कह दो दिलों से आज कि इक दिल ने आवाज दी है
बन जाओ सहारे उनके जो कि बेसहारा हैं।
गुलामी की वो जंजीरें जो टूटी नहीं हैं अब तलक
तोड़ दो उन पाबन्दियों को जिन पर हक़ तुम्हारा है।
बड़ी फ़ुरसत से वो इक शै बनाई है खुदा ने
वो तुम इंसान ही तो हो जिसे उसने संवारा है।
वक़्त कब किसका बना है आज तलक हम कदम
करो ना इन्तजार उसका जो कि नहीं तुम्हारा है।
करने से पहले नेकी का अंजाम ना सोचो
समझो कि हर बात में उसका ही इशारा है।
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पूनम
बेहतरीन, दमदार।
जवाब देंहटाएंAchhi ghazal.
जवाब देंहटाएंबहुत लाजबाब अभिव्यक्ति ,,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST: माँ,,,
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर
दुनिया तो दिल वाले ही चलाते हैं...समझदार तो खुद को बनाने में लगे हैं...नेक विचार...सुन्दर शब्दों में...
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक संदेश!
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना |
जवाब देंहटाएंइस समूहिक ब्लॉग में आए और हमसे जुड़ें :- काव्य का संसार
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करने से पहले नेकी का अंजाम ना सोचो
जवाब देंहटाएंसमझो कि हर बात में उसका ही इशारा है...बहुत सुन्दर
करने से पहले नेकी का अंजाम ना सोचो
जवाब देंहटाएंसमझो कि हर बात में उसका ही इशारा है।
बहुत सुंदर और लाजबाव.
"बन जाओ सहारे उनके जो कि बेसहारा हैं"
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूब...|
बहुत सुन्दर रचना है.. बधाई.
जवाब देंहटाएंutsaah badhati rachna.
जवाब देंहटाएंमन को सकारत्मक उर्जा प्रदान करती सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंनवरात्री की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
सरल भाषा में दिल की खूबसूरत अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबधाई !
बहुत ही अच्छा लिखा है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना ...
जवाब देंहटाएंबधाई आपको !