सोमवार, 2 मई 2011

सर्प – दंश


सच्चाई की झलक भी न हो जिसमें

मुझपे ऐसी तोहमत तो लगाया न करो।

सामने आती है सच्चाई थोड़ी देर से ही

पर सच को झूठ का आईना तो दिखाया न करो।

मैंने चाहा है सराहा है भरोसा भी किया तुम्हीं पर

मेरी चाहत पे यूं इल्जाम तो लगाया न करो।

शक वो मर्ज है जिसकी तो कोई दवा ही नहीं

गैर की बातों में आकर यूं तो बहका न करो।

हक है तुम्हें दिल की बात मुझसे तो कहो

पर सर्प सा दंश दे देकर मुझे यूं घायल तो न करो।

जलती हूं मोम की लौ की तरह गल गल कर

यूं शब्दों के तीर हर पल तो चलाया न करो।

वफ़ा तो वफ़ा से ही होती है बेवफ़ाई से नहीं

फ़िर मेरी मुहब्बत को यूं रुसवा तो सरे आम न करो।

मेरा दर्पण मेरा शृंगार मेरा जीवन हो तुम्हीं तुम

यूं मुझे ना समझ पाने की तो नासमझी न करो।

वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम

पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।

000

पूनम

40 टिप्‍पणियां:

  1. MERI CHAHAT PAR UN ILJAAM LAGAYA NA KARO. . . . . . . . . . . .MAM BAHUT HI ACHI RACHNA HAI. . . . . . .JAI HIND JAI BHARAT

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  2. वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।
    वाह जी वाह बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ..

    शुभकामनाये..

    avinash001.blogspot.com

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  3. ईमानदारी पर शक, गुनाह होता है ! शुभकामनायें !

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  4. मेरा दर्पण मेरा शृंगार मेरा जीवन हो तुम्हीं तुम
    यूं मुझे ना समझ पाने की तो नासमझी न करो।

    वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।

    बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने .. इन पंक्तियों के लिये बधाई ।

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  5. मन के भावों को बहुत गंभीरता से लिखा है

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  6. वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।

    फिर पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत...
    अच्छी रचना...

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  7. खूबसूरत गजल ...सुन्दर प्रस्तुति...बधाई.

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  8. सरल भावों को व्यक्त करना बहुत कठिन है।

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  9. सच्चाई की झलक भी न हो जिसमें

    मुझपे ऐसी तोहमत तो लगाया न करो।


    सामने आती है सच्चाई थोड़ी देर से ही

    पर सच को झूठ का आईना तो दिखाया न करो।

    kaise samjhoge , badee taklif hoti hai

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  10. जलती हूं मोम की लौ की तरह गल गल कर
    यूं शब्दों के तीर हर पल तो चलाया न करो।
    ....
    उलाहनों से सजी एक सुन्दर प्रस्तुति ...
    धन्यवाद पूनम जी !

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  11. सरल भावों को व्यक्त करना बहुत कठिन है। बहुत सुन्दर गजल!

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  12. पूनमजी साँच को आँच नहीं लगती ! सोना तो सदैव सोना ही है !

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  13. वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।
    ....bahut sundar manobhavon kee prastuti.... shubhkamnayen...

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  14. बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना धन्यवाद

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  15. मेरा दर्पण मेरा शृंगार मेरा जीवन हो तुम्हीं तुम
    यूं मुझे ना समझ पाने की तो नासमझी न करो।


    हृदयस्पर्शी ....गहन अभिव्यक्ति

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  16. शक वो मर्ज है जिसकी तो कोई दवा ही नहीं
    गैर की बातों में आकर यूं तो बहका न करो ...
    बहुत खूब ... सही कहा है शक जिस भी किसी इंसान को हो जाए वो खुद जल जाता है ... दूसरों को भी जला देता है ...
    अच्छी भाव ले कर लिखी है रचना ...

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  17. बहुत सुन्दर रचना!
    --
    आज के चर्चा मंच पर आपकी चर्चा विशेषरूप से लगाई गई है!

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  18. पूनम!
    बहुत ही सुन्दर उलाहना है!! काश समझाने वाले इसे समझ पाते!!

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  19. सुंदर भावाभिव्यक्ति। मन के भाव को शब्द बयां कर रहे हैं।

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  20. har ek shabd man ki bhavnao ko sunderta aur shaaleenta se uker raha hai. sunder kavita.

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  21. वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।

    भावनाओ की कोमल अभिव्यक्ति. बहुत सुंदर लगी यह कविता.

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  22. वैसे तो हर लाइन मन को छूने वाली है। लेकिन ये लाइन वाकई बहुत अच्छी है।

    शक वो मर्ज है जिसकी तो कोई दवा ही नहीं
    गैर की बातों में आकर यूं तो बहका न करो।

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  23. वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।
    kya baat hai sunder likha hai

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  24. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब गजल लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  25. aachary ji
    mera housl badhane v mere blog par aane ke liye aapko sadar naman.aapka koi link nahi mil raha hi isi liye apne blog par hi aapko sadar dhanyvaad de rahi hun .
    aasha hai ki isi tarah se aage bhi aap mera utsaah badhate rahenge .
    koi trutiyan ho to unse bhi avgat kataiyega
    hardik abhinandan
    poonam

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  26. आपकी टिपण्णी और उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

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  27. बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना|धन्यवाद|

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  28. वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।

    वाह क्या बात है ! बहुत सुन्दर !
    शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....

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  29. अंतिम पंक्तियों ने तो कमाल कर दिया.... बहुत सुंदर.........

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  30. हमेशा की तरह सुँदर और भावपूर्ण और सरल अभिव्यक्ति .आभार .

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  31. बेशक शक का इलाज तो लुकमान हकीम के पास भी नहीं था । वैसे ही तो गल गल कर पिघल रहे है उपर से शब्दों के वाण। दर्पण श्रृगार जीवन तुम ही हो । जब मेरी असलियत आप पर जाहिर होगी तब सिवाय पश्चाताप के कुछ हाथ न आयेगा । बहुत बहुत अच्छी रचना । इस अंतिम लाइन में पछताया न करेा मे कुछ तब्दीली सम्भव नहीं है क्या ?

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  32. सामने आती है सच्चाई थोड़ी देर से ही
    पर सच को झूठ का आईना तो दिखाया न करो।

    बहुत ही भावपूर्ण रचना लिखी है आपने..अच्छा लगा...धन्यवाद

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  33. मेरा दर्पण मेरा शृंगार मेरा जीवन हो तुम्हीं तुम
    यूं मुझे ना समझ पाने की तो नासमझी न करो।

    वो भी वक्त आएगा जब हकीकत से रूबरू होगे तुम
    पर वक्त निकल जाये तो फ़िर पछताया न करो।

    शक के 'सर्प-दंश' को बहुत सुन्दर ढंग से व्यक्त किया आपने.साथ ही आपका समर्पण और शक के सर्प-दंश का मुकाबला .निश्चित ही शक को समर्पण के समक्ष एक न एक दिन पछताना ही पड़ेगा.सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  34. पूनम जी सुन्दर रचना हर एक पंक्ति लाजबाब -निम्न पंक्ति तो सचमुच होश रखने के लिए कहती है ये शक बहुत ही खराब बीमारी है जो की अच्छे अच्छे घर को तोड़ बर्बाद कर देती है

    शक वो मर्ज है जिसकी तो कोई दवा ही नहीं

    गैर की बातों में आकर यूं तो बहका न करो।

    प्यारे भाव युक्त रचना बधाई हो
    शुक्ल भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  35. पूनम जी सुन्दर रचना हर एक पंक्ति लाजबाब -निम्न पंक्ति तो सचमुच होश रखने के लिए कहती है ये शक बहुत ही खराब बीमारी है जो की अच्छे अच्छे घर को तोड़ बर्बाद कर देती है

    शक वो मर्ज है जिसकी तो कोई दवा ही नहीं

    गैर की बातों में आकर यूं तो बहका न करो।

    प्यारे भाव युक्त रचना बधाई हो
    शुक्ल भ्रमर ५

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