मन ने कहा
चलो एक साथी नया बनायें
किसी से वक्त बांटें,बातें करें
कुछ उसकी सुनें कुछ अपनी कहें।
एक तो श्रीमान जी
सुबह गये ढले शाम घर आये
फ़िर दिन का लेखा जोखा
क्यों सुनें और सुनायें
है आज भी मेरा एक साथी
जो मेरा साथ देने को
हरदम तैयार
लेकिन उसकी मजबूरियां हैं
क्योंकि वो भी
है किसी के अधीन।
पर मैंने उससे विनती की
रोज नहीं तो दो चार
दिन पर ही आ जाया करो
थोड़ा मन बहलेगा।
वो भी मूक दर्शक की तरह
मेरी बातें सुनता रहता है
लेकिन हमने उससे ये भी कहा
कि देखो दगाबाजी मत करना
ऐसे लोग मुझे पसन्द नहीं।
फ़िर भी वो आया
करीब एक सप्ताह के बाद
मुझे पहले तो उस पर
बहुत ही गुस्सा आया
बहुत झुंझलाई
पर वो एक निरीह पशु
के समान चुपचाप
सिर झुकाये मेरी बात
सुनता रहा।
फ़िर मुझे लगा शायद
मैं कुछ ज्यादा ही बोल गयी
काम बिगड़ जायेगा
मैंने उसको प्यार से समझाया
और कहा देखो तुम अपना भी
ध्यान नहीं रख पाते
इसीलिये तुम्हें भी एक साथी की जरूरत है।
मैंने बड़े प्यार से उसके
कपड़ों को झाड़ा
बड़े ही मन से उसकी
उंगलियां सहलायीं
और अपने हाथों ही
उसके चेहरे को साफ़ किया
मेरे इतना करने भर से ही
उसका चेहरा झिलमिला उठा।
पता नहीं उसको
मेरा स्नेह अच्छा लगा या नहीं
पर फ़िर भी
उसकी मुस्कुराहट देखते ही
बनती थी।
मैंने फ़िर उससे बातचीत
करने का सिलसिला शुरू किया
और वो भी मेरा साथ देने के लिये
खुशी खुशी तैयार हो गया।
कुछ मैंने अपने मन की कही
उसकी भी ध्यान से सुनी
और खुशी खुशी जवाब दिया
फ़िर उसने कहा साफ़ साफ़
शब्दों में देखो दोस्ती में
विश्वास का पुट होना चाहिये
मैं रोज का वादा तो नहीं
कर सकता
वो तुम जानती हो
फ़िर भी दगाबाज कहने में
नहीं चूकती हो
हां इतना वादा है जरूर साथ तुम्हारा
दूंगा हमेशा जब तक तुम चाहोगी।
पर अभी वक्त क्यों खराब
कर रही हो
जो कहना है कह डालो
जल्दी जल्दी
पर एक अनुनय है
अपना विश्वास मुझ पर
कायम रखना।
(अरे---- अरे------ जनाब, कहां चल दिये आप।पूरी पोस्ट तो पढ़ते जाइये। ये नये साथी मेरे कोई और नहीं मेरे कम्प्युटर और इन्टरनेट महोदय हैं। जो अक्सर ही आजकल धोखा दे जाते हैं। और मैं उनके आने का इन्तजार करती रहती हूं।क्यों आश्चर्य में पड़ गये न आप………JJ)
000
पूनम
कम्प्युटर और इन्टरनेट! हम तो सोचते थे टिप्पणी करने वाले ब्लॉगर महोदय हैं! :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंmai to kuch aur soch raha tha....par ant me mera bhram tuta..........nice poem........sach me internet & computer humsab ke bhut hi bade sathi hai....thnks
जवाब देंहटाएं... kyaa baat hai ... ek anokhaa dost !!!
जवाब देंहटाएंरोचक! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंविलायत क़ानून की पढाई के लिए
सुंदर पोस्ट /
जवाब देंहटाएंनए साल की बधाई
पूनम जी, अंदाज अच्छा लगा कंप्यूटर महराज से शिकायत का... सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
रमिया काकी
आप की रचना बहुत सुंदर ओर रोचक लगी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकम्प्यूटर तो मौन हो बतियाते रहते हैं, संकेतों में।
जवाब देंहटाएंज़ोर का झटका हाए ज़ोरों से लगा!!पूनम जी, अच्छा सस्पेंस बनाया है आपने.. अमीर खुसरो की "का सखि साजन,ना सखि नेट" वाली बात हो गई!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएं:):) बहुत बढ़िया ....मजेदार पोस्ट
जवाब देंहटाएंयहाँ आपका स्वागत है
गुननाम
वाह पूनम जी पहेलिया भी आप बहुत अच्छा बुझती है पोस्ट अच्छा लगा सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंपूनम जी
जवाब देंहटाएंरोचक लगा आपका यह प्रस्तुतीकरण ...मस्त अंदाज ..शुक्रिया
पूनम जी कहीं यह हमारी बात तो नहीं हो रही थी। चलिए अब हम भी आ गए हैं।
जवाब देंहटाएंPunam jee....kya baat kah di aapne...agar last me clarify nahi hota...to ham sab comment karne wale khud ke liye sochte rah jate...:)
जवाब देंहटाएंnaye saale ki shubhkamnayen..
maine vishwaas se baal sanwar liye hain ... haan ab sunne ko taiyaar hun
जवाब देंहटाएंअति सुंदर।
जवाब देंहटाएं---------
अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
लोगों को अच्छा बहकाया आपने.
जवाब देंहटाएंबात भी ठीक है.
-----पूनम
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति... .बधाई.नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंha ha , maza aa gaya. ekdam satik .
जवाब देंहटाएंहाँ भयी ! सच में धोखा खा गए...लगता है बचपना अभी बाकी है ... यह कवित है या पहेली...अथवा समय काटने की सहेली घर हो समय पाता ही नहीं चलता क्यों बनवाई इतनी बड़ी हवेली..अब तो समय काटे नहीं कटेगा बैठना पड़ेगा हरदम एक सहेली.. लेकिन स्स्व्धा प्यारी ही, भरोसेवाली हो...लेकिन ऐसा करना उसे मत चुनना जो जो रिश्ते में उनकी साली हो ,,,,,......कृपया अन्यथा लें. इसे स्वस्थ मनोरंजन की दृष्टि से देखे.......नववर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएं...
जवाब देंहटाएंअरे वाह ....बहुत सुंदर प्रस्तुति, मजेदार भी...
जवाब देंहटाएंनववर्ष-2011 की अशेष शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और रोचक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंएक ब्लोगर के लिए कम्पूटर से भला अच्छा साथी और क्या हो सकता है !
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
हा हा हा
जवाब देंहटाएंकाफ़ी गोल गोल घुमाया।
हमने भी एक चक्कर लगाया
तब समझ में माजरा आया
ये तो नेट है भाया ।
सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आभार
ji nahi bilkul ashchary me nahi pade...sbahdo ke itne sunder kram se sajaya hai ki akal kaam kar gayi.
जवाब देंहटाएंsunder prastuti.
पूनम जी
जवाब देंहटाएं...आपका यह प्रस्तुतीकरण बहुत सुन्दर
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
जवाब देंहटाएंवाह ....बहुत ही खूबसूरत शब्दों का चयन ...सुन्दर शब्द रचना के लिये बधाई ।
जवाब देंहटाएंNAYA SAAL 2011 CARD 4 U
जवाब देंहटाएं_________
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please open it
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/”**I**”/
/ “MISS” /
/ “*U.*” /
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“LOVE”
“*IS*”
”LIFE”
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/ “LIFE” /
/ “*IS*” /
/ “ROSE” /
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“ROSE”
“**IS**”
“beautifl”
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/”beautifl”/
/ “**IS**”/
/ “*YOU*” /
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
सुन्दर कविता....
जवाब देंहटाएंनव वर्ष(2011) की शुभकामनाएँ !
बहुत सुन्दर लगी कविता...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा कंप्यूटर से शिकायत का
जवाब देंहटाएंआपने तो सकते में डाल दिया था ,रोचक पोस्ट
.नव वर्ष की शुभकामनाये ,नया साल आपको खुशियाँ प्रदान करे
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं