कच्चे धागे में बंधी कटार मृत्यु का सही चित्रण ’’ न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाये ’’।बूंद का भी वही हश्र हुआ जो एक जिन्दगी का होता है जिन्दगी कुछ स्थिर होती है चमकती है और भूमि पर गिर जाती है । बंूद चमकती रही होगी, अपने पर इठला भी रही होगी, अपने समान किसी को नहीं समझती होगी उसे अहसास ही न होगा कि हवा भी चल सकती है ’’हवा घरों में कहां इतनी तेज चलती है /उसे तो वस मेरा दिया बुझाना था। उत्तम दार्शनिक क्षणिकायें
दोनों ही क्षणिकाएं लाजवाब हैं सिर्फ चंद लाइनों में जीवन का फलसफा वाह
जवाब देंहटाएंdono bahoot kuchh kahti hui... behad gahare bhav liye hui....
जवाब देंहटाएंबूंद फूल को चमकती हुई धरती की प्यास बुझा गयी ...और ज़िंदगी कब मौत के आगोश में समां जाये किसे पता..बहुत दार्शनिक रचनाएँ
जवाब देंहटाएंदोनों क्षणिकाएँ अच्छी लिखीं हैं .
जवाब देंहटाएंदूसरी तो बहुत ही अच्छी है... जीवन दर्शन समेटे हुए ..
दोनों ही क्षणिकायें बहुत ही सुन्दर। क्रियात्मक दर्शन।
जवाब देंहटाएंदोनों ही क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएं ...
जवाब देंहटाएंदोनों ही क्षणिकाएं सुन्दर......
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन समेटे..... लाजवाब
yah rachna mujhe vatvriksh ke liye chahiye .....parichay, tasweer ke saath rasprabha@gmail.com
जवाब देंहटाएंदोनों क्षणिकाएं बढ़िया लगी ...आभार
जवाब देंहटाएंYah dono kshanikayen to GAGAR ME SAGAR hai hee;anya kavitayen bhee behad Sarthak hain-sabme achha sandesh hai.
जवाब देंहटाएंलाजवाब, बेहतरीण।
जवाब देंहटाएं(फूल)
दार्शनिक क्षणिकाएं.बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंकच्चे धागे में बंधी कटार मृत्यु का सही चित्रण ’’ न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाये ’’।बूंद का भी वही हश्र हुआ जो एक जिन्दगी का होता है जिन्दगी कुछ स्थिर होती है चमकती है और भूमि पर गिर जाती है । बंूद चमकती रही होगी, अपने पर इठला भी रही होगी, अपने समान किसी को नहीं समझती होगी उसे अहसास ही न होगा कि हवा भी चल सकती है ’’हवा घरों में कहां इतनी तेज चलती है /उसे तो वस मेरा दिया बुझाना था। उत्तम दार्शनिक क्षणिकायें
जवाब देंहटाएंक्षणिकाएं अच्छी हैं।
जवाब देंहटाएंपूनम जी,
जवाब देंहटाएंनमस्ते!
क्षणिकाएं साबित करतीं हैं बखूबी के जीवन क्षणिक है!
आभार!
आशीष
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पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
dono hi kshanikaaen kamaal ki hai Punam ji
जवाब देंहटाएंदोनों ही क्षणिकाएं बेहद प्रभावी हैं.
जवाब देंहटाएंदेखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर.ढेरों शुभकामनायें.
आपने बड़ी अच्छी और सच्ची बात इनमे कही है .
जवाब देंहटाएंआपको बधाई ....
दोनो क्षणिकायें बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंदोनों क्षणिकाएँ अच्छी लिखीं हैं .
जवाब देंहटाएंबहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ...............माफी चाहता हूँ..
आदरणीय पूनम जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
...........लाजवाब क्षणिकाएं
बहुत खूब ... दोनों ही क्षणिकाएं लाजवाब .. शशक्त ... सच में तलवार है ये मौत भी ...
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन की बड़ी बाते सरल ढंग से कहना तो कोई आपसे सीखे ! आभार !
जवाब देंहटाएंशानदार और जानदार क्षणिकाओं के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
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बहुत खूब....इक से बढ़कर क्षणिकाएं..बधाई.
जवाब देंहटाएं_________________
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वाह...वाह...वाह...दोनों क्षनिकाएं...लाजवाब...कमाल किया है आपने...बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंनीरज