राह चलते एक मुलाकात हुई
वो फ़िर वो चलते चलते
दोस्ती में बदल गई।
पता नहीं तुमने मुझमें
क्या देखा
जो अचानक ही मेरा हाथ
पकड़ लिया
और मैं भी तुम्हारा हाथ
थाम कर आगे
मंजिल की तरफ़
बढ़ने लगी।
पर
एक दिन हाई सोसायटी
गर्ल से हुयी
तुम्हारी मुलाकात से
न जाने क्यों तुम
मुझसे कतराने लगे
मेरी खूबियां जो तुम्हें
बहुत भाती थीं
वो तुम्हारी नजर
में कमियां नजर आने लगीं।
तुम्हारी नजरों में मैं
अब पुराने संस्कारों के
बंधन में जकड़ी
परंपराओं से जुड़ने वाली
लड़की नहीं
एक मिडिल क्लास की
लड़की लगने लगी
जो तुम्हारे साथ
बियर बार में बैठकर
हाथ में बियर ग्लास लेकर
चियर्स नही कर सकती थी।
न क्लबों में गैरों की
कमर में हाथ डाले
फ़्लोर पर डांस
कर सकती थी
और न ही
देर रात डिनर पर
तुम्हारे दोस्तों के
अश्लील मजाकों का
लुत्फ़ उठा सकती थी।
फ़िर तुमने बीच राह
में ही छोड़ दिया मेरा हाथ
अच्छा ही किया
क्योंकि मैं अपने बुजुर्गों के
संस्कारों में पली बढ़ी
स्वाभिमानी लड़की थी
जो वो सब नहीं कर सकती थी
जैसा तुम चाहते थे।
पर तुमने मुझे
मेरी भावनाओं को
तनिक भी
समझने की कोशिश नहीं की
संस्कारों में पली लड़की
अपने पुराने संस्कारों के
साथ चलते हुये भी
नये जमाने की
विषम परिस्थितियों को
भी बखूबी अपने अनुरूप
ढाल सकती थी।
क्योंकि ये संस्कार ही
हमें आगे परिस्थितियों से
जूझना और आगे बढ़ने की
हिम्मत देते हैं।
मैं भी आगे बढ़ूंगी
जरूर पर अपना आत्मसम्मान
स्वाभिमान बेच कर नहीं
क्योंकि मैं एक
मिडिल क्लास लड़की हूं।
0000
पूनम
48 टिप्पणियां:
सुंदर सशक्त अभिव्यक्ति....बहुत गहरी बात कहती रचना
bahut geeeeehre bhav,sarthak rachna
स्वाभिमान और संस्कार बहुत बड़ी चीज़ है जी, इससे जीवन में क्लास आता है, ... फ़र्स्ट क्लास!! चाहे वह मिडल क्लास का हो या हाइयेस्ट क्लास का!!
अब संस्कार मिडिल क्लास के पास ही तो बचे हैं ... अच्छी प्रस्तुति
स्वाभिमान और संस्कार बेचकर या गिरवी रखकर यदि "क्लासोन्नति" (मिडिल से हाई क्लास) मिलती है तो धिक्कार है उसपर!!
पूनम बहन बहुत अच्छी सीख!!
सुन्दर रचना , बहुत सुन्दर भाव
बढ़िया अभिव्यक्ति मगर नैतिक मूल्यों की समझ वाले यहाँ कम हैं.....शुभकामनायें !
मैं भी आगे बढ़ूंगी
जरूर पर अपना आत्मसम्मान
स्वाभिमान बेच कर नहीं
क्योंकि मैं एक
मिडिल क्लास लड़की हूं।
आपने 'आत्सम्मान' का गौरव बढाती सुन्दर प्रस्तुति की है.
स्वाभिमान और संस्कार ही हमारी पूँजी हैं,जिनको सद् विवेक के साथ हमे सदा सुरक्षित रखना चाहिये.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आप अभी तक भी नहीं आयीं हैं.
सब कुशल मंगल है न पूनम जी.
आदरणीय पूनम जी
नमस्कार !
बहुत ही सुंदर ....सशक्त अभिव्यक्ति
बेहद खूबसूरत आपकी लेखनी का बेसब्री से इंतज़ार रहता है, शब्दों से मन झंझावत से भर जाता है यही तो है कलम का जादू बधाई
स्वाभिमान और आत्मसम्मान सिर्फ मिडिल क्लास के पास ही बचा है तो यही सही , आत्मा पर बोझ लेकर चलना ठीक भी नहीं ...
नए ज़माने में तालमेल बैठाने के लिए बेशर्मी और संस्कृति को बिसरा देना हरगिज जरुरी नहीं
यही उत्साह बना रहे ...
सरल शब्दों में सुन्दर सार्थक सन्देश !
बहुत बढ़िया !
वो लड़की "मिडिल क्लास" नही बल्कि "क्लास" है....
zamana badal gaya hai poonam ,
kise achhe lagte hain sanskar aajkal,
kavita bahut achhi hai
आत्मसम्मान हो जहाँ ... दरअसल वही है ख़ास... हाई सोसाइटी तो दिमागी फितूर है
मिडिल क्लास बने रहना ठीक है, बहकने से कहीं अच्छा है।
इंसान वह है जो हाथ थाम कर न छोड़े वर्ना तो वह केवल एक बरसाती मेंढक है।
आप क्या जानते हैं हिंदी ब्लॉगिंग की मेंढक शैली के बारे में ? Frogs online
पूनम दीदी....अच्छा लिखा....वैसे मै इसे अच्छा या बहुत अच्छा कह सकने की छ्मता नहीं रखता हूँ....पर मुझे अवश्य अच्छा लगा.....मन की बात आपने प्रस्तुत की.....ये बाते बहुतों के मन में होंगी पर उसे व्यक्त करने की कला सबमे नहीं होती......आपमें है......दिखी........अति सुन्दर रचना.......धन्यवाद दीदी.....
bhut accha likha hai
balki ek sacchai se rubru karaya hai aapne
www.pksharma1.blogspot.com
bhut accha likha hai
balki ek sacchai se rubru karaya hai aapne
इस मिडिल क्लास लड़की के स्वाभिमान भरे कलाम को सलाम....
मिडिल क्लास या क्लास ????/
सुन्दर अभिव्यक्त
बधाई
आतीत और वर्तमान को आपने बहुत मार्मिकता से अभिव्यक्त किया है एक लड़की और लड़के के प्रेम के माध्यम से .....और आज के कटु सत्य को उजागर करती आपकी यह रचना ......आपका आभार
वाकई बहुत सुंदर रचना है।
कई सवाल है, जिस पर सोचना होगा
sundar rachna. badhai
मैं भी आगे बढ़ूंगी
जरूर पर अपना आत्मसम्मान
स्वाभिमान बेच कर नहीं
क्योंकि मैं एक
मिडिल क्लास लड़की हूं।
....sach apna aatmsmman banaye rakhkar aage badhna hi sachee arthon mein unnatti hai...
ek middle class sanskaarvan ladki ka bahut hi achha sajeev chitran kiya hai aapne..
Saarthak prastuti ke liye aabhar!
वाह पूनम जी जितनी तारीफ़ की जाये कम है।
एक बेहद सशक्त और सार्थक रचना सुन्दर संदेश देती है……………बेहद प्रशंसनीय्।
बदलते ज़माने का बदलता रूप बहुत अच्छे से दर्शाया है आपने . मेरे ब्लॉग पर भी आइयेगा मुझे ख़ुशी होगी .
अक्षय-मन
मैं भी आगे बढ़ूंगी जरूर पर अपना आत्मसम्मान स्वाभिमान बेच कर नहीं
वाह! यह है आत्मविश्वास!अभाव हो सकता है,अधार मजबूत है! सुन्दर बात शसक्त अभिव्यक्ति!
sach kaha aapne sanskar hame zindgi jeena sikhate hai.
bahut acchhi abhivyakti.
"क्योंकि ये संस्कार ही
हमें आगे परिस्थितियों से
जूझना और आगे बढ़ने की
हिम्मत देते हैं।
मैं भी आगे बढ़ूंगी
जरूर पर अपना आत्मसम्मान
स्वाभिमान बेच कर नहीं"
मुझे इसमें तनिक या कहूँ लेशमात्र भी संदेह नहीं - आपकी रचना के पात्र को हार्दिक शुभकामनाएं और आशीष. इस रचना के लिए आपको साधुवाद.
Bahut sarthak aur sashakt abhivyakti......
Hemant
बेहतरीन।
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
स्वार्थी लोगो के पास संस्कार का अभाव होता है ! द्वन्द पूर्ण कविता
kavita sunder lagi
sateek kavita.....jhan sanskar ho vahi high class hai .....
सटीक एवं सार्थक लेखन के लिये आपका आभार ।
bahut gehre bhav abhivyakr kiye aapne
poonam ji,
sach me bahut sunder rachna hai..........
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
पूनम जी
इस संस्कारवान सभ्य "मिडिल क्लास लड़की" को मेरा नमन है !
आपने हमेशा कविता में निर्मल-निश्छल-पावन हृदय की कोमल भावनाओं को बिना लाग-लपेट के प्रस्तुत किया है ।
… और इस ईमानदार लेखन से कोई बेईमान ही प्रभावित नहीं होगा … :)
मैं भी आगे बढ़ूंगी जरूर
पर
अपना आत्मसम्मान स्वाभिमान बेच कर नहीं !
आप अवश्य ही अपने निश्चय में सफल हैं … और सदैव रहेंगी ।
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! सुन्दर सन्देश देती हुई लाजवाब प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
इस हाई क्लास से तो वो मिडिल क्लास ही बेहतर है. बहुत ही बढ़िया, और सुन्दर अभिव्यक्ति. भारतीय संस्कारी समाज के लिए आदर्श रचना. धन्यवाद
पूनम जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
क्या बात है,बहुत गहरी बात कहती रचना,
बधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
bahut badhiya prastuti .....
संस्कारों से जुडी भारतीय मानसिकता को बहुत सुन्दत ढंग से परिभाषित किया है आपने
सशक्त सुंदर अभिव्यक्ति...
मैं भी आगे बढ़ूंगी
जरूर पर अपना आत्मसम्मान
स्वाभिमान बेच कर नहीं
क्योंकि मैं एक
मिडिल क्लास लड़की हूं।
sundar likha hai ,swatantrata divas ki badhai aapko .
Happy Independence Day.
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