मंगलवार, 16 नवंबर 2010

जय जन गण मन


कुछ कहना चाहती हूं

पर कह नहीं पाती

कुछ लिखना चाहती हूं

पर लिख नहीं पाती

या शायद थोड़े में बहुत कुछ

कहना चाहती हूं।

क्योंकि मैं भी हूं

इसी समाज का एक अंग

जो कि समय समय पर

नियम कानून को करते रहते हैं भंग

जिससे समूची

मानवता के नाम पर

छिड़ी है जंग

जिसे देख कर

इंसानियत भी है दंग।

जरूरत है

कदम से कदम

मिलाकर चलने को संग

तभी तो छाएगा जीवन में

एक नया रंग

और आयेगी आवाज एक संग

जय जन गण मन।

000

पूनम

31 टिप्‍पणियां:

  1. हां सचमुच ज़रूरत तो कदम से कदम मिला कर चलने की ही है, काश, सबके मन में ऐसे ही साथ साथ चलने की बात उठने लगे. सुन्दर कविता है पूनम जी.

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  2. ऐसी प्यारी कविता तो रोज़ पढ़ने का मन करेगा ...
    मज़ा आ गया .

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  3. आपकी सरल अभिव्यक्ति हमेशा मन को भा जाती है

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  4. बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति .. बहुत ही सुन्दर कविता है...

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  5. आपकी कविता हमेशा अपकी पहचान होती है...बहुत ही सादगी से बहुत ही गहरा संदेश देती यह रचना..

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  6. वाकई कदम से कदम मिला कर चलने की जरुरत है .
    सहज सरल अभिव्यक्ति.

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  7. कदम से कदम
    मिलाकर चलने को संग
    तभी तो छाएगा जीवन में
    एक नया रंग
    और आयेगी आवाज एक संग
    जय जन गण मन।
    बिल्कुल.... यही तो समझने की दरकार है.....
    सुंदर रचना

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  8. आज के माहौल को इंगित करती अच्छी रचना ..

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  9. मानवता के युद्ध में मानवता विलुप्त है।

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  10. बहुत प्यारी सी कविता जिसमे अच्छे भाव के साथ एक संगीतमय लय भी महसूस होती है.

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  11. जी हाँ बिलकुल ठीक कहा है आपने की,नियमों का पालन न करने के कारण ही समाज में अव्यवस्था है.
    आपने समाधान भी दिया है की सबों को हिल -मिल कर साथ चलना चाहिए.
    अनुकरणीय कविता है.

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  12. सुन्दर कविता , समाज के उत्थान के लिए भाईचारा और अनुशासन का होना महत्वपूर्ण है .

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  13. आज देश के विकास के लिए इसी तरह से मिलजुल कर क़दम मिलाकर आगे बढनी की ज़रूरत है।

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  14. शत प्रतिशत सत्य, मग़र किसको चिंताभगवान आपकी कामना पूरी करे

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  15. आपकी प्रत्येक कबिता पढ़कर पढ़ते रहने की इक्षा बनी रहती है
    इतने अच्छे कबिता लेखन के लिए
    आभार.

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  16. कदम से कदम
    मिलाकर चलने को संग
    तभी तो छाएगा जीवन में
    एक नया रंग
    और आयेगी आवाज एक संग
    जय जन गण मन।
    बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश। शुभकामनायें।

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  17. poonam bahut pyare bhavo se ot prot hai aapkee ye rachana.
    bahut acchee lagee.

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  18. कितनी दक्षता से आपने अपने भाव इस रचना में प्रस्तुत किये हैं...वाह...आपके लेखन का जवाब नहीं...आपके यहाँ देर से आया इस में नुक्सान मेरा ही है...इतनी अच्छी रचना से इन्ते दिनों तक वंचित रहा...
    मेरी बधाई स्वीकार करें
    नीरज

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  19. सब हाथ से हाथ मिलकर चलेंगे तो विजय प्राप्त करना ही है ... बहुत सुन्दर !

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  20. बहुत गहरा सन्देश देती एक प्यारी सी कविता

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  21. कविता में सुन्दर भाव अन्तर्निहित है.

    आभार।

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  22. sach hai ye aaj ki jaroorat hai .. kabam se madam mila kar sab ko saat chalna chahiye ... achhee abhivyakti hai ...

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  23. पूनम जी ,
    सुन्दर भावों से लबालब भरी,सामाजिक चेतना को प्राणवान करती अच्छी कविता !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  24. आपकी रचना आज के चक्र के साथ चल रही है. सुंदर निर्मल भावपूर्ण रचना.

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  25. सार्थक समसामायिक कविता. इसके लिए आपको आभार.

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  26. बहुत सुन्दर और प्यारी कविता लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!

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