गुरुवार, 15 अगस्त 2013

चित्रात्मक कहानी ---- जल्दबाज कालू

                                                             एक बंदर था।नाम था कालू।पर दिल का बहुत साफ़ था।हमेशा लोगों की सहायता करता था।पर कालू की एक बुरी आदत थी।हर काम को जल्दबाजी में करने की।इससे अक्सर उसके काम बिगड़ जाते।वह दुखी हो जाता।

एक दिन वह बैठा सोच रहा था कि कैसे अपनी इस आदत को बदले। उसी समय उसे
भालू पीठ पर कुछ लकड़ियां लेकर जाता दिखा।कालू को लगा कि इसकी सहायता करनी चाहिये।वह कूद कर भालू के सामने पहुंचा,लाइये दादा मैं ये लकड़ियां पहुंचा दूं।
  भालू थक गया था।उसे लगा कालू की मदद ले लेनी चाहिये।उसने लकड़ियां उसे दे दीं।कालू ने कहा,दादा आप आराम से आइये।मैं आपकी ये लकड़ियां लेकर आगे चलता हूं।और वह लकड़ियां लेकर तेजी से आगे बढ़ चला।
  
थोड़ा आगे एक जंगली नाला था।नाले का बहाव भालू की गुफ़ा की ओर था।कालू
बंदर ने सोचा---क्यों न मैं लकड़ियां नाले में डाल दूं।पानी के साथ बह कर गुफ़ा तक
पहुंच जाएंगी।मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी।
  बस उसने कालू की लकड़ियों का गट्ठर नाले में डाल दिया।नाले का बहाव तेज था।
लकड़ियां तेजी से बहने लगीं।उनके पीछे पीछे कालू ने भी दौड़ लगा दी।
    पर कालू बहुत तेज नहीं दौड़ पा रहा था।लकड़ियां आगे बह गईं।कालू ने सोचा कि भालू की गुफ़ा आने तक तो मैं इन्हें पकड़ लूंगा।
    कालू बहुत तेज उछला।बहुत तेज दौड़ा।पर वह पानी के बहाव के साथ नहीं दौड़
सका।लकड़ियां भालू की गुफ़ा से आगे बह गयीं।कालू उन्हें नहीं पकड़ सका।वह उदास
 होकर गुफ़ा के सामने बैठ गया।

            कुछ ही देर में वहां भालू भी आ गया।कालू बंदर को उदास देख उसने
 पूछा,क्या हुआ।
   कालू ने उसे पूरी बात बताई।भालू हंस पड़ा।उसने कालू को समझाया,जल्दी में काम बिगड़ जाते हैं।अपने काम आराम से किया करो।
बात कालू को समझ में आ गई।उसने उसी दिन से जल्दबाजी की आदत छोड़ दी।
                        --------
            मेरी यह कहानी दिनांक-24-06-13 को दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र "नेशनल दुनिया" में भी पकाशित हुयी थी।
                           

पूनम श्रीवास्तव

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शुक्रवार (16-08-2013) को बेईमान काटते हैं चाँदी:चर्चा मंच 1338 ....शुक्रवार... में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सोच समझ कर किया गया काम सही होता है,जल्दबाजी में लिया गया अक्सर गलत होता है ,,,

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

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  3. बहुत ही अच्छी सिख देती कहानी..
    सुन्दर..
    :-)

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  4. bahut sunder v prenadayak story..
    http://prathamprayaas.blogspot.com

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  5. बहुत अच्छी कहानी, सार्थक सीख देती..

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (19.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

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  7. कनाही के माध्यम से अच्छा सन्देश दिया है आपने ..

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  8. मजा आ गया ... सुन्दर बाल कथा
    भ्रमर ५

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  9. रहस्यमयी बाल कहानी | बधाई

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  10. हमें कोई भी कार्य सोच समझ करना चाहिए

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