गुरुवार, 7 जुलाई 2011

घर से------


कितनी बातें

कितनी यादें

जुड़ी हुई सब

इस घर से।

कितने किस्से

कथा कहानी

जुड़ी हुई सब

इस घर से।

कुछ सुख के

कुछ दुःख के

भी पल

जुड़े हुये सब

इस घर से।

घूंघट भीतर

तिरछी चितवन

चेहरे पर

फ़ूलों की शोखी

जुड़े हुये सब

इस घर से।

भोर की बेला

रुनझुन पायल

शंख नगाड़े

मंदिर पूजा

जुड़े हुये सब

इस घर से।

अब क्यूं सूने

लगते कमरे

खोये गीत

कहां घर से।

उगेगा कोई

सूर्य सुनहरा

पूरी आभा

लेकर अपनी

शायद जल्दी

इस घर से।

कितनी बातें

कितनी यादें

जुड़ी हुई सब

इस घर से।

000

पूनम

42 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बहुत ही सुन्दरता से जुड़े हैं आप ||

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Sach hai Anginat yaden aur baaten judi hoti hain ghar se..... Bahut Sunder

amit kumar srivastava ने कहा…

घर तो दिल में घर कर गया ।

सच ही तो है...

shikha varshney ने कहा…

सब कुछ तो जुड़ा होता है घर से ही.
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

Roshi ने कहा…

GHAR KAR GAYE AAPKI KAVITA

Rakesh Kumar ने कहा…

आपके झरोखे से आपके अपूर्व घर में
झाँखा तो दिल में घर गया यह घर.

आपकी प्रस्तुति अनुपम और भावपूर्ण है.
क्या ही शोख अभिव्यक्ति है

'घूंघट भीतर तिरछी चितवन
चेहरे पर फ़ूलों की शोखी
जुड़े हुये सब इस घर से।'

बहुत बहुत आभार.

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

घर ही तो सबकुछ है....बहुत ही सुंदर लिखा है।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

पूनम!
छोटे छोटे छंदों से सजी यह कविता ऐसी लग रही है मानो तिनका तिनका जोडकर एक घरौंदा या एक एक पत्थर सजाकर महल बनाया हो.. ख़ूबसूरत है वह घर जहां बेटियाँ खेलती हैं!!

Shalini kaushik ने कहा…

इस घर से।


कितनी बातें

कितनी यादें

जुड़ी हुई सब

इस घर से।
bahut sahi kaha

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

स्मृतियों के नन्हे-नन्हें मोतियों की सुंदर माला .

मनोज कुमार ने कहा…

आपकी यह कविता मुझे बहुत अच्छी लगी।

Sunil Kumar ने कहा…

पूनम जी ( संबोधन और अभिवादन यथा योग्य ) इस रचना में सब कुछ जुड़ा हुआ है घर से यह जानकर ख़ुशी हुई | क्योंकि घर में ही यादों केघर होते है | अच्छी रचना , बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यादों का अम्बार है,
यह जो घर द्वार है।

Suman ने कहा…

bahut sunder bhav hai rachna me ....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आती हैं आवाज़ कई इस घर से .... जो जुड़ी हैं मेरे मन के घर से

ashish ने कहा…

सुँदर घर द्वार , सुँदर भाव और ह्रदय स्पर्शी रचना.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

कितनी बातें

कितनी यादें

जुड़ी हुई सब

इस घर से।

सच में पूनम जी ये कविता को मन को छू गई। विषय को जिस तरह से आपने शुरू करके अंजाम तक पहुंचाया है, वाकई तारीफ के काबिल है।
लेकिन आप अपने इस घर ( झरोखा) मे जरा जल्दी जल्दी बुलाया कीजिए। काफी दिनों बाद आपकी ये रचना आई है।
बहुत सुंदर,

आभार

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

कितनी बातें

कितनी यादें

जुड़ी हुई सब

इस घर से।

सच में पूनम जी ये कविता को मन को छू गई। विषय को जिस तरह से आपने शुरू करके अंजाम तक पहुंचाया है, वाकई तारीफ के काबिल है।
लेकिन आप अपने इस घर ( झरोखा) मे जरा जल्दी जल्दी बुलाया कीजिए। काफी दिनों बाद आपकी ये रचना आई है।
बहुत सुंदर,

आभार

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

chhote chote shabd
par har shabd kuch kahta hai..
bahut pyari si rachna...poonam jee!

कविता रावत ने कहा…

Ghar yaadon ka khajana hai...
bahut badiya prastuti..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया!
--
बात-बात में हो जाती हैं
देखो कितनी सारी बातें!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

क्या पता तुम जैसा ही कोइ जल्द आ जाये.

सुन्दर पोस्ट.

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब

Minoo Bhagia ने कहा…

ghar to ghar hota hai poonam , pakshi bhi thak haar kar aakhir ghar ko hi jaate hain

केवल राम ने कहा…

यह यादें हैं यादों का क्या ....जीवन जहाँ शांति से बीत जाये ....बस वही हमारा घर है .....!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

घाट से शुरू हो कर घर पे खत्म यादों/बातों और सब सिलसिले .. लाजवाब कविता है ..

अजय कुमार ने कहा…

घर तो यादों का जखीरा है

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय पूनम जी
नमस्कार !
......दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
सुँदर भाव और ह्रदय स्पर्शी रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

 अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA ने कहा…

"घूंघट भीतर
तिरछी चितवन
चेहरे पर
फ़ूलों की शोखी."

घर व उससे जुड़े ख्याल दोनों खूबसूरत !

mridula pradhan ने कहा…

ghar se judi har baat achchi lagi.....

G.N.SHAW ने कहा…

पूनम जी यही तो घर की खासियत है ! सुन्दर और सुब्यावस्थित इसके प्राणी और नारी ! अतिसुन्दर कविता ! इसके आगे और कुछ लिखे ?

Rachana ने कहा…

रुनझुन पायल

शंख नगाड़े

मंदिर पूजा

जुड़े हुये सब

इस घर से।

अब क्यूं सूने

लगते कमरे

खोये गीत

कहां घर से।
bahut sunder ghr se aesi hi bahut si baten judi hoti hai.aapne sabhi ke man ki baat kah di
rachana

SHAYARI PAGE ने कहा…

अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर
आकर

sm ने कहा…

beautiful poem
connected with this home

SAJAN.AAWARA ने कहा…

ghar hai yaadon ka khajana,sham ko lout ke humko wapas ghar hi hai ana,,,,,,,,,,,bahut achi lagi apki ye rachna.....
exam ke karan kafi dino baad aaya hun.....
jai hind jai bharat

Amrita Tanmay ने कहा…

Sundar ghar sa hi sundar rachana , shubhkamana

Vivek Jain ने कहा…

छोटे छोटे शब्द, सुंदर भाव, सुंदर कविता,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Jyoti Mishra ने कहा…

fantastically written..
Simply awesome
2 words each line... creatively summed up.

Regards

Nirantar ने कहा…

sundar bhaav

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अपूर्व रचना.... वाह! सुन्दर....
सादर बधाई...

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

ghar se puri zindagi judi hoti hai. sundar rachna. badhai.