शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

नन्हें सपने



गोबर से सने हाथों से

वो

फ़र्श को हैं लीपते

बड़ी तल्लीनता के साथ

नन्हें नन्हें हाथो को

वो चलाते

पर बीच बीच में

बेचैन हो उठते

पास के स्कूल से आती

बच्चों की आवाजें

घूमती हसरत भरी निगाहों से

उधर को वह देखते।

मन में नन्हें विचार पनपते

पर वह मन मसोस रह जाते

मन के सपनों मन में दबाये

फ़िर से अपने

काम में जुट जाते।

मां की आवाज पे दौड़े चले आते

मां की डांट

आंखों में आंसू है लाते

पर वो जुबान से न कुछ कह पाते

नन्हीं उंगलियों से फ़र्श को कुरेदते

मां की डांट कानों में पड़ती

पर उनके कानों में और

ही आवाजें हैं घूमती।

जो थीं बच्चों के पढ़ने की आवाजें

और फ़िर मन में

बस वो यही सोचते

क्या वह दिन कभी

उनके जीवन में आयेगा

जिससे वो अपने सपने साकार करेंगे।

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पूनम

28 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

कविता में एक आशावाद है, जो प्रभावित करता है।

केवल राम ने कहा…

मन में नन्हें विचार पनपते
पर वह मन मसोस रह जाते
मन के सपनों मन में दबाये
फ़िर से अपने
काम में जुट जाते।

बड़ी संवेदना से आपने अपने विचारों को अभिव्यक्त किया है ..नन्हें सपने हर किसी के जीवन में पलते हैं लेकिन वह जीवन खुशनसीब होते हैं जिनके सपने हकीकत में बदल जाते हैं ..इस कविता में आशावाद कि झलक दिखाई पड़ती है और दूसरी तरफ मन को मसोसना भी खलता है अधूरेपन के अहसास के लिए ..आपका आभार

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

संवेदनशील ...यथार्थ.... बहुत बढ़िया....

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति...धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एक न एक दिन सपने साकार होंगे।

बेनामी ने कहा…

जो थीं बच्चों के पढ़ने की आवाजे !!!
पूनम जी ! बच्चों के आज भी विद्यालय न जा पानेकी विवशतासमाज के माथे पर कलंक है !इस जनगड़ना के अनुसार इसी उम्र की लडकियों की संख्या कम है|
जिसके कारण स्त्री पुरुष का अनुपात बिगड़ रहा है !इस विषय को उठाने के लिए बधाई !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

wah din zarur aayega jab sare sapne saakar ho uthenge

सदा ने कहा…

आपकी इस रचना में जो एक उम्‍मीद है वह जरूर पूरी होगी ...शुभकामनाएं ।

Kailash Sharma ने कहा…

नन्हें नन्हें हाथो को

वो चलाते

पर बीच बीच में

बेचैन हो उठते

पास के स्कूल से आती

बच्चों की आवाजें

घूमती हसरत भरी निगाहों से

उधर को वह देखते....

...बहुत ही मर्मस्पर्शी ...यह ही आज का यथार्थ है कि गरीब के सपने केवल मन में दबे रह जाते हैं...यही आशा है कि कभी उनके सपने भी यथार्थ में परिणत हों..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..आभार

Minoo Bhagia ने कहा…

marmsparshi rachna likhi hai poonam

Kunwar Kusumesh ने कहा…

Congrats on INDIAS CRICKET WORLD CUP VICTORY.

रचना दीक्षित ने कहा…

गरीब का सच आज भी वही है, मर्मस्पर्शी और बेहद संवेदनशील. लेकिन कविता में आशाबाद भी झलकता है और लगता है कि उम्मीद कि किरण अभी कहीं बाकी. सुंदर कविता के लिए बधाई.

mridula pradhan ने कहा…

क्या वह दिन कभी
उनके जीवन में आयेगा
जिससे वो अपने सपने साकार करेंगे।
zaroor......ummeed hi to zinda rakhti hai.

Apanatva ने कहा…

aaj jagrukta kee aavshykta hai.....
shiksha bacche ka janm siddh adhikar hai......
sarkar bhee ise aur kafee kadam utha rahee hai aise me hum sabhee nagriko ka farz banta hai poora sahyog de.......apana kuch samay unhe shikshit karne me diya ja sakta hai....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बच्चों कि पढने की ललक ज़रूर पूरी होगी ..और उनके सपने भी साकार होंगे ...अच्छा चिंतन- मंथन

ashish ने कहा…

सुन्दर भावों को अपने सशक्त शब्द दिये , उम्मीद है जल्दी ही हमारे देश का हर भावी कर्णधार शिक्षित होगा मुख्य रूप बालिकाएं .

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

jangadna ke aankde aa gaye hain jo bacchon ki shiksha ke acchhe aankde darshate hain.umeed hai aage bhi aapki, ham sab ki aashao ka path raushan hoga. sunder rachna.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हिम्मत और संघर्ष करना पड़ेगा ... सफलता ज़रूर मिलेगी ...

वाणी गीत ने कहा…

एक दिन उनका भी होगा खुला आसमान ...
तपने दीजिये जीवन की धूप में !
सुन्दर अभिव्यक्ति !

Vivek Jain ने कहा…

बहुत बढ़िया....

Vivek Jain vivj2000.blogspot.com

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

संवेदनशील अभिव्यक्ति .......

ज्योति सिंह ने कहा…

मन में नन्हें विचार पनपते
पर वह मन मसोस रह जाते
मन के सपनों मन में दबाये
फ़िर से अपने
काम में जुट जाते।
jeevan ki ek sachchai ,jise aapne badi hi sundarata se apne shabdo me utara ,jindagi kaisi hai paheli haaye.......ye sawaal har toote sapne ke aage uttha hai .phir bhi aas ko paas baitha hi lete hai .ati sundar .

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

क्या वह दिन कभी उनके जीवन में आयेगा जिससे वो अपने सपने साकार करेंगे ?

आपकी - हमारी दुआओं और प्रयासों से अवश्य वह दिन आएगा ………
बहुत भाव पूर्ण लिखा है आपने …!

आदरणीया पूनम जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

अच्छी रचना के लिए आभार !

नवरात्रि की शुभकामनाएं !

साथ ही…

*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*

नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!

चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!


- राजेन्द्र स्वर्णकार

Parul kanani ने कहा…

kahin tak man ke aas-paas hai/

सहज साहित्य ने कहा…

पूनम जी आपने बच्चों के स्कूल न जाने की विवशता का बड़ी सूक्ष्मता से चित्रण किया है । सर्व शिक्षा का अभियान तो चला है , पर उसका अधिकतर काम आंकड़ों तक सिमटकर रह गया तो इन बच्चों के सपनों पर और ग्रहण लग जाएगा । उत्तम रचना !

Sunil Kumar ने कहा…

मन में नन्हें विचार पनपते
पर वह मन मसोस रह जाते
मन के सपनों मन में दबाये
फ़िर से अपने
काम में जुट जाते।
संवेदनशील अभिव्यक्ति .....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

पूनम जी, बहुत कोमल भावों को जिस आशावाद के साथ आपने प्रस्तुत किया है वह आपकी संवेदनशीलता को दर्शाता है!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर भावों को अपने सशक्त शब्द दिये