बुधवार, 29 सितंबर 2010

इम्तहान जिंदगी का


हर कदम पर जिंदगी लेती है इम्तहान

कब कहां किस रूप में ले किसको पता।

उलझनों में इस कदर कर देती है गुमराह

सुलझाते सुलझाते आदमी हो जाता है परेशां।

कभी तो ये जिंदगी लगती रेत का मकां

जो हल्की सी आंधी में भी मिट जाती जाने कहां।

और कभी जिंदगी बन जाती मजबूत पतवार

भंवरों में से भी जूझ बढ़ आगे पा जाती मुकाम।

जिंदगी तो रखती है मौत से भी वास्ता

फ़िर आगे बढ़ा ले जाती है वो अपना कारवां।

जिंदगी को हर तरह से जीना है जिंदादिली का नाम

अजीज मान कर जी लें जिंदगी का हर लम्हां।

0000

पूनम

34 टिप्‍पणियां:

  1. bahut hi khubsurat rachna....
    sach mein
    zindagi imthaan leti hai....
    mere blog par thode se bargad ki chhaon mein jaroor aayein...

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  2. poonam bahut sunder abhivykti....

    ek pyara saa sandesh detee rachana....

    aatm bal bana rahana chahiye...har mushkil dafaa ho jatee hai.............

    Aabhar

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  3. जिंदगी के फल्सफां पर उत्तम रचना..बधाई.

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  4. आदरणीय POONAM जी
    नमस्कार !

    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

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  5. जिंदगी तो रखती है मौत से भी वास्ता
    फ़िर आगे बढ़ा ले जाती है वो अपना कारवां।
    जिंदगी को हर तरह से जीना है जिंदादिली का नाम
    अजीज मान कर जी लें जिंदगी का हर लम्हां।
    .....सच में जिन्दादिली से जीना ही जिंदगी का नाम है..
    ....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  6. अच्छा है..
    इम्तहान तो होते ही रहेंगे.. कब तक इनसे डर के मरेंगे?

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  7. वाह! क्या बात है!बहत सुंदर बात और कविता

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  8. माना, जिन्दगी लेती है, इम्तिहाँ,
    पर दे जाती है मुकम्मल जहाँ।

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  9. जिंदगी को हर तरह से जीना है जिंदादिली का नाम

    bilkul aur zindagi wahin hoti bhi hai

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  10. आपकी इस कविता में से भावनाऒं का ऐसा सैलाव उठा कि कई पल रुक कर उन भावधाराओं को निहारने पर विवश कर गया। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    चक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

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  11. हर कदम पर जिंदगी लेती है इम्तहान
    कब कहां किस रूप में ले किसको पता..

    सच कहा ... जिंदगी इंतेहाँ लेती है ... और नतीज़ा भी भोगना पढ़ता है ... यहाँ ही ...

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  12. जिंदगी की सच्चाई और कठिनाई पर आप की पारखी कलम खूब चली है . भाव भीनी कविता.

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  13. .

    जिंदगी को हर तरह से जीना है जिंदादिली का नाम

    अजीज मान कर जी लें जिंदगी का हर लम्हां।...

    This should be the spirit !

    Regards,

    .

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति। धन्यवाद

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  15. ज़िंदगी का सम्पूर्ण दर्शन आपने इन अशार में समेट कर रख दिया, जिन्हें समझने में सारी ज़िंदगी सर्फ़ हो जाती है!!

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  16. ज़िन्दगी की उठापटक को चित्रित करती आपकी कविता अच्छी लगी. आप नियमित लिखती रहती हैं,good.
    आपने मेरा ब्लॉग देखा एवं प्रतिक्रिया दी , कृतज्ञ हूँ .
    कुँवर कुसुमेश
    मोबा:09415518546

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  17. जिंदगी तो रखती है मौत से भी वास्ता
    फ़िर आगे बढ़ा ले जाती है वो अपना कारवां।

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार..

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  18. ज़िन्दगी की दास्तां जिसका न शुरू है न अन्त। बहुत अच्छी रचना। बधाई

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  19. यही है ज़िन्दादिली की परिभाषा

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  20. बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! सही में इसी का नाम ज़िन्दगी है जहाँ खुशियाँ और मुश्किलें सबसे गुज़रना पड़ता है! ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना!

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  21. जीवन दर्शन!
    सार्थक रचना!
    आशीष
    --
    प्रायश्चित

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  22. जिंदगी को हर तरह से जीना है जिंदादिली का नाम !!!आपकी कविता जिन्दगी और ताजगी से भरी होती है ! बहुत बहुत धन्यवाद पूनम छाये रहिये !लिखते रहिये !

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  23. कभी कभी जमीन पर

    रेंगने वाले

    कीड़े के डंक भी

    इतने घातक नहीं होते

    जितने कि जहरीले

    शब्दों के व्यंग्य बाण ।

    So true !

    .

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  24. पूनम जी आपकी इस रचना को कविता मंच पर साँझा किया गया है

    कविता मंच
    http://kavita-manch.blogspot.in

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