शनिवार, 9 अप्रैल 2011

वक़्त अभी भी है


किसी का किया कहीं जाता नहीं

जो भी किया फ़ल मिलता यहीं।

अच्छा किया या किया बुरा

सबकी सजा है भुगतनी यहीं।

पिछ्ले जन्मों का तो पता नहीं

इस जनम मे जो किया भरना यहीं।

खुदा ने तो हमको सब कुछ दिया

हमने ही चुनी राह गलत कहीं।

उसने तो हमको इन्सां बनाया

पर कीमत हमने जानी नहीं।

हम इन्सां बने, हैवान बने, ज्यादा हद से गिरे

फ़ंसे जो भी दल-दल मे,उससे कोई निकलता ही नहीं।

इशारा है उसका अब भी यही

वक़्त अभी भी गुजरा नहीं

इस जीवन का कोई भरोसा नहीं

कर सकें नेकी कर लें सही।

000

पूनम

25 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय पूनम जी..
    नमस्कार !
    हमने ही चुनी राह गलत कहीं। उसने तो हमको इन्सां बनाया पर कीमत हमने जानी नहीं। हम इन्सां बने, हैवान बने
    कविता इसी तरह हमें सजग करती रहे।
    ...........बहुत सुन्दर
    सार्थक सन्देश देती...........कविता

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  2. "उसने तो हमको इन्सां बनाया
    पर कीमत हमने जानी नहीं"

    सत्य वचन

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  3. इशारा है उसका अब भी यही
    वक़्त अभी भी गुजरा नहीं ।
    इस जीवन का कोई भरोसा नहीं
    कर सकें नेकी कर लें सही।
    --
    सार्थक लेखन के लिए बधाई।

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  4. सार्थक सन्देश देती...........कविता

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  5. सत्य वचन . इश्वर ने हमे इन्सान बनाकर भेजा है हम बुराई में लिप्त होकर इंसानियत खो देते है . कर्मों का फल तो यही मिल जाता है . सुँदर विचार . आभार .

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  6. किये की सज़ा यहीं मिलती है.... पर जानते हुए भी ईश्वर बना आदमी सीखता नहीं , बिना सोचे समझे किसी को कुछ कहने से रुकता नहीं , अक्सर ख़ामोशी उनके हाथ आती है जो कुछ नहीं करते

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  7. पिछ्ले जन्मों का तो पता नहीं

    इस जनम मे जो किया भरना यहीं।


    खुदा ने तो हमको सब कुछ दिया

    हमने ही चुनी राह गलत कहीं।

    बहुत सार्थक सन्देश...काश सभी इस को अमल में ला पाते तो इस दुनियां का कुछ और ही रूप होता..बहुत सुन्दर

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  8. इशारा है उसका अब भी यही
    वक़्त अभी भी गुजरा नहीं ।
    इस जीवन का कोई भरोसा नहीं
    कर सकें नेकी कर लें सही।
    बेहद अच्छी सार्थक कविता मेरे मन के भाव भी उजागर कर दिए

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  9. अच्छा किया या किया बुरा

    सबकी सजा है भुगतनी यहीं।


    पिछ्ले जन्मों का तो पता नहीं

    इस जनम मे जो किया भरना यहीं।

    bahut sahi aur achchha likha hai aapne.

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  10. बहुत ही बढ़िया ....एकदम सच ...जो है यहीं है..... यही तो समझना है

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  11. हम इन्सां बने, हैवान बने, ज्यादा हद से गिरे

    फ़ंसे जो भी दल-दल मे,उससे कोई निकलता ही नहीं

    सार्थक और सटीक चिंतन ...सन्देश देती अच्छी रचना

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  12. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  13. पूनम जी नमस्ते
    बहुत प्रेरणा दाई कबिता अध्यात्मिक कबिता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
    उसने तो इंशा बनाया पर
    कीमत हमने नही जानी.

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  14. आदरणीया पूनम श्रीवास्तव जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    बहुत शिक्षाप्रद है आपकी कविता … आभार !
    इंसान बनो करलो भलाई का कोई काम
    दुनिया से चले जाओगे , रह जाएगा बस नाम

    अति उत्तम !

    * श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  15. सच है एक बार कोई दलदल में फंस जाये तो निकलना चाहे तो भी नहीं निकल सकता ,उसके लिये बहुत बडे मनोबल की आवश्यकता है।इस जन्म का फल इसी जन्म में मिलने वाली बात बिल्कुल ठीक है पूर्व जन्म का क्या पता और कभी कभी पूर्वजन्म की बात अविश्वसनीय भी लगती है क्योंकि कई लेाग पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते। जीवन की अनिश्चतता के दृष्टिगत जितनी नेकी कर सके करले । बहुत अच्छी , सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती रचना ।

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  16. आपके ब्लॉग पर पहली दफा आना हुआ.बहुत अच्छा लगा आपके पवित्र विचारों को जानकर.
    आपके पावन विचारों की कुछ वृष्टि मेरे ब्लॉग
    'मनसा वाचा कर्मणा'पर भी हो जाये तो आभारी हूँगा आपका.राम-जन्म पर भी आपको सादर निमंत्रण है.कृपया,निराश न कीजियेगा.

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  17. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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  18. नेकी करने में ही भला है !very good

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  19. इशारा है उसका अब भी यही
    वक़्त अभी भी गुजरा नहीं ।
    इस जीवन का कोई भरोसा नहीं
    कर सकें नेकी कर लें सही।
    bahut sundar aur sachchi baat kah di aapki rachna .aaj hum isi vishya par ghar me charcha bhi karte rahe .

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  20. सार्थक सन्देश देती कविता,बहुत सुन्दर.....

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  21. भावमयी सुंदर प्रस्तुति ....आपका आभार

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