शऽऽऽऽऽऽ चुप
दीवारें भी करती हैं
सरगोशियां
यह बात महसूस
होती है सही।
आपने जुबां घर पे
खोली
और बात दरो दीवारों
से गुजर कर
हवाओं में फ़ैल गयी
शायद आपने सुना नहीं?
आपने कहा था क्या
और दीवारें आपकी
बाहर क्या क्या
गुल खिला गईं।
दिमाग सोचने को
मजबूर और
जुबां है अब बंद
इसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
000
पूनम
हम्म सही है दीवारों के भी कान होते हैं ..पर आज ये जाना कि मुँह भी होता है ... सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbhut khubsurat rachna..
जवाब देंहटाएंदिमाग सोचने को
जवाब देंहटाएंमजबूर और
जुबां है अब बंद
इसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
कहीं न कहीं तो शब्द जगह पाते ही हैं.... बहुत सुंदर पूनमजी
'ghar ke daro-deewar saja kar dekho '..
जवाब देंहटाएंgulzar sahab ki ek ghazal jise shayad jagjit singh ji ne gaya hai yaad aa gayi ,
deewarein kya gul khila gayin , achhi soch hai poonam
आपने कहा था क्या
जवाब देंहटाएंऔर दीवारें आपकी
बाहर क्या क्या
गुल खिला गईं।
... ab aur satark ho jao
एक गाना याद आ रहा है मुझे
जवाब देंहटाएं'कुछ दिल ने कहा...कुछ भी नहीं
कुछ दिल ने सुना .. कुछ भी नहीं
ऐसी भी बातें होती हैं .ऐसी भी बातें होती हैं'
'दिल की बात चुपके से पन्नों पर उतार गई'
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.बहुत बहुत आभार.
आशा करता हूँ आपका स्वास्थ्य अब ठीक चल रहा होगा.प्रभु से प्रार्थना करता हूँ की आप पूर्णतया स्वस्थ हो यूँ ही कोमलसुन्दर भावों की मधुर मधुर तरंग छेड़ती ही रहें. .
बेहतरीन कविता, हृदयस्पर्शी बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी कविता बहुत कुछ सिखा गयी
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
chaliye aise hee sahee baat aapkee hum tak pahuch hee gayee.......
जवाब देंहटाएं:)
shubhkamnae.......
PAHLE SUNA THA KI DIVARON KE KAAN HOTE HAIN, AAJ PATA KI DIVAREN BOLTI BHI HAIN. ISME SANDEH NAHI HAI KI FUTURE ME HUME SUNNE KO MILEGA KI ARE WO DIWAAR TO DEKHTI HAI..... KYUN MAM MENE SAHI KAHA NA?
जवाब देंहटाएंBAHUT HI ACHI KAVITA LIKHI HAI AAPNE. . .
MUJHE TO EK SIKH MILI HAI, AB JAB BHI KISI SE BAAT KARO TO KHULE MEIDAAN ME. . .
JAI HIND JAI BHARAT
chuppi ko bhi kagaj pe utar diya aapne..adbhut!!
जवाब देंहटाएंमन की बातें यूँ ही कविता बन बह जाती हैं।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल! रचनात्मकता के लिये मौन बहुत आवश्यक है!
जवाब देंहटाएंदिमाग सोचने को
जवाब देंहटाएंमजबूर और
जुबां है अब बंद
इसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई...
बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
मन की बातें कहने के लिए पन्नों का रास्ता बुरा नहीं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता.
आपने कहा था क्या
जवाब देंहटाएंऔर दीवारें आपकी
बाहर क्या क्या
गुल खिला गईं।
बात निकलेगी तो दूर तलाक जायेगी. बड़े सही अनुभव को कविता में डाला है. बधाईयाँ पूनम जी सुंदर एवं संवेदनशील रचना के लिए.
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ! बहुत सुंदर पूनमजी, आपका अंदाज़ सबसे अलग है ! शुभकामनायें आपको!!
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/
जुबां है अब बंद
जवाब देंहटाएंइसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
जी आपकी रचनाएं आसान शब्दों में गंभीर अर्थ लिए होती हैं। वाकई बहुत सुंदर
पूनम जी दीवारों के भी कान होते है ! सारगर्भित
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
पूनम जी, बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता ।
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी भी कविताएँ पढ़ें और अपनी राय दें ।
www.pradip13m.blogspot.com
एक बहुत पुरानी कहावत है कि अगर तुम चाहते हो कि कोइ तुम्हारा राज़ किसी के सामने न कहे तो सबसे पहले तुमुसे किसी के सामने न कहो..वरना राजा के सर पर दो सींग वाली जंगल में कही बात भी पूरे राज्य में फ़ैल गयी..
जवाब देंहटाएंऔर जो बात पन्नों पर लफ्ज़ बनकर उतर गयी वो तो हस्ताक्षर बन जाती है, बदलती नहीं, सनद के तौर पर!! बहुत अच्छा!!
बहुत सुन्दर और भावप्रणव रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिखा है............वाह वाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंVah Poonam ji,
जवाब देंहटाएंbahut hi behatreen tareeke se apne nirjeev divaron ko sajiv bana diya hai....sundar prastuti.......
sabhi ke dil ki baat si hai aapki kavita..
जवाब देंहटाएंsundar bhav..
सुँदर रचना पूनम जी . आप व्याहरिकता को छंद में ढलने में कुशल है . सुँदर कविता.
जवाब देंहटाएंमन की बातों के लिये पन्नों से बेहतर कोई जगह नही…………शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशब्द-शब्द संवेदना भरा है...आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने ...बेहतरीन लिखा है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! दिल को छू गयी आपकी ये शानदार रचना!
जवाब देंहटाएंpunam ji,
जवाब देंहटाएंachhi lagi rachna ......
जुबां है अब बंद
जवाब देंहटाएंइसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
wah bahut sunder ..
tabhi itni sunder kavita ban gayi ..!!
man ko chhoo liya aur kuchh sikhaa bhi diya aapki racna ne.sunder.
जवाब देंहटाएंशऽऽऽऽऽऽ चुप
जवाब देंहटाएंपूनम जी एक बात बताऊँ
मेने एक नई पोस्ट लिख दी है.
आप बताईयेगा नहीं,बस चुपके से आ जाईयेगा.
दीवारों के भी कान होतें हैं न.
काश, दीवारों के कान ना होते,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
bahut sundar rachna poonam ji do baar laut gayi box hi nahi khul raha tha
जवाब देंहटाएंदिमाग सोचने को
मजबूर और
जुबां है अब बंद
इसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
kavita yun banti hai ... sundar abivyakti. badhai
जवाब देंहटाएंदिमाग सोचने को
जवाब देंहटाएंमजबूर और
जुबां है अब बंद
इसी लिये दिल की बात
को चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
बहुत शिद्दत से कह दिया आपने अपनी भावनाओं में सब कुछ ....कविता बन गयी ...आपका आभार
यही तो । आदमी बोलता कुछ है मगर वह किस रुप मे प्रचलित होता है जो कहा नहीं वह भी लोगों व्दारा सुन लिया जाता है । अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंइसी लिये दिल की बात
जवाब देंहटाएंको चुपके से
पन्नों पर उतार गई।
aksar aesa hi hota dil ki baat kuchh aese hi kagaz pr utarti hai
badhai
rachana
आपने जुबां घर पे
जवाब देंहटाएंखोली
और बात दरो दीवारों
से गुजर कर
हवाओं में फ़ैल गयी शायद आपने सुना नहीं?
...बहुत सही... बात घर से निकलती है तो उसका बहुत दूर तक जाना लाज़मी है, घर की बात घर तक ही सीमित रहे, इससे अच्छा कुछ नहीं...
Are you alright Poonamji?
जवाब देंहटाएंI pray for your good health.
Whenever find time,please visit my blog.
very true !!
जवाब देंहटाएंnice post.
Kaya bat hai bahut hi sunder prastuti
जवाब देंहटाएंbhawpoorn rachna ke liye badhai swikare.
अति सुन्दर और दिल से टिपण्णी करतीं हैं आप पूनम जी.
जवाब देंहटाएंआपके पवित्र हृदय को मैं सादर नमन करता हूँ.
बिना आपकी उपस्तिथि के मेरा ब्लॉग एक दम अधूरा है.
आपका बहुत बहुत आभार.
आ.पूनम जी
जवाब देंहटाएंआपने जुबां घर पे खोली
और बात दरो दीवारों से गुजर कर हवाओं में फ़ैल गयी
वाकई कैसे हो जाता है … :)
एक और सुंदर रचना के लिए आभार !
हार्दिक शुभकामनाओं सहित
राजेन्द्र स्वर्णकार
बेहतरीन, हृदयस्पर्शी बधाई
जवाब देंहटाएंपूनम जी,
जवाब देंहटाएंआपने इतना सराहा की कुछ पल को आँखे भर आई की पहली बार आई हुई एक लड़की को लेखन शैली की इतनी बड़ी ब्लोगर ने इतना पसंद किया ! शायद बड़ों का बड़प्पन इसको ही कहते हैं.
आपका बहुत आभार !
धन्यवाद
अब से लिखूंगी.
आपकी नेहा:)
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
जवाब देंहटाएं