मंगलवार, 9 नवंबर 2010

दो क्षणिकाएं


दो क्षणिकाएं

एक बूंद


बारिश की एक बूंद

गिरी टप

गुलमेहंदी के

फ़ुल पर

स्थिर हुई कुछ

चमकी

सागर के मोती सी

हवा चली

फ़ूल हिला

बूंद फ़िर गिरी

टप

प्यासी सी भूमि पर।

000

जिन्दगी और मौत


जिन्दगी

एक सोया हुआ आदमी

मौत

कच्चे सूत सी लटकती

कटार

कब टूटे

कब गिर पड़े

किसे पता।

000

पूनम

27 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों ही क्षणिकाएं लाजवाब हैं सिर्फ चंद लाइनों में जीवन का फलसफा वाह

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  2. बूंद फूल को चमकती हुई धरती की प्यास बुझा गयी ...और ज़िंदगी कब मौत के आगोश में समां जाये किसे पता..बहुत दार्शनिक रचनाएँ

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  3. दोनों क्षणिकाएँ अच्छी लिखीं हैं .
    दूसरी तो बहुत ही अच्छी है... जीवन दर्शन समेटे हुए ..

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  4. दोनों ही क्षणिकायें बहुत ही सुन्दर। क्रियात्मक दर्शन।

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  5. दोनों ही क्षणिकाएं सुन्दर......

    जीवन दर्शन समेटे..... लाजवाब

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  6. yah rachna mujhe vatvriksh ke liye chahiye .....parichay, tasweer ke saath rasprabha@gmail.com

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  7. दोनों क्षणिकाएं बढ़िया लगी ...आभार

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  8. Yah dono kshanikayen to GAGAR ME SAGAR hai hee;anya kavitayen bhee behad Sarthak hain-sabme achha sandesh hai.

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  9. दार्शनिक क्षणिकाएं.बेहतरीन.

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  10. कच्चे धागे में बंधी कटार मृत्यु का सही चित्रण ’’ न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाये ’’।बूंद का भी वही हश्र हुआ जो एक जिन्दगी का होता है जिन्दगी कुछ स्थिर होती है चमकती है और भूमि पर गिर जाती है । बंूद चमकती रही होगी, अपने पर इठला भी रही होगी, अपने समान किसी को नहीं समझती होगी उसे अहसास ही न होगा कि हवा भी चल सकती है ’’हवा घरों में कहां इतनी तेज चलती है /उसे तो वस मेरा दिया बुझाना था। उत्तम दार्शनिक क्षणिकायें

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  11. पूनम जी,
    नमस्ते!
    क्षणिकाएं साबित करतीं हैं बखूबी के जीवन क्षणिक है!
    आभार!
    आशीष
    --
    पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!

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  12. दोनों ही क्षणिकाएं बेहद प्रभावी हैं.
    देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर.ढेरों शुभकामनायें.

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  13. आपने बड़ी अच्छी और सच्ची बात इनमे कही है .
    आपको बधाई ....

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  14. दोनो क्षणिकायें बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।

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  15. दोनों क्षणिकाएँ अच्छी लिखीं हैं .
    बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
    बहुत देर से पहुँच पाया ...............माफी चाहता हूँ..

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  16. आदरणीय पूनम जी,
    नमस्कार !
    ...........लाजवाब क्षणिकाएं

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  17. बहुत खूब ... दोनों ही क्षणिकाएं लाजवाब .. शशक्त ... सच में तलवार है ये मौत भी ...

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  18. जीवन दर्शन की बड़ी बाते सरल ढंग से कहना तो कोई आपसे सीखे ! आभार !

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  19. शानदार और जानदार क्षणिकाओं के लिए बधाई.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  20. बहुत खूब....इक से बढ़कर क्षणिकाएं..बधाई.

    _________________
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  21. वाह...वाह...वाह...दोनों क्षनिकाएं...लाजवाब...कमाल किया है आपने...बहुत खूब...

    नीरज

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