मंगलवार, 20 नवंबर 2012

चाहत




बीते पलों को याद कर
जरा तुम मुस्कुरा लेना
तेरे साथ ही हूं मैं सदा
एहसास यही बस कर लेना।

मेरी जिन्दगी में आना भी
तेरा हुआ कुछ इस तरह से
बाद पतझड़ के ज्यूं
छुप के बसंत का आना ।

जुबां से कोई कुछ भी कहे
उस पर न यकीन करना
सजा रखा है दिल ने
बस तेरा आशियाना।

सागर है कितना गहरा
इससे न हैं हम वाकिफ़
तेरी नजरों में जब से डूबे
मुश्किल उबर भी पाना।

दिल की तो हर धड़कन
मेरी सांसों का शरमाया
जाना तुझी से हमने
जिन्दगी को यूं जी लेना।

दुआ रब से यही है मेरी
बस इतना करम तू करना
निकले जनाजा मेरा
मेरी मांग फ़िर से भरना।
   0000
पूनम



20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अच्छी रचना,

    कसम जनाजे पे मेरे आने की खाते है ग़ालिब
    हमेशा खाते थे जो मेरी जान की कसम आगे."ग़ालिब"

    recent post...: अपने साये में जीने दो.

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  2. वाह...
    बहुत सुन्दर...रूमानी कविता..

    अनु

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    अरुन शर्मा - www.arunsblog.in

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  4. सागर है कितना गहरा इससे न हैं हम वाकिफ़ तेरी नजरों में जब से डूबे मुश्किल उबर भी पाना। ..kya kahne bahut khoob..

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  5. पूनम जी नमस्ते
    बहुत सुन्दर कबिता आप अभूत अच्छी कबिता करती है अधिक प्रसंसा करने पर भगवन करे की आपको अहंकार न आये.
    धन्यवाद

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  6. बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया और बढ़िया रचना पढ़कर आना सार्थक हुआ

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  7. बहुत गहरी बात ...बहुत सुंदर रचना ....शुभकामनायें ...

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  8. punam....
    wah kya bat kahi hai.antim pankti to bahut hi sundar lagi.

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  9. बीते लम्हों की सुन्दर प्रस्तुति ..

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  10. poonam kaisee ho ?
    mera to man bharee kar gayee ye panktiya.......pad kar...
    Aabhasee duniya se ek arase se mai sampark me nahee
    rah payee.

    Ateet kee yade v accha sath bhavishy kee rah ko sugam bana deta hai....

    apna dhyaan rakhana.

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  11. उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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