बुधवार, 16 नवंबर 2011

आ मुसाफ़िर लौट आ


आ मुसाफ़िर लौट आ अब भी अपने डेरे पर,

भटकता रहेगा कब तलक,तू यूं ही अब डगर डगर।

दिन ढले सूरज भी देख जा छुपा है आसमां में,

सुरमई शाम आ चुकी है अब अपने वक्त पर।

पेड़ पशु पक्षी भी देख अब तो सोने जा रहे,

कह रहे हैं वो भी अब तू भी तो जा आराम कर।

लुटा दिया जिनकी खातिर तूने जीवन अपना ताउम्र,

क्या तुझे पूछा उन्होंने इक बार भी पलटकर।

तेरे ही लहू के अंश हो गये तितर बितर,

बेगाने हो गए जिन्हें तूने रखा सीने से लगाकर।

जाने वक्त की घड़ी कब किधर रुख बदल ले,

कब तक खड़ा रहेगा तू जिन्दगी के हाशिये पर।

वक्त है अब भी सम्हल जा अपने लिये भी सोच तू,

जी लिया गैरों की खातिर अपने लिये भी जी ले जी भर।

000000

पूनम

38 टिप्‍पणियां:

  1. Hi..

    Apne kandhon par uthaye bojh jo chalta raha..
    Wo kaabhi bhi, saans tak..
    Lene ki khatir na ruka..

    Sundar bhaav...

    Deepak Shukla..

    जवाब देंहटाएं
  2. दिनभर के श्रम को रात का विश्राम आवश्यक है।

    जवाब देंहटाएं
  3. कई अर्थों को समेटे हुए एक अच्छी रचना बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुति तमाम भावों को समेटे हुए ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही अच्छे भाव कलम को बख्शें हैं आपने ।


    अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।

    औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्‍दर भाव कविता के। अगर इन पंक्तियों को एक समान मीटर में लिखा जाये तो सोने पे सुहागा वाली बात हो जायेगी।

    जवाब देंहटाएं
  7. पूनम जी , इस कविता में एक छुपी हुयी दर्द और उसके साथ ही हर एक की एक किनारा होता है - को आपने बहुत ही सहज भाव में प्रस्तुत कर दिखाया है ! बहुत - बहुत शुभ कामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  8. पूनम जी इंसान बस वापस ही नही लौटना चाहता चाहे नीड कितना भी दुखदायी क्यो ना हो उससे जुडा रहना चाहता है जब तक कि कोई उसे बाहर ना निकाले………॥जबकि अन्तिम परिणति तो यही है ना……………अगर हम सब पहले ही इस सत्य को जान ले और स्वीकार कर ले तो जीना बहुत आसान हो जाये।

    जवाब देंहटाएं
  9. वक्त है अब भी सम्हल जा अपने लिये भी सोच तू,

    जी लिया गैरों की खातिर अपने लिये भी जी ले जी भर।
    बहुत ही बढि़या ...भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

    जवाब देंहटाएं
  10. एक पेंटिंग की तरह सुन्दर कविता है पूनम बहिन!!

    जवाब देंहटाएं
  11. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सच कहा है ... सही समय पर अपने बारे में सोच लेना चाहिए ... कहीं देर न हो जाए ..

    जवाब देंहटाएं
  13. जी लिया गैरों की खातिर अपने लिये भी जी ले जी भर।
    --------
    अब बहुधा इस सोच से दो चार होता हूं।

    जवाब देंहटाएं
  14. सोचने पर विवश करती अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  15. आपकी पोस्ट पर देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.बहुत सुन्दर भावपूर्ण और प्रेरक प्रस्तुति है आपकी.

    बहुत बहुत आभार पूनम जी.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    नई पोस्ट पर हार्दिक स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  16. पूनम जी बहुत सुन्दर ...काश लोग इस पर विचार करें और ऐसा न हो ....अपने लहू सदा हमारे बने रहें ...
    बधाई हो ..सुन्दर सीख देती रचना
    भ्रमर ५


    लुटा दिया जिनकी खातिर तूने जीवन अपना ताउम्र,

    क्या तुझे पूछा उन्होंने इक बार भी पलटकर।


    तेरे ही लहू के अंश हो गये तितर बितर,

    बेगाने हो गए जिन्हें तूने रखा सीने से लगाकर।

    जवाब देंहटाएं
  17. जाने वक्त की घड़ी कब किधर रुख बदल ले,

    कब तक खड़ा रहेगा तू जिन्दगी के हाशिये पर।

    ...रचना के भाव अंतस को गहराई तक छू जाते हैं...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार

    जवाब देंहटाएं
  18. क्या बात है,..सुंदर रचना ,..
    मेरे नए पोस्ट पर स्वागत है,,

    जवाब देंहटाएं
  19. bahut hi sunder kuchh pal apne liye bhi ji .sahi kaha aapne
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  20. लुटा दिया जिनकी खातिर तूने जीवन अपना ताउम्र,

    क्या तुझे पूछा उन्होंने इक बार भी पलटकर।

    तेरे ही लहू के अंश हो गये तितर बितर,

    बेगाने हो गए जिन्हें तूने रखा सीने से लगाकर...

    Ekdma sach ko sparsh karti panktiyan bahut sundar...

    जवाब देंहटाएं
  21. गहरे , बिचारणीय सुन्दर भाव .... आभार.

    होली की शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  22. कई संदर्भो को समेटी हुई कबिता यट्टम रचना बहुत-बहुत बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत सुंदर, अच्छी रचना कब तक खड़ा रहेगा तू जिन्दगी के हाशिये पर। वक्त है अब भी सम्हल जा अपने लिये भी सोच तू, जी लिया गैरों की खातिर अपने लिये भी जी ले जी भर।

    जवाब देंहटाएं
  24. जिंदगी से रूबरू कराती हुई कबिता-----
    खुबसूरत ----

    जवाब देंहटाएं