बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

उम्मीदें


दिल में तूफ़ानों का सैलाब है मगर
फ़िर भी होठों पर हसीं-मुस्कान लिये हैं।

नाव मझधार में फ़ंसी है मगर
फ़िर भी उम्मीदों की पतवार लिये हैं।

शरीर थक रहा है धीरे धीरे मगर
फ़िर भी अरमानों का आगाज लिये हैं।

भीगी भीगी आंखों से देख रही राह मगर
फ़िर भी वो आएगा या नहीं इंतजार लिये हैं।
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पूनम





12 टिप्‍पणियां:

  1. उम्मीद पर दुनिया कायम है ... सुंदर प्रस्तुति

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  2. हर शब्द की आपने अपनी 2 पहचान बना दी क्या खूब लिखा है "उम्दा "
    वहा वहा क्या खूब लिखा है जी आपने सुबान अल्ला
    मेरी नई रचना

    प्रेमविरह

    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  3. गतिमय जीवन के लक्षण हैं,
    हम स्थिर एकान्त जी रहे।

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  4. आशा की किरण में ही जीवन पल्ल्वित होता रहता है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. आनंद आनंद बहुत अच्छा अभूत
    मेरी नई रचना
    ये कैसी मोहब्बत है

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  6. अद्भुत,, शुभकामनाएं|

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