मेरे मन ने कही,मेरे मन ने सुनी
मेरे दिल की बात मेरे मन मे रही।
दो अजनबी मिले
नदी के दो पाट की तरह।
जानते थे वो एक होंगे नहीं
पर फ़िर भी संग संग चलते रहे।
पर विश्वास इसी में,प्रेम इसी में
लहरें एक दूजे को छूती रहीं।
एक वक्त ऐसा भी आया जब
साथी दोनों बिछड़ गये।
पर जितने दिन भी साथ रहा
वो जीवन में इक छाप छोड़ गये।
पर जीवन तो नदी का पाट नहीं
इक रथ के दो पहिये हैं।
इक बिगड़ा तो दूजे ने सम्भाला
पर साथ ना कभी छोड़ा अपना।
जीवन की यही तो रीति बनी
जिस बन्धन में बाँधा हमको।
रथ का पहिया यूँ ही चलता रहे
जीवन में बहुत है ये जीने के लिये।
000
पूनम
साथी के लिए सकारात्मक अभिव्यक्ति के जरिये आपका समर्पण हमेशा जीत हासिल करे यही शुभकामनायें हैं !
जवाब देंहटाएंमेरे मन ने कही,मेरे मन ने सुनी
जवाब देंहटाएंमेरे दिल की बात मेरे मन मे रही।
samay ko ab karvat lelena chahiye :)
bahut sunder abhivykti .
बहुत सारगर्भित रचना...
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण कबिता बेहद सकारात्मक बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंनमस्ते पूनम जी
इक बिगड़ा तो दूजे ने सम्भाला
जवाब देंहटाएंपर साथ ना कभी छोड़ा अपना।
जीवन की यही तो रीति बनी
जिस बन्धन में बाँधा हमको।
रथ का पहिया यूँ ही चलता रहे
जीवन में बहुत है ये जीने के लिये।
सुंदर ...प्यारी कविता ...... सकारात्मक संवेदनशील मनोभाव
अति सुंदर रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपर जीवन तो नदी का पाट नहीं
जवाब देंहटाएंइक रथ के दो पहिये हैं।
इक बिगड़ा तो दूजे ने सम्भाला
पर साथ ना कभी छोड़ा अपना।
....
Aadarniya Poonam ji bahut sundar aur sargarbhit Rachna...Dhanyavaad.
अच्छी सोच के साथ लिखी हुई कविता. शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएं' rath ka pahiya yun hi chalta rahe '
जवाब देंहटाएंbahut achha poonam
तुम फूलो में हो तुम सावन में हो...
जवाब देंहटाएंतुम फूलो में हो तुम सावन में हो,
मेरे दिल का बगीचा सारा ही खाली, नाचती मोरनी सी आँगन में हो,
तुम फूलो में हो तुम सावन में हो,
आज कान्हा गए है बरसाने राधे ,
पता ये चला है,तुम वृन्दावन में हो,
तुम फूलो में हो तुम सावन में हो
तुम धरा की हो देवी हो नभ की हवा
तुम समंदर में हो आग पावन में हो
तुम फूलो में हो, तुम सावन में हो
क्यों ना आये ये दिल अब उसी चाँद पर,
वो चाँद वो तारे जिसके दामन में हो
तुम फूलो में हो, तुम सावन में हो
मेरे दिल का बगीचा सारा ही खाली, नाचती मोरनी सी आँगन में हो,
तुम फूलो में हो, तुम सावन में हो
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"अगर अच्छा लगा तो ब्लॉग पर जाएये, लिंक: http://prabhat-wwwprabhatkumarbhardwaj.blogspot.com/
दिल जिनका नर्म और दिमाग सादा था,
जवाब देंहटाएंजिनसे उम्र भर साथ निभाने का वादा था
आज वे ही गुमराह कर बैठे है मुझे
जिन पर विश्वास मुझे खुद से ज्यादा था
आईने भी इजहार करने लगे है,
छुप छुप के दीदार करने लगे है,
मेरी तस्वीरे उनकी किताबो से मिली है,
सबूत है, वो प्यार करने लगे है
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"अगर अच्छा लगा तो ब्लॉग पर जाएये, लिंक: http://prabhat-wwwprabhatkumarbhardwaj.blogspot.com/
दो अजनबी मिले
जवाब देंहटाएंनदी के दो पाट की तरह।
जानते थे वो एक होंगे नहीं
पर फ़िर भी संग संग चलते रहे।
विश्वास इसी में,प्रेम इसी में
aur nihsandeh ek sukun bhi isi me
मेरे मन ने कही,मेरे मन ने सुनी
जवाब देंहटाएंमेरे दिल की बात मेरे मन मे रही।
वाह ... बहुत खूब बेहतरीन शब्दों में अनुपम प्रस्तुति ।
sahi kaha satesh sir ne...:)
जवाब देंहटाएंbahut pyari si rachna......
बहुत सुंदर... मेरे मन ने कही,मेरे मन ने सुनी,
जवाब देंहटाएंमेरे दिल की बात मेरे मन मे रही। ऐसा सच जो वाकई मन के काफी करीब है।
जीवन की रथ / ट्रेन हमेशा चलती रहेगी ! दो पटरिया ( सुख और दुःख ) कभी नहीं मिलेंगी !बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ...यही जीवन चक्र है
जवाब देंहटाएंमेरी बात रही मेरे मन में , कुछ कह न सकी उलझन में । साथ साथ चलते है पर मिल नहीं सकते, वक्त ने हमे रेल की पटरी बना दिया ।एक बहुत गहरी बात कही गई है इस रचना में कि जितने दिन का साथ रहा एक छाप छोड गये। अन्तिम तो बहुत ही बढिया है कि एक बंधन जो बंध गया है तो जब तक जीवन है वस रथ का पहिया चलता रहे चलता रहे और किसी की नजर न लगे , एक दूजे को सम्हालते हुये यह जीवन यात्रा पूरी होजाये । बहुत बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआदरणीय पूनम जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
नदी के दो पाट की तरह। जानते थे वो एक होंगे नहीं पर फ़िर भी संग संग चलते रहे।
.......बेहद खूबसूरत शब्दों का संगम है इस अभिव्यक्ति में
man ki bhavnaon kee behad khoobsurat abhivyakti.badhai.
जवाब देंहटाएंजानते थे वो एक होंगे नहीं
जवाब देंहटाएंपर फ़िर भी संग संग चलते रहे
bahut sundar bhavabhivyakti.
बहुत खूब, बेहतरीन प्रस्तुति.........
जवाब देंहटाएंहमारी परम्पराओं और समाजी सरोकार की बात है यह.. बहुत ही खूबसूरत!!
जवाब देंहटाएंparallel lines never meet but travel together...till infinity...
जवाब देंहटाएंरथ का पहिया चलता रहे
जवाब देंहटाएंजीवन में बहुत है यह जीने के लिये ।
कितना सही कहा है । जीवन रथ के दोनो पहियों में जरूरी है सांमजस्य । चलना तो उन्हें समांतर ही है ।
बहुत बढिया ।
aur sunnneye, aapne poora blog pada...? aasha hai ab aap poora blog padh kar apni priy kavita par mujhe mujhe comment dengi..
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित रचना|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंजीवन से भरी , और उत्प्रेरित करती खूबसूरत रचना . सुँदर भाव में लिपटी हुई . आभार .
जवाब देंहटाएंएक वक्त ऐसा भी आया जब
जवाब देंहटाएंसाथी दोनों बिछड़ गये।
पर जितने दिन भी साथ रहा
वो जीवन में इक छाप छोड़ गये।
वाह ! बहुत ही सुन्दर..
पूनम जी मेरे ब्लॉग per अपना कीमती वक्त देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आगे भी प्रोत्साहित करते रहिएगा
avinash001.blogspot.com दोस्तों आपका इंतजार रहेगा
दोनों पहियों का चलना आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंरथ का पहिया यूँ ही चलता रहे,
जीवन में बहुत है ये जीने के लिये।
आपकी बात पसंद आई.
बहुत सारगर्भित रचना|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंमेरे मन ने कही,मेरे मन ने सुनी
जवाब देंहटाएंमेरे दिल की बात मेरे मन मे रही।
...sach mein aisi duvidha jidangi mein bahut baar aati hai jab ham apne man kee baat kisi ko share nahi kar paate hain..
bahut badiya prastuti.. haardik shubhkamnayne..
namaskaar ji
जवाब देंहटाएंbahut hi parbhavit kiya aapki iss rachna ne bahut sunder likhte hein aap
aapka abhar
der se pahuchne ke liye maafi chahata hoon
जवाब देंहटाएंपूनम जी आप मेरे ब्लॉग पर आईं रचना को सराहा मेरे लिये तो बहुत खुशी का दिन था । आशा है आपका स्वास्थ्य अब सम्हल रहा होगा । मेरे लिये भी कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है नेट पर जाना जब और आवश्यक काम सामने आ जाते है । दोस्तों में क्षमा कैसी । स्नेह बनाये रखें ।
जवाब देंहटाएंजीवन की एक सच्चाई को बड़े सरल शब्दों में प्रस्तुत किया ....अच्छा लगा.. बधाई
जवाब देंहटाएंदो अजनबी मिले
जवाब देंहटाएंनदी के दो पाट की तरह। जानते थे वो एक होंगे नहीं पर फ़िर भी संग संग चलते रहे। पर विश्वास इसी में,प्रेम इसी में लहरें एक दूजे को छूती रहीं। एक वक्त ऐसा भी आया जब साथी दोनों बिछड़ गये। पर जितने दिन भी साथ रहा वो जीवन में इक छाप छोड़ गये।
Bahut sahi kaha aapne poonam ji..Bahut acchhi rachna.
रथ का पहिया यूँ ही चलता रहे
जवाब देंहटाएंजीवन में बहुत है ये जीने के लिये।
bahut sahi baat kahi ,saath rahe bas ek doosre ko sambhalte huye ,badhiya .