गुरुवार, 19 मई 2011

शऽऽऽऽऽऽचुप।


शऽऽऽऽऽऽ चुप

दीवारें भी करती हैं

सरगोशियां

यह बात महसूस

होती है सही।

आपने जुबां घर पे

खोली

और बात दरो दीवारों

से गुजर कर

हवाओं में फ़ैल गयी

शायद आपने सुना नहीं?

आपने कहा था क्या

और दीवारें आपकी

बाहर क्या क्या

गुल खिला गईं।

दिमाग सोचने को

मजबूर और

जुबां है अब बंद

इसी लिये दिल की बात

को चुपके से

पन्नों पर उतार गई।

000

पूनम

52 टिप्‍पणियां:

  1. हम्म सही है दीवारों के भी कान होते हैं ..पर आज ये जाना कि मुँह भी होता है ... सुन्दर प्रस्तुति

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  2. दिमाग सोचने को
    मजबूर और
    जुबां है अब बंद
    इसी लिये दिल की बात
    को चुपके से
    पन्नों पर उतार गई।
    कहीं न कहीं तो शब्द जगह पाते ही हैं.... बहुत सुंदर पूनमजी

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  3. 'ghar ke daro-deewar saja kar dekho '..
    gulzar sahab ki ek ghazal jise shayad jagjit singh ji ne gaya hai yaad aa gayi ,
    deewarein kya gul khila gayin , achhi soch hai poonam

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  4. आपने कहा था क्या

    और दीवारें आपकी

    बाहर क्या क्या

    गुल खिला गईं।

    ... ab aur satark ho jao

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  5. एक गाना याद आ रहा है मुझे
    'कुछ दिल ने कहा...कुछ भी नहीं
    कुछ दिल ने सुना .. कुछ भी नहीं
    ऐसी भी बातें होती हैं .ऐसी भी बातें होती हैं'

    'दिल की बात चुपके से पन्नों पर उतार गई'
    बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.बहुत बहुत आभार.
    आशा करता हूँ आपका स्वास्थ्य अब ठीक चल रहा होगा.प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आप पूर्णतया स्वस्थ हो यूँ ही कोमलसुन्दर भावों की मधुर मधुर तरंग छेड़ती ही रहें. .

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  6. बेहतरीन कविता, हृदयस्पर्शी बधाई

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  7. आपकी कविता बहुत कुछ सिखा गयी
    सुन्दर रचना

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  8. chaliye aise hee sahee baat aapkee hum tak pahuch hee gayee.......
    :)
    shubhkamnae.......

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  9. PAHLE SUNA THA KI DIVARON KE KAAN HOTE HAIN, AAJ PATA KI DIVAREN BOLTI BHI HAIN. ISME SANDEH NAHI HAI KI FUTURE ME HUME SUNNE KO MILEGA KI ARE WO DIWAAR TO DEKHTI HAI..... KYUN MAM MENE SAHI KAHA NA?
    BAHUT HI ACHI KAVITA LIKHI HAI AAPNE. . .
    MUJHE TO EK SIKH MILI HAI, AB JAB BHI KISI SE BAAT KARO TO KHULE MEIDAAN ME. . .
    JAI HIND JAI BHARAT

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  10. मन की बातें यूँ ही कविता बन बह जाती हैं।

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  11. बिल्कुल! रचनात्मकता के लिये मौन बहुत आवश्यक है!

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  12. दिमाग सोचने को

    मजबूर और

    जुबां है अब बंद

    इसी लिये दिल की बात

    को चुपके से

    पन्नों पर उतार गई...

    बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  13. मन की बातें कहने के लिए पन्नों का रास्ता बुरा नहीं.
    सुन्दर कविता.

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  14. आपने कहा था क्या
    और दीवारें आपकी
    बाहर क्या क्या
    गुल खिला गईं।

    बात निकलेगी तो दूर तलाक जायेगी. बड़े सही अनुभव को कविता में डाला है. बधाईयाँ पूनम जी सुंदर एवं संवेदनशील रचना के लिए.

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  15. पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ! बहुत सुंदर पूनमजी, आपका अंदाज़ सबसे अलग है ! शुभकामनायें आपको!!
    कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/

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  16. जुबां है अब बंद

    इसी लिये दिल की बात

    को चुपके से

    पन्नों पर उतार गई।

    जी आपकी रचनाएं आसान शब्दों में गंभीर अर्थ लिए होती हैं। वाकई बहुत सुंदर

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  17. पूनम जी दीवारों के भी कान होते है ! सारगर्भित

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  18. पूनम जी, बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता ।
    कृपया मेरी भी कविताएँ पढ़ें और अपनी राय दें ।
    www.pradip13m.blogspot.com

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  19. एक बहुत पुरानी कहावत है कि अगर तुम चाहते हो कि कोइ तुम्हारा राज़ किसी के सामने न कहे तो सबसे पहले तुमुसे किसी के सामने न कहो..वरना राजा के सर पर दो सींग वाली जंगल में कही बात भी पूरे राज्य में फ़ैल गयी..
    और जो बात पन्नों पर लफ्ज़ बनकर उतर गयी वो तो हस्ताक्षर बन जाती है, बदलती नहीं, सनद के तौर पर!! बहुत अच्छा!!

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  20. बहुत ही उम्दा लिखा है............वाह वाह!!

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  21. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  22. Vah Poonam ji,
    bahut hi behatreen tareeke se apne nirjeev divaron ko sajiv bana diya hai....sundar prastuti.......

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  23. सुँदर रचना पूनम जी . आप व्याहरिकता को छंद में ढलने में कुशल है . सुँदर कविता.

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  24. मन की बातों के लिये पन्नों से बेहतर कोई जगह नही…………शानदार प्रस्तुति।

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  25. शब्द-शब्द संवेदना भरा है...आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....

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  26. बिल्‍कुल सही कहा आपने ...बेहतरीन लिखा है ।

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  27. बहुत ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! दिल को छू गयी आपकी ये शानदार रचना!

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  28. जुबां है अब बंद

    इसी लिये दिल की बात

    को चुपके से

    पन्नों पर उतार गई।
    wah bahut sunder ..
    tabhi itni sunder kavita ban gayi ..!!

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  29. man ko chhoo liya aur kuchh sikhaa bhi diya aapki racna ne.sunder.

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  30. शऽऽऽऽऽऽ चुप
    पूनम जी एक बात बताऊँ
    मेने एक नई पोस्ट लिख दी है.
    आप बताईयेगा नहीं,बस चुपके से आ जाईयेगा.
    दीवारों के भी कान होतें हैं न.

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  31. काश, दीवारों के कान ना होते,

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  32. bahut sundar rachna poonam ji do baar laut gayi box hi nahi khul raha tha
    दिमाग सोचने को
    मजबूर और
    जुबां है अब बंद
    इसी लिये दिल की बात
    को चुपके से
    पन्नों पर उतार गई।

    जवाब देंहटाएं
  33. दिमाग सोचने को
    मजबूर और
    जुबां है अब बंद
    इसी लिये दिल की बात
    को चुपके से
    पन्नों पर उतार गई।

    बहुत शिद्दत से कह दिया आपने अपनी भावनाओं में सब कुछ ....कविता बन गयी ...आपका आभार

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  34. यही तो । आदमी बोलता कुछ है मगर वह किस रुप मे प्रचलित होता है जो कहा नहीं वह भी लोगों व्दारा सुन लिया जाता है । अच्छी रचना

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  35. इसी लिये दिल की बात
    को चुपके से
    पन्नों पर उतार गई।
    aksar aesa hi hota dil ki baat kuchh aese hi kagaz pr utarti hai
    badhai
    rachana

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  36. आपने जुबां घर पे
    खोली
    और बात दरो दीवारों
    से गुजर कर
    हवाओं में फ़ैल गयी शायद आपने सुना नहीं?
    ...बहुत सही... बात घर से निकलती है तो उसका बहुत दूर तक जाना लाज़मी है, घर की बात घर तक ही सीमित रहे, इससे अच्छा कुछ नहीं...

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  37. Are you alright Poonamji?
    I pray for your good health.
    Whenever find time,please visit my blog.

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  38. Kaya bat hai bahut hi sunder prastuti
    bhawpoorn rachna ke liye badhai swikare.

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  39. अति सुन्दर और दिल से टिपण्णी करतीं हैं आप पूनम जी.
    आपके पवित्र हृदय को मैं सादर नमन करता हूँ.
    बिना आपकी उपस्तिथि के मेरा ब्लॉग एक दम अधूरा है.
    आपका बहुत बहुत आभार.

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  40. आ.पूनम जी

    आपने जुबां घर पे खोली
    और बात दरो दीवारों से गुजर कर हवाओं में फ़ैल गयी

    वाकई कैसे हो जाता है … :)
    एक और सुंदर रचना के लिए आभार !

    हार्दिक शुभकामनाओं सहित
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  41. बेहतरीन, हृदयस्पर्शी बधाई

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  42. पूनम जी,

    आपने इतना सराहा की कुछ पल को आँखे भर आई की पहली बार आई हुई एक लड़की को लेखन शैली की इतनी बड़ी ब्लोगर ने इतना पसंद किया ! शायद बड़ों का बड़प्पन इसको ही कहते हैं.
    आपका बहुत आभार !
    धन्यवाद
    अब से लिखूंगी.
    आपकी नेहा:)

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  43. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

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