किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
गम के आंसुओं में मत डुबाओ किसी को इस कदर
कहीं इक दिन तुम्हारा भी दामन न उसमें तर जाये।
मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।
किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो
कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।
बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
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पूनम
49 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर..........बेहतरीन...बड़े दिनों के बाद..कहा थी आप....हमे तो आपकी रचनाओं का इंतजार था।
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
bahut sahi kaha ... aur bahut achha likha hai
मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।
आपने जीवन के उस सत्य को उद्घाटित करने का प्रयास किया है ..जिसकी तलाश में इंसान हमेशा रहता है .....और जो इंसान इन बातों से उपर उठ जाता है सही मायने में वो इन पंक्तियों का मतलब समझ जाता है ...बहुत सुंदर भाव ...आपका शुक्रिया
bahut hi gahre ehsah hai........ sunder prastuti.
बहुत सुंदर पूनम जी ....संवेदनशील पंक्तियाँ.... जो एक सुंदर बात सिखाती हैं.... आभार
पूनम जी! वाह क्या विचार सुमन दिया है आपने, अगर कुछ कह पाऊँ तो कबीर से उधार लेके बस इतना कि:
"कबिरा गर्व न कीजीये कभहु न हंसिये कोय,
अबहिं तो नाव समुन्दरहि को जाने का होय!"
बहुत ही बढ़िया सन्देश.
शुभ कामनाएं
आदरणीय पूनम जी..
नमस्कार
किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये। बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
...संवेदनशील पंक्तियाँ बहुत सुंदर भाव आपका शुक्रिया
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
इधर स्वास्थ्य की गड़बड़ी के कारण मैं न तो कम्प्युटर पर काम कर पा रही थी न ही किसी ब्लाग पर आ पा रही थी। इस अनुपस्थिति के लिये मैं क्षमा प्रार्थी हूं। आप लोग मेरे ब्लाग पर आये इसके लिये मैं आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा कर रही हूं। अब मैं धीरे धीरे पुनः आप सभी के ब्लाग पर पहुंचूंगी। पूनम
बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
प्रेम के रस में सराबोर जीवन के सत्य को पहचानने की अनूठी कोशिश. सुंदर कविता के लिए शत शत बधाइयाँ.
पूनम जी आपके अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना. आपकी ब्लॉग पर अनुपस्थिति बिलकुल बरदास्त नहीं. आगे बीमार होने का प्रयास भी न करें.
जो आप बोते हैं वही काटते हैं, जैसा देते हैं वैसा ही पाते हैं.. यही सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना.. धन्यवाद पूनम जी!!
किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार।
वाह जी बहुत सुंदर लगी आप की यह विचारो भरी रचना धन्यवाद
बहुत सुंदर सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना| धन्यवाद |
मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।
किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो
कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।
बहुत सुंदर भाव .आपका शुक्रिया
ॐ कश्यप में ब्लॉग जगत में नया हूँ
कृपया आप मेरा मार्ग दर्शन करे
धन्यवाद
http://unluckyblackstar.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया है आपने इस अभिव्यक्ति को ...बेहतरीन ।
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
-सच कहा!!
सुन्दर रचना!
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
गम के आंसुओं में मत डुबाओ किसी को इस कदर
कहीं इक दिन तुम्हारा भी दामन न उसमें तर जाये
.....bilkul sahia kaha aapne.. dusaron par jo hansta hai ek n ek din wah pachhtata jarur hai..
मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।
बहुत खूब ....
पूनम जी सही राह दिखा रही हैं .....
delicate but true lines..
बहुत ही सार्थक पंक्तियाँ.
आदरणीय पूनम जी,
इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि आपने हृदयस्पर्शी और समाज को आईना दिखाने वाली रचना लिखी है|
इस विधा को उत्तरोत्तर बढाते रहना होगा, जिससे समाज में संवेदनाओं और सरोकारों का महत्व बना रहे|
लोगों के बीच इतने सटीक शब्दों में सच्चाई को बयां करने का माद्दा कितने से लोगों में होता है?
आपकी रचना आपके जिन्दा होने का सबूत है| अन्यथा तो इन दिनों लोग जिन्दा लाशों को ढो रहे हैं|
शानदार अभिव्यक्ति| साधुवाद|
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
फोन :0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
बहुत अच्छा सन्देश दिया इस रचना के माध्यम से। बधाई। बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
Bahut hi bhawpoorn prastuti rakhi aapne.
bahut-2 badhai.
किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो
कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।
behad achchi lagi...
बहुत बड़ी सीख देती छोटी सी कविता अच्छी लगी.वसन्तोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
बहुत सार्थक और प्रभावपूर्ण प्रेरक रचना..बहुत सुन्दर भाव..आभार
Hi..
Aaj Kafi samay baad lauta hun..aur aate hi aapki ye sashakt aur bhavpurn rachna ka rasaswadan kar saka eske liye dhanyavad..
Yun bhi aapki rachnaon ki madhurta alag si hoti hai..
Subhkamnaon sahit...
Deepak..
सराहनीय आलेख।
प्रभावकारी लेखन के लिए बधाई।
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
आदरणीया पूनम जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
प्यार भरा दिल रख' ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये
सही है , कई बार एक स्नेहिल मुस्कान सौ दुःख भुलाने को पर्याप्त होती है…
सुंदर रचना के लिए आभार !
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
नेट पर आजकल आपको कहीं देखा हुआ याद नहीं आ रहा ।
शस्वरं पर
पधारे हुए भी बहुत समय हो गया ।
आशा है, सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये
बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना है.
आप आपने स्वास्थ्य की तरफ ज़रूर ध्यान दीजियेगा.
शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर लिखा पूनम जी!
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये
सही बात है.................जीवन कभी एक सा नहीं रहता................आज आप जिस पर हँस रहे हैं...........हो सकता है कल भी आप उसी राह से गुजरें।
एक निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
कितना अच्छा लिखती हैं आप , सच में आँखें भर आती हैं...पढने हुए .
हमारे ब्लॉग पर भी आये आपका वेलकम है
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
“वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत ही अर्थपूर्ण , भाव भरी और सार्थक कविता .
बहुत अच्दे तरिके से आपने एक असहाय की की पीड़ा को दशार्या है।
kya kare post hi itani pyari hai ki dubara comm likhna pada,
waise aaye the new rachna ki talas me.
asa hai jaldi hi padhane ko milegi.
बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
sachmuch muskaraahat baantane ke liye hi bana hai .
ise jitana baanto utana badata hi jaata hai.
bahut sundar bhaw.
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
एक सुंदर बात सिखाती हैं......
पूनम जी आपके अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना
happy birthday
many many happy returns of the day...
जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय पूनम जी..
नमस्कार
जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई
baten to aam hai lekin man ko bheetar tak lagne wali per fir bhi koi sambhalta nahi aur dusro ko dard dete waqt bhool jata hai ki kabhi uski bhi bari aayegi. sunder rachna.
पूनम जी आपकी कविता हमने ‘पथ के साथी’ पर प्रकाशित की है। कृपया देखिये- http://pathkesathi.blogspot.com/
कहाँ गये पेड़ों के रक्षक?
पूनम श्रीवास्तव जी की एक कविता प्रकृति के लिये..............
आज धरा है हमसे पूछती
क्यों प्रकृति लगती खाली?
जहाँ कभी थे झूमते पेड़
और चहुँदिशि थी हरियाली।
जो हमको जीवन देते,
उनकी जान ही खतरे में डाली।
कहाँ गये पेड़ों के रक्षक?
कहाँ खो गये वन-माली?
satyam shivam aur sundaram ,sachchi baate hai sabhi .
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