रविवार, 9 जनवरी 2011

अभिमान


अभिमान न करना खुद पे तुम

अभिमानी कहां ठहरता है

नजरों से उतरता एक बार जो

फ़िर दिल से उतर जाता है।

रावण था विद्वान बहुत

था बड़ा अभिमानी भी

डंका बजता तीनों लोक में

था ना कोई सानी भी।

अभिमानी दुर्योधन भी था

और बहुत ही बलशाली

द्यूतक्रीड़ा के बहाने दांव पे

द्रुपद सुता लगा डाली।

मद में चूर दुर्योधन जा

श्रीकृष्ण सिरहाने खड़े हुये

नम्रता दिखाई अर्जुन ने

बन सारथि उनके खड़े हुये।

अभिमानी का हश्र हमेशा

ऐसे ही तो होता है

मान न दे जो दूजों को

वो ही अभिमानी होता है।

0000

पूनम

26 टिप्‍पणियां:

  1. अभिमान न करना खुद पे तुम
    अभिमानी कहां ठहरता है
    नजरों से उतरता एक बार जो
    फ़िर दिल से उतर जाता है।

    पूनम जी बहुत सुंदर भाव पेश किया और सच्चाई बयां कर दी जिन्दगी की.

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  2. नजरों से उतरता एक बार जो

    फ़िर दिल से उतर जाता है।
    वाह पुनम जी बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना, एक बहुत अच्छी शिक्षा देती. धन्यवाद

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  3. अभिमानी का पतन death की तरह सत्य है

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  4. जिसके मन में संवेदनायें हो, वह अभिमानी नहीं हो सकता।

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  5. बहुत ही सटीक बात कही है आपने...
    जीवन में स्वाभिमान हो लेकिन अभिमान नहीं.....
    आँखों पर जब अभिमान रुपी ये काली पट्टी पड़ती है तो पूरा जीवन अंधकारमय हो जाता है.....

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  6. बहुत सुंदर और अर्थपूर्ण भाव संजोये रचना ...... पूनम जी

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  7. बहुत खूब ...शुभकामनायें आपके लिए

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  8. अभिमान तो निज का सबसे बड़ा दुश्मन है. लेकिन कभी किसी का अभिमान रहा नहीं है / सुन्दर शब्दों में आपने अहम् वालो की आगाह किया है .

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  9. जी हां, नये साल में और विनम्र बनने का संकल्प लिया जाये।

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  10. अभिमानी दुर्योधन भी था
    और बहुत ही बलशाली
    द्यूतक्रीड़ा के बहाने दांव पे
    द्रुपद सुता लगा डाली।

    इनपंक्तियों सए यह बोध हो रहा है कि दुर्योधन ने द्र्पदसुता को दाँव पर लगा डाला, जबकि ऐसा युधिष्ठिर ने किया था.. कृपया स्पष्ट करें!!

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  11. khud par abhimaan hamesha niche girata hai....abhimaan na karne kii umda salah di aapne

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  12. अर्थपूर्ण रचना, एक बहुत अच्छी शिक्षा देती. धन्यवाद

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  13. आदरणीय पूनम जी
    नमस्कार !
    अभिमान तो निज का सबसे बड़ा दुश्मन है....सच्चाई बयां कर दी जिन्दगी की.

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  14. अभिमान न करना खुद पे तुम
    अभिमानी कहां ठहरता है
    नजरों से उतरता एक बार जो
    फ़िर दिल से उतर जाता है।
    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  15. सुन्दर और सच्ची बात, प्रभावी शब्द विन्यास! "सच में" पर आने और विचार व्यक्त करने के लिये आभार!

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  16. .बिलकुल ठीक बात को काव्याभिव्यक्ति द्वारा सराहनीय रूप से प्रस्तुत किया है.

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  17. सोलह आने सच बात कह दी आपने तो ।

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  18. मान न दे जो दूजों को

    वो ही अभिमानी होता है

    रावण और दुर्योधन का उदाहरण देते हुए बड़ी सादगी और सलासत से आपने सारी बात कह डाली.
    उपर्युक्त दो पंक्तियों में तो आपने कविता का पूरा सार ही दे दिया. बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए.

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  19. आपने घमंड के बहुत खुबसूरत उदाहरण दिए ! पड़कर बहुत अच्छा लगा !
    बधाई दोस्त !

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  20. बहुत ही सुंदर भाव... और आप कैसी हैं? मैं आपकी सारी छूटी हुई पोस्ट्स इत्मीनान से पढ़ कर दोबारा आता हूँ...

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  21. सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......सादर

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  22. बढ़िया प्रस्तुति..मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....

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