सोमवार, 4 मार्च 2013

टाल मटोल


टालमटोल  टालमटोल
सब करते हैं टालमटोल।

भैया से पूछूं तो कहते
अभी बताता हूं पहले तू
ठंढा पानी दे के मुझको
चाय में थोड़ी चीनी घोल
टालमटोल------------।

दीदी से कुछ बात करूं तो
प्यारी सी एक चपत लगाती
हाथ पकड़ चक्कर लगवातीं
फ़िर कर जाती बातें गोल
टालमटोल------------।

सारे दिन चौके में अम्मा
रोटी बेला करतीं गोल
पूछूं ये बनती है कैसे
तो हंस के कहतीं ज़रा कम बोल
टालमटोल--------------।

पेपर पर बाबू की नजरें
पढ़ती दुनिया का भूगोल
बोलूं इसमें क्या है ऐसा
कहते अक्ल के ताले खोल
टालमटोल------------।

मेरे मन में कई सवाल
पर मिला न कोई सही जवाब
दोस्त जरा तुम ही बतलाना
बातो का हमारी क्या है मोल
टालमटोल  टालमटोल
सब करते हैं टालमटोल।
********
पूनम




11 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच बड़ी समस्या,
    नहीं दीखता ठौर,
    कर दो टालमटोल।

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  2. कहते अक्ल के ताले खोल !
    वाह ..

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  3. सरल शब्दों में रची सादगीपूर्ण बेहतरीन रचना ... बधाई

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  4. बहुत अच्छी कविता । बधाई । सस्नेह

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  5. टाल मटोल का यह झोल
    सुन्दर सुन्दर मस्त मस्त

    आभार पूनम जी.

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