गुरुवार, 26 जुलाई 2012

प्रकृति के रंग


प्रकृति ने बिखेरी अनुपम छटा
देखने को आंखें बरबस मचल उठीं
सूरज की किरणों ने धरती को चूमा
धरा भी गुनगुनी धूप में नहा उठी।

चांद ने जो रात में चांदनी बिखेरी
पृथ्वी रुपहली चादर में लिपटी
पहाड़ों से झरनों की जो फ़ूटी धार
हर तरफ़ कल-कल निनाद सी गूंज उठी।

बांसों के झुरमुट में सरसराती हवा
बांसुरी के स्वर जैसी लहरा उठी
हरी हरी घास पर ओस की बूंदें
नई नवेली दूल्हन सी मुस्कुरा उठीं।

हरियाली खेतों में झूमती सरसों
मानों खुशी के गीत सी गा उठी
भोर के प्रांगण में पक्षियों की कलरव
वीणा के तारों सी झंकृत हो उठी।
000
पूनम


20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर पूनम जी.....
    मनभावन रचना है....आँखों के समक्ष कई दृश्य घूम गए....

    सस्नेह
    अनु

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  2. बेहद मनोरम प्रकृति चित्रण...

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  3. प्रकृति का मनोरम सुंदर चित्रण,,,,बधाई पूनम जी,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  4. भोर के प्रांगण में पक्षियों की कलरव
    वीणा के तारों सी झंकृत हो उठी।

    आपकी अनुपम प्रस्तुति ने मन को
    मधुर मधुर झंकृत कर दिया है.

    निराले उल्लासमय
    भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
    के लिए हार्दिक आभार,पूनम जी.

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  5. प्रकृति के श्रंगार का बहुत ही सुंदर, मानो सब कुछ सामने ही दिखाई दे रहा है.

    रामराम.

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  6. चाँद, बांसुरी, हवा, हरियाली ... सावन का महीना ... हर तरफ प्राकृति का चित्रण ... सुन्दर बना रहा है इस रचना को .... बहुत ही लाजवाब ...

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  7. अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति ... आभार

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  8. पूनम जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'झरोखा' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 28 जुलाई को 'प्रकृति के रंग...' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

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  9. बांसों के झुरमुट में सरसराती हवा
    बांसुरी के स्वर जैसी लहरा उठी
    हरी हरी घास पर ओस की बूंदें
    नई नवेली दूल्हन सी मुस्कुरा उठीं।

    बहुत सुंदर ... अच्छी प्रस्तुति

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  10. तमाम रंग बिखेरता सुंदर गीत.

    बधाई.

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  11. यही तो निर्मल श्रावणी छटा और प्रेम है | जिसकी गहराई मंपना मुश्किल है | बधाई पूनम जी
    http://gorakhnathbalaji.blogspot.com/2012/08/blog-post.html

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  12. .

    बहुत सुंदर पूनम जी !
    प्रकृति की सुगंध से सराबोर आपकी यह काव्य रचना पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया …

    इन भावों का कुछ पल का सान्निध्य जो आह्लाद प्रदान करता है , यही लेखनी की सार्थकता है ।

    आशा है, आपका स्वास्थ्य अब अच्छा है …
    परमपिता परमात्मा कृपा बनाए रहे …
    शुभकामनाओं सहित …

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