जैसा कि नव रात्रि के दिनों में घर घर में देवी का पूजन भजन कीर्तन की धूम मची
रहती है।सारा दिन सारी रात देवी के जागरण से पूरा शहर गुंजायमान रहता है।एक अलग ही
खुशी होती है।शाय्यद ये देवी मां के प्रताप के कारण ही होता है।
नवरात्रि के अन्तिम दिनों में छोटी कन्याओं को देवी व लड़कों को लंगूर के रूप
में मानकर उनको भोजन कराया जाता है।इन दिनों इन बच्चों का उत्साह भी देखते बनता
है।हां तो इसी नवरात्रि के नवमी वाले दिन मैंने भी बच्चों को भोजन कराया और कुछ
उपहार में भी दिया।
अचानक मेरी निगाह अपनी कालोनी में काम
करने वाले सफ़ाई कर्मचारी की लड़की पर पड़ी।वो दूर से ही बड़े ध्यान से ये सब देख रही
थी।
मैंने तुरन्त इशारे से उसे पास बुलाया
तो वो खुशी खुशी आ गयी।जैसे ही मैंने उसे टीका लगाने के लिए अपना हाथ उसके माथे की
ओर बढ़ाया वो छः साल की छोटी सी बच्ची बोली—“आण्टी,हम टीका नहीं लगाते।”
मेरे हाथ जहां के तहां रुक गये।मैंने
उससे पूछा—“क्यों बेटा,ये तो भगवान का टीका है?”
तब उस बच्ची ने जो जवाब दिया उसे सुन
मैं हतप्रभ रह गयी।वो बोली—“आण्टी हम मुसलमान हैं।हम लोग टीका नहीं लगाते।”
मेरे हाथ से प्रसाद की प्लेट लेकर वो
चली गयी और में किंकर्तव्यविमूढ़ होकर उसे जाता देखती रही।
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पूनम श्रीवास्तव
सभी अपने अपने धर्म के प्रति वचनबद्ध हैं न
जवाब देंहटाएंहक्का-बक्का हूँ - प्रशंसनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (04-07-2015) को "सङ्गीतसाहित्यकलाविहीना : साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीना : " (चर्चा अंक- 2026) " (चर्चा अंक- 2026) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धार्मिक आस्था के नियम कायदों से जकड़ा है हमारा समाज विशेषकर निम्न तबके में ...लेकिन जब पेट की आग भभकती हैं तो फिर कोई भी जाति- धर्म का हो वह उस पल इन सबसे ऊपर उठ जाता है...
जवाब देंहटाएंप्रस्साद तो ग्रहण कर सकते है पर टीका नहीं. अजीब द्विविधाएँ और दुश्वारियाँ आड़े आ जाती हीन कभी कभी.
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी प्रस्तुती.
बेहतरीन प्रस्तुति ........
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है आपने इस रचना को
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