सोमवार, 20 अगस्त 2012

आखिर क्यों--------?


अब मेरे बगीचे में
नहीं आता है
चिड़ियों का हुजूम
दाना चुगने के लिये।

अब भोर की बेला में
नहीं सुनाई देती
उनकी चीं चीं चूं चूं
उनकी चहचहाहट।

अब नजरें तरस गयी हैं
उन्हें देखने के लिए
पानी भरे अधफ़ूटे मटके में उनका
फ़ुदक फ़ुदक कर
अपने पर फ़ड़फ़ड़ा नहाना
और अपने पंखों को
फ़ैलाकर सुखाना।

उनका वो लुका छुपी
का खेल
एक रोमांच सा लगता था
जिनको देख हम भी
बन जाते थे बच्चे।
घने पौधों के बीच
उनका घोंसला बनाना
और फ़िर
हर वक्त अपने घोंसले के
चारों ओर
बड़ी सजगता से
निगरानी करना।

घोंसले के पास
किसी को देख
भयातुर स्वरों में चीं चीं
की करुण पुकार
उनकी हरकतें
आज भी बहुत याद आती हैं
पर क्या करें वो भी
हमने ही तो भौतिकता की
अंधी दौड़ में उन्हें
रास्ता बदलने पर
मजबूर कर दिया।

क्या कोई उन्हें
फ़िर से मना कर
हमारे बगीचे में
वापस नहीं ला सकता।
000
पूनम


27 टिप्‍पणियां:

  1. हमने ही तो भौतिकता की
    अंधी दौड़ में उन्हें
    रास्ता बदलने पर
    मजबूर कर दिया।

    संवेदनशील विचार ....
    अब उन्हें फिर मनाने की कोशिशें भी करनी होंगीं

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  2. मोनिका जी ठीक कहती हैं....हमने ही नाराज़ किया है हमें ही मनाना होगा...

    विचारणीय रचना...

    अनु

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  3. भौतिकता की दौड में ,हमने किया मजबूर
    कोशिश गर मिलकर करें,लौट आयेगीं जरूर,,,,

    RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,

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  4. बड़ा ही गहरा प्रश्न उठाया है आपने..काश इसके उत्तर मिल पाते..

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  5. इसके जिम्मेदार हम खुद ही है ..

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  6. गहरा प्रश्न है ... इंसान की भूख ने ये सब कर्म किया है ... और अभी अगर वो चाहे तो ये सब वापस आ सकता है ... पर देर हों से पहले ...

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  7. सुंदर !
    पूछना पडे़गा चिडियों से अब
    फिर शुरू करेंगी आना वो कब!

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  8. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 25/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  9. विचारणीय रचना..
    चलो पेड़ लगाये
    चिडियों को बुलाये..
    :-)

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  10. संवेदनशील, विचारणीय रचना |

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  11. वो चिड़ियाएँ अब रूठ गई हैं. नहीं लौटेंगी शहर के वातावरण में.

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  12. इंसान ने अपने स्वार्थ की खातिर परिंदों को भी नहीं बख्शा .... मार्मिक प्रस्तुति

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  13. sahi kaha aapne aaj wah hoojom dekhne ko najre taras gayi hamen hi manana hoga

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  14. सुंदर और काफी मासूम रचना।

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  15. वाह खुबसूरत अति सुन्दर बधाई
    (अरुन =arunsblog.in)

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  16. संवेदनशील, विचारणीय रचना ......

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  17. पोस्ट बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद ।

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