्हारी तरफ़
बन सागर समा लूंगी उन्हें सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

पीना पड़ेगा अगर ज़हर भी कभी
पी लूंगी अमृत समझ सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

रहेगी जब तलक जिन्दगानी मेरी
जीऊंगी मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिये।
0000पूनम

25 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

पीना पड़ेगा अगर ज़हर भी कभी
पी लूंगी अमृत समझ सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

रहेगी जब तलक जिन्दगानी मेरी
जीऊंगी मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिये।


-सुन्दर समर्पण भाव!!

sweet_dream ने कहा…

बहुत सुन्दर पूनम जी

मन को छलनी करती कविता

मन के भावों को पढ़ती कविता

मन जब भी घबराए कविता

मन चंचल हो तो कविता

चाँद पूनम का हो तो कविता

झरोखे से झांकती वो सुन्दर आँखे

लिख दो उन पे भी तुम कविता

जहान ने कहा…

bahut hi khoobsurat . kuchh aisa
" na mil sake tere pak daman mai khushi ke do pal mujhe-
teri ruswiyon ka mai khud hi farman liye jati hun" apni kavita ke liye meri mubarakbad swikar karain.

M VERMA ने कहा…

समर्पित एहसास की खूबसूरत छटा.
बहुत सुन्दर

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

फ़ूलों के संग होते कांटे भी बहुत ही
बीनती हूं उनको सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

रहेगी जब तलक जिन्दगानी मेरी
जीऊंगी मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

- प्यार भरा समर्पण!!

निर्मला कपिला ने कहा…

फ़ूलों के संग होते कांटे भी बहुत ही
बीनती हूं उनको सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

रहेगी जब तलक जिन्दगानी मेरी
जीऊंगी मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

बौत् सुन्दर समर्पित भाव लिये कविता बधाई और शुभकामनायें

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पीना पड़ेगा अगर ज़हर भी कभी
पी लूंगी अमृत समझ सिर्फ़ तुम्हारे लिये।


वाह , ज़बरदस्त समर्पण है...

खूबसूरत रचना..बधाई

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

. ... ... सिर्फ़ तुम्हारे लिए!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वक्त हर घाव को भरता नहीं
फ़िर भी मलहम लगाती हूं सिर्फ़ तुम्हारे लिये।
ise pyaar kahte hain

दिगम्बर नासवा ने कहा…

SAMARPAN KA GAHRA BHAAV LIYE HAI AAPKI RACHNA ... BAHOOT KHOOB

Meenu Khare ने कहा…

खूबसूरत रचना..बधाई

अजय कुमार ने कहा…

pyar ke liye itna samarpan.
sundar bhaav

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पीना पड़ेगा अगर ज़हर भी कभी
पी लूंगी अमृत समझ सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

रहेगी जब तलक जिन्दगानी मेरी
जीऊंगी मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

समर्पण की इस भावना को सलाम!

Aman Tripathi ने कहा…

अश्क आंखों से न गिरने पाये जमीं पे
समेटती हूं आंचल में पहले से ही सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

अश्कों को आँचल में समेटना - जितना सुन्दर भाव उतनी ही सुन्दर अभिव्यक्ति!

निर्मल सिद्धु - हिन्दी राइटर्स गिल्ड ने कहा…

सिर्फ़ तुम्हारे लिये

समर्पण की भावना से ओत-प्रोत एक अति सुन्दर रचना, बधाई हो

ज्योति सिंह ने कहा…

poori rachana sundar bhav liye huye .happy diwali .

Pramod Kumar Kush 'tanha' ने कहा…

लफ़्ज़ लबों तक आकर थिरकते रहे
पर सी लिया है उनको सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

bahut achchha likhtii hein aap...

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

रहेगी जब तलक जिन्दगानी मेरी
जीऊंगी मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

बहुत सुन्दर

sandhyagupta ने कहा…

Dipawali ki dheron shubkamnayen.

Reetika ने कहा…

isi samarpan se rishton ko zindgai milti hai !

आशु ने कहा…

पूनम जी,
लफ़्ज़ लबों तक आकर थिरकते रहे
पर सी लिया है उनको सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

लोग शब्दों से छलनी करते जिगर को
सीती हूं जख्मों को सिर्फ़ तुम्हारे लिये।

बहुत ही सुन्दर और मन को छो लेने वाली रचना लिखने के लिए आप को बहु बधाई!!

आशु

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

bahut sundar rachana hai...

Nidhi ने कहा…

सुन्दर भावाभिव्यक्ति!!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन।

सादर

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut dino baad apka padhne ko mila lekin is bar bahut bahut sunder likha hai..

badhayi.