शनिवार, 10 दिसंबर 2011

जिन्दगी के लिये


क्यों नहीं छोड़ देते

उसे एक बार

अपनी तरह जीने के लिये।

क्यों हमेशा

उसे मेंड़ की तरह

बांधने की करते हो

कोशिश

वो तो

इस धरती का

ही आज़ाद जीव है।

जो अपनी

स्वतन्त्रता का हक़

रखती है

फ़िर क्यूं

भारी भारी पत्थर की

शिला डाल कर

राह में उसके

आगे पैदा करते हो

अड़चनें।

हर वक़्त

उसके चारों ओर

बुनने की

करते हो कोशिश

एक मकड़जाल।

उसे

खुला छोड़ के

देखो तो सही

कैसे

आज़ाद पंछी की तरह

अपने पंख फ़ड़फ़ड़ा कर

जब वो बंधन से निकलेगी

बाहर तो

खुशी का इज़हार करते

तुमसे वो थकेगी नहीं।

क्योंकि जिन्दगी तो

जीने का नाम है

ज्यादा पाबंदियां

लगाने पर

वह भी

एक दिन घुट घुट कर

तोड़ देती है दम।

इससे तो

अच्छा है

खुली हवा में

सांस लेने की कोशिश

सारी चिंताओं से परे होकर

फ़िर देखो

यही ज़िंदगी

कितनी सुहानी लगेगी।

लगेगा तुम्हें

कितनी बड़ी गलती

कर रहे थे

तुम

अपने आप को

व्यर्थ के बंधनों में

जकड़कर।

क्योंकि ज़रूरत से ज़्यादा

अति तो ठीक नहीं

चाहे वो

किसी के लिये भी हो

यानि ---

ज़िंदगी के लिये।

000

पूनम

47 टिप्‍पणियां:

  1. Punam ji...

    Naari ki vyatha-katha ki kahani batati aapki kavita use man main umadte bhavon ko bakhubi darsha rahe hain...

    Sundar bhav...

    Deepak Shukla..

    जवाब देंहटाएं
  2. Punam ji...

    Naari ki vyatha-katha ki kahani batati aapki kavita use man main umadte bhavon ko bakhubi darsha rahe hain...

    Sundar bhav...

    Deepak Shukla..

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  3. जिन्दगीकी सच्चाईया कैसे आकार लेती है बखूबी दर्शाया है आपने बधाई

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  4. जिंदगी क्या है बखूबी दर्शाया है अपनी इस सुंदर रचना मे भावपूर्ण प्रस्तुति,..बधाई ....
    मेरे नई पोस्ट.आज चली कुछ ऐसी बातें, बातों पर हो जाएँ बातें

    ममता मयी हैं माँ की बातें, शिक्षा देती गुरु की बातें
    अच्छी और बुरी कुछ बातें, है गंभीर बहुत सी बातें
    कभी कभी भरमाती बातें, है इतिहास बनाती बातें
    युगों युगों तक चलती बातें, कुछ होतीं हैं ऎसी बातें

    में आपका स्वागत है

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  5. बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.

    आपके अच्छे स्वास्थ्य की मंगल कामना करता हूँ.

    काफी दिनों से आपका मैं अपने ब्लॉग पर इंतजार कर रहा हूँ, पूनम जी.

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  6. sach aapki yh rachna padhkar man mazbur hotaa hai ek baar sochne ke liye kyun ham kyun nahi chod dete aapni zindagi ko ek baar jine ke liye
    waah poonam ji bahut khub likhaa hai aapne ...

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  7. पूनम जी खुली हवा में सांस लेना कुछ अलग ही मायने रखता है । आपने सही कहा है कि आज़ाद पंछी की तरह जीना एक अलग प्रकार का आनन्द है-
    क्योंकि जिन्दगी तो
    जीने का नाम है

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  8. मुक्त गगन हो, और हो उड़ना,
    सच में बदले, मन का सपना।

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  9. जीवन में उन्मुक्तता भी आवश्यक है. जिदगी के यथार्थ को समझाने की एक शानदार कोशिश. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

    बधाई.

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  10. जीवन दर्शन समझाती कविता मानो चलचित्र हो

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  11. सही है अति को वर्जित ही करना चाहिए..बहुत सुंदर

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  12. बहुत अच्छी बात कही आपने...शुभकामनाएँ!

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  13. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है पूनम जी ...शुरू से आखिर तक बंधे रही.यथार्त का सच्चा रूप.

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  14. अति विलक्छं मित्र! तुमने तो मानव संवेदना की शाश्वता ही सामने कर दी,इस मूल एकरूपता को शब्दों में बांधना इसकी कला से तुम परिपूर्ण हों मित्र,
    तुम्हरा स्वयं का भाव स्वयं में एक वृहत्तर उपलब्धि का भाव बनकर कविता में प्रस्फुटित होता है, मित्र ! सहजता और खुलापन ही तुम्हारे गुण है, और एक तटस्थ ललक उपलब्धि, !!

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  15. ye saal shuruvati dour se hi mere liye bahut hi pareshaniyon se bhara rha.
    aswasthta is kadar haavi rahi ki baar-baar main girti rahi aur uthne ki koshish karti rahi.
    isse mere parivar tatha meri lekhni par bhi bahut hi gahara asar pada.
    main to soch rahi thi ki shayad aap sabhi mujhe bhuul chuke honge .
    fir bhi maine apna kalam uthne ki choti si koshish ki. mujhe is baat ki itni jyaada prasnnta hui hai ki use shbdon me bandhna bahut bahut hi mushkil hai.
    aap sabhi badon ka aashishh choton ka sneh aur mitron ka nishchal pyaar bhara swagat yathavat tha.
    ab sai baba ki kripa v aap sabhi ki
    shubh kamnnao se lagbhag theek hi ho chali hun to dheere dheere likhne ki koshish karti rahungi.
    aap sabhi ke shubh kamnao ki aakanxhi------
    poonam

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  16. चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  17. आपकी तबियत में सुधार है जानकर खुशी मिली.ईश्वर करे कि आप पूर्णतया स्वस्थ होकर अपने सुन्दर लेखन से ब्लॉग जगत को सदा सदा प्रकाशित करती रहें.

    आपका दर्शन और प्रेरक वचन मेरा मनोबल बढते हैं,पूनम जी.

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  18. सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये स्वीकृत करें।

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  19. पूनम जी,अपनी अस्वस्थता के बाबजूद आप मेरे ब्लॉग पर आयीं यह आपका बड़प्पन है.
    अपने ब्लॉग पर आपके शुभ दर्शनों से ही कृतार्थ
    हो जाता हूँ मैं.यह मेरा परम सौभाग्य है कि आप जैसी सहृदय और प्रभु भक्त का मुझे सानिध्य प्राप्त
    हो रहा है.

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  20. आप कह रहीं थीं कि टिपण्णी करने फिर आउंगी

    ईश्वर आपको स्वस्थ और सुखी रखें

    आप जल्द आयें और मेरे उत्सुक मन को हरषायें.

    आपकी बातें अमृतमय होतीं हैं पूनम जी.

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  21. आप स्वस्थ और सुखी रहें, मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।

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  22. sunder kavita nari man ki bhavnaon ko zindagi ke madhyam se dikhaya hai sunder hsbdon me rachi rachna
    rachana

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  23. Bandhan kaisa bhi ho wah jindagi ki raftar awruddh kar deta hai...
    ek katuvi sachayee bayan kartin prerak rachna..

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  24. पूनम जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष
    २०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.

    मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.

    नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  25. गहरी समझ व्यक्त करती है रचना ..बिलकुल सत्य बात कही है आपने मे भी सहमत हूँ .... आभार

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  26. आपका बहुत दिनों से कोई समाचार नही है,पूनम जी.आप शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो यह दुआ और कामना करता हूँ

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  27. बहुत सार्थक अभिव्यक्ति स्त्री के मनोभावों की....

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  28. बहुत सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
    new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
    मै तो बहुत पहले से आपका समर्थक हूँ आपभी मझे
    फालो करे तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,....

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  29. हर किसी को चाहिए एक मुक्ताकाश.स्पर्शी अभिव्यक्ति.

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  30. बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति और मकर सक्रांति की शुभकामनाये!
    !एक ब्लॉग सबका

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  31. बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति और मकर सक्रांति की शुभकामनाये!
    !एक ब्लॉग सबका

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  32. पूनम जी, नमस्कार,
    आप तो लगता है कि प्रेम सरोवर ब्लॉग को भूल सी गई है लेकिन मैं आप सबको साथ में लेकर चलने में विश्वास करता हूं । बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " हो जाते हैं क्यूं आद्र नयन पर ": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद। .

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  33. bahut hi gahari abhivyakti ....nari mn ka sahaj rekhachitr padhane ko mila .....sach hai yug badala pr Nari ko unmuktata nahi prapt ho saki ...badhai Ponam ji apki prastuti behad prabhavshali hai

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  34. बहुत ही प्रशंसनीय प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  35. पूनम जी, आप अपना समाचार दीजियेगा,प्लीज.
    सब कुशल मंगल है न.

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  36. poonam kaisee ho ?
    mai bhee tumhara anjane hee sath de rahee thee .
    maine Hemant jee se kaha tha reports ke liye bitiya ko
    London dikhaee ja saktee thee .

    bahut hee sunder aur gahree abhivykti.

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  37. बहिन पूनम,
    अपना ध्यान रखें... स्वस्थ रहें.. कविता सिर झुकाने को बाध्य करती है..
    लेकिन कमेन्ट अपनी जगह है.. आज बस उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ!!

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