शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

कह दो हर दिल से-----



कह दो दिलों से आज कि इक दिल ने आवाज दी है
बन जाओ सहारे उनके जो कि बेसहारा हैं।

गुलामी की वो जंजीरें जो टूटी नहीं हैं अब तलक
तोड़ दो उन पाबन्दियों को जिन पर हक़ तुम्हारा है।

बड़ी फ़ुरसत से वो इक शै बनाई है खुदा ने
वो तुम इंसान ही तो हो जिसे उसने संवारा है।

वक़्त कब किसका बना है आज तलक हम कदम
करो ना इन्तजार उसका जो कि नहीं तुम्हारा है।

करने से पहले नेकी का अंजाम ना सोचो
समझो कि हर बात में उसका ही इशारा है।
000
पूनम





18 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  2. दुनिया तो दिल वाले ही चलाते हैं...समझदार तो खुद को बनाने में लगे हैं...नेक विचार...सुन्दर शब्दों में...

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  3. बहुत प्यारी रचना |

    इस समूहिक ब्लॉग में आए और हमसे जुड़ें :- काव्य का संसार

    यहाँ भी आयें:- ओ कलम !!

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  4. करने से पहले नेकी का अंजाम ना सोचो
    समझो कि हर बात में उसका ही इशारा है...बहुत सुन्दर

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  5. करने से पहले नेकी का अंजाम ना सोचो
    समझो कि हर बात में उसका ही इशारा है।

    बहुत सुंदर और लाजबाव.

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  6. "बन जाओ सहारे उनके जो कि बेसहारा हैं"
    बहुत ही खूब...|

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  7. मन को सकारत्मक उर्जा प्रदान करती सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ....
    नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाओं सहित

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  8. सरल भाषा में दिल की खूबसूरत अभिव्यक्ति..
    बधाई !

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  9. बहुत ही अच्छा लिखा है। धन्यवाद।

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  10. प्रभावशाली रचना ...
    बधाई आपको !

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