शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

कुछ लघु कवितायें


(एक)

वह मशक्कत कर रहा

था जी तोड़

सिर्फ़ दो जून की रोटी

के लिए

बदले में पाता था

वह कम पैसे और

ज्यादा मांगने पर

गालियां बेशुमार।

000

(दो)

वो बेशर्म हो के

निकली आज

अपने घर से

कल तक जिसे हम

हया रूप कहते थे।

000

(तीन)

उसकी पेशानी पर

पड़ रही थी

धूप की रुपहली

किरणें जिन्हें वह

अपनी मुटठियों में बंद करने की

कोशिश कर रहा था

भान नहीं था उसे कि

वह एक छालावा है।

000

(चार)

खेल खेल रहा था

वो आग से

मौत का कुआं

जिसमें वह कूद रहा था

अपनी जिन्दगी को

दांव पर लगाकर

अपने परिवार की

पेट की आग

बुझाने के लिये

पर वाह री तकदीर

आग उसकी जिन्दगी से खेल गई।

000

(पांच)

रात के गहन सन्नाटे में

मैं सोते से

जाग पड़ी किसी की

सुनकर चीख

पर वो अंधेरे

में ही

दबा दी गई।

000

(छः)

देख आसमानी

फ़िजाओं को तेरी

याद आती है बहुत

जाने कब ये अपना

रुख बदल दे

जल्दी से आ

जाओ ना।

000

पूनम

47 टिप्‍पणियां:

  1. दूर से आया पवन का एक झोका
    इंन कुरीतियों को हमने भी देखा
    पढकर रचनाओ को मन भर गया
    अच्छी क्षणिकाओ का सुंदर झरोखा..
    लाजबाब प्रस्तुति ....
    नए पोस्ट पर स्वागत है ...

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  2. पूनम जी सभी क्षणिकाएं हमारे समाज के एक हिस्सा को आइना दिखा रही हैं | बहुत सुंदर बधाई

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  3. बड़ी ही सुन्दर और संवेदनशील कविताये..

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  4. वाह! वाह! वाह! पूनम जी
    बस 'वाह! वाह! वाह!जी.

    देख आसमानी फ़िजाओं को
    तेरी याद आती है
    बहुत जाने कब
    ये अपना रुख बदल दे
    जल्दी से आ जाओ ना।

    आपकी सुन्दर अनुपम प्रस्तुति पर टिपण्णी करने
    के लिए और शब्द नही हैं मेरे पास.

    आभार.

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  5. sabhi shanikayen badhiya hain..
    last wali jayada achchi lagi..
    jai hind jai bharat

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  6. प्रत्येक क्षणिकाओं की अपनी एक गहराई है

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  7. इन लघु कविताओं में बड़े-बड़े संदेश निहित हैं।

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  8. सभी क्षणिकांए एक से बढकर एक
    बहुत बढिया

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  9. बहुत सुंदर एवं बहुत ही मार्मिक रचना सच में अब तो कोई सार्थक कदम उठाया ही जाना चाहिए बाल मजदूरी के खिलाफ ....

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  10. कवितायें लघु हैं या संवेदनाओं का सघन कैप्स्यूल?
    मेरे ख्याल से लघु कविता लिखना लम्बी कविता लिखने से ज्यादा कठिन काम होता है!

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  11. क्षणिकाओं में छुपे गहन सन्देश ..बहुत अच्छी प्रस्तुति ..

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  12. सारी क्षणिकाएँ बहुत ही भावपूर्ण दिल को सीधे छूती है और एक सार्थक सन्देश भी देती है.

    बहुत बधाई पूनम जी इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.

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  13. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  14. संवेदनशील रचनाएं...
    भीतर घर सी करती हुई...
    सादर बधाई...

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  15. बेहद संवेदनशील क्षणिकाएं हैं सब.अंतर्मन पर असर करती सी.

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  16. सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर लगा! बेहतरीन पोस्ट!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  17. पर वाह री तकदीर
    आग उसकी जिन्दगी से खेल गई।

    और

    जाग पड़ी
    किसी की सुनकर चीख
    पर
    वो अंधेरे में ही
    दबा दी गई।
    सारी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक ..बधाई हो पूनम जी !

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  18. बेहतरीन रचनाएँ !

    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
    http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

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  19. पूनम जी - मेहनत और मजदूरी ही इन गरीबो की रोटी है ! काश इनके लिए कुछ करने वाले , कुछ कर पाते ! समयाभाव की वजह से आप के ब्लॉग पर रेगुलर नहीं आ पाता हूँ ! क्षमाप्रार्थी हूँ ! बहुत ही सुन्दर और सच्चाई की पोल खोलती कविता !बधाई

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  20. bahut hi sundar gahan bhav liye marmsparshi kshanikayen prastuti hetu aabhar!

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  21. प्रिय पूनम जी
    सादर नमन
    अतिसुंदर!
    जीवन को मन के दर्पण से देखने में एक पीडा होती है पर वो ही तो जीवन का यथार्थ है!
    मन को छू लेने वाली क्षणिकाएं!!
    बहुत-बहुत शुभकामनाएं..
    सारिका मुकेश

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  22. आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।

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  23. Aapka blog mujhe apni or khichta hai. Gahan lekh, dil ko chu jate hai...
    Sabhi sundarta se prastut ki gayi hai. Dhanyawaad.
    Shubh Din:)

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  24. पूनम जी,..आपका मेरे नए पोस्ट-वजूद-में
    स्वागत है ..

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  25. बड़ी ही सुन्दर प्रस्तुति ...

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  26. aap mere blog par aayi aur comment dekar aapne mera jo utsah badaya hai...apka hardik..aabhar...

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  27. सभी बहुत प्रभावी ... गहरी क्षणिकाएं हैं सभी ...सच को लिख रही हैं ...

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  28. सारी क्षणिकाएँ बहुत ही भावपूर्ण पूनम जी


    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  29. पूनम जी ..बहुत सुन्दर रचना ...सभी विषय मुद्दों को शामिल करती ..चिंता भी होती है बाल जगत के साथ खिलवाड़ देख... ..बाल दिवस पर शुभ कामनाएं - हमारे सभी प्रिय बच्चों को भी बाल दिवस की बहुत ढेर सारी -इत्ती सी शुभ कामनाएं --रोशन करो इस जग को ये जहां तुम्हारा है -
    बहुत सारा प्यार
    भ्रमर ५
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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  30. Came here to read your next offering, still not disappointed, as this one was worth a second read. Have a fantastic day:)

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  31. बहुत अच्छी और प्रभावी क्षणिकाएँ ...

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  32. समय मिले तो मेरे एक नए ब्लाग "रोजनामचा" को देखें। कोशिश है कि रोज की एक बड़ी खबर जो कहीं अछूती रह जाती है, उससे आपको अवगत कराया जा सके।

    http://dailyreportsonline.blogspot.com

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