जला जला कर खुद को,खाक करते हैं क्यों
ज़िन्दगी अनमोल खज़ाना,जीना तो सीख लें।
देख कर औरों की खुशियाँ,कुढ़ते हैं क्यों
गैरों की खुशी में भी, हँसना तो सीख ले॥
रास्ते मंज़िलों के आसान ढ़ूँढ़ते हैं क्यों
मुश्किलों का सामना करना तो सीख लें।
छूने को ऊँचाई आकाश की कोशिश तो करें ज़रूर
पर पहले पाँव को ज़मीं पे जमाना तो सीख लें।
अपने को गैरों से ऊँचा समझते हैं क्यों
एक बार खुद को भी आँकना तो सीख लें।
तकदीर को ही हर कदम पर कोसते हैं क्यों
रह गई कमी कहाँ जानना तो सीख लें।
करके भरोसा दूसरों पर पछताते हैं क्यों
बस हौसला बुलंद करना खुद का तो सीख लें।
ज़िन्दगी का नाम सिर्फ़ पाना ही क्यों
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लें।
000
पूनम
36 टिप्पणियां:
छूने को ऊँचाई आकाश की कोशिश तो करें ज़रूर
पर पहले पाँव को ज़मीं पे जमाना तो सीख लें।
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बहुत शिक्षाप्रद पंक्तियाँ लिखी आपने.....
अच्छी लगी आपकी प्रेरणादायी रचना
... bahut sundar ... shaandaar !
आपकी कबिता तो बहुत भाव पूर्ण तथा शिक्षा प्रद होने क़े साथ-साथ अपने ब्लॉग की संरचना भी बहुत सुन्दर की है इतनी अच्छी कबिता लिखने क़े लिए भगवान आपको मेधावी बनाये रखे जिससे इस प्रकार की कबिता हमलोगों को पढने को मिलती रहे ,सुन्दर रचना क़े लिए बहुत- बहुत धन्यवाद.
अत्यंत प्रेरक रचना पूनम जी ।
वाह ! बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति.. अगर हम इतना कुछ सीख लें तो धरती तो स्वर्ग बन जाएगी...
सुनहरी यादें ....
poonam.......sunder sandesh detee rachana...bahut pasand aaee.........
tumhe to malum hee hai ki mai sadaiv hee sarthak aur sakaratmak lekhan me hee vishvas rakhtee hoo...........
bahut hee sunder rachana ke liye badhaee..........
पूरी रचना में बेहतरीन सन्देश है ।
देख कर औरों की खुशियाँ,कुढ़ते हैं क्यों
गैरों की खुशी में भी, हँसना तो सीख ले॥
-संदेशात्मक गीत...बहुत उम्दा सीख. आभार.
आपने बहुत ही उम्दा रचना लिखी है!
बहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,
nai post Apna Ghar par swagat hai..
बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद पंक्तियाँ है ...
प्रेरक और सन्देशप्रद गजल के लिए आभार।
जिन्दगी पाने के लिये कितना कुछ खोना पड़ता है।
इस नसीहत भरी रचना की सभी नसीहतें अनुकरणीय हैं |
सुन्दर संदेश देती प्रेरणास्पद कविता।
ज़िन्दगी का नाम सिर्फ़ पाना ही क्यों
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लें।
waah bahut sahi
प्रेरक और बहुत संदेशप्रद रचना!बहुत अच्छी प्रस्तुति।
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!
बहुत सुंदर संदेश देती आप की यह कविता, धन्यवाद
करके भरोसा दूसरों पर पछताते हैं क्यों
बस हौसला बुलंद करना खुद का तो सीख लें
बहुत सुन्दर सन्देश देती अच्छी रचना ....
अपने को गैरों से ऊँचा समझते हैं क्यों
एक बार खुद को भी आँकना तो सीख लें ...
बहुत ज़रूरी है अपनी क्षमताओं को पहचानना ....
अच्छी रचना है ...
बड़ी अच्छी सीख दी है आपने।
Bahut Khoob Kahaa
करके भरोसा दूसरों पर पछताते हैं क्यों
बस हौसला बुलंद करना खुद का तो सीख लें।
ज़िन्दगी का नाम सिर्फ़ पाना ही क्यों
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लें।
....
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
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बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सुन्दर कविता ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
har pankti zazbe se bhari hai aur aakhiri had tak junu si hai..beautiful
ज़िन्दगी का नाम सिर्फ़ पाना ही क्यों
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लें।
बहुत ही प्रेरणादायी प्रस्तुति.
बस हौसला बुलंद करना खुद का तो सीख लें।
ज़िन्दगी का नाम सिर्फ़ पाना ही क्यों
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लें।
bahut sunder .
मोर की तरह ख़ूबसूरत और सन्देश देती हुई शानदार रचना लिखा है आपने! आपकी लेखनी को सलाम!
अच्छा लिखा है जी.
Kavita ki pratyek pankti haqiqat bayan kar rahi hai. jaisi aapne kamna ki hai sabhi manney lagen to swarg ka aabhas yahin ho jayega ,isliye log nahi mantey. Logon ka swarg to kahi aur hai .
छूने को ऊँचाई आकाश की कोशिश तो करें ज़रूर
पर पहले पाँव को ज़मीं पे जमाना तो सीख लें।
वाह वाह पूनम जी बहुत सुंदर जीवन दर्शन । अानंदित कर गई आपकी ये कविता ।
हंसना तो सीख लें ,जीना तो सीख लें ,जमीन पर पांव जम जाने के बाद ही आसमान को छूने की कोशिश की जानी चाहिये ।गैरों से अपने को उंचा समझने की ही तो बीमारी है जो बढती चली जारही है। हौसला बुलंद करना और सब्र करना आगया उसे जीना आगया । बहुत सुन्दर रचना
दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!
ज़िन्दगी का नाम सिर्फ़ पाना ही क्यों
खोना भी पड़ता है बहुत,सब्र करना तो सीख लें
बहुत अच्छी रचना है. दशहरा की हार्दिक बधाई .
कुँवर कुसुमेश
समय हो तो कृपया ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com पर मेरी नई पोस्ट देखें.
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति बेहतरीन सन्देश
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