प्रकृति ने बिखेरी अनुपम छटा
देखने को आंखें बरबस मचल उठीं
सूरज की किरणों ने धरती को चूमा
धरा भी गुनगुनी धूप में नहा उठी।
चांद ने जो रात में चांदनी बिखेरी
पृथ्वी रुपहली चादर में लिपटी
पहाड़ों से झरनों की जो फ़ूटी धार
हर तरफ़ कल-कल निनाद सी गूंज उठी।
बांसों के झुरमुट में सरसराती हवा
बांसुरी के स्वर जैसी लहरा उठी
हरी हरी घास पर ओस की बूंदें
नई नवेली दूल्हन सी मुस्कुरा उठीं।
हरियाली खेतों में झूमती सरसों
मानों खुशी के गीत सी गा उठी
भोर के प्रांगण में पक्षियों की कलरव
वीणा के तारों सी झंकृत हो उठी।
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पूनम
बहुत सुन्दर पूनम जी.....
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना है....आँखों के समक्ष कई दृश्य घूम गए....
सस्नेह
अनु
बेहद मनोरम प्रकृति चित्रण...
जवाब देंहटाएंप्रकृति का मनोरम सुंदर चित्रण,,,,बधाई पूनम जी,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,इन्तजार,,,
बेहद खूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंभोर के प्रांगण में पक्षियों की कलरव
जवाब देंहटाएंवीणा के तारों सी झंकृत हो उठी।
आपकी अनुपम प्रस्तुति ने मन को
मधुर मधुर झंकृत कर दिया है.
निराले उल्लासमय
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
के लिए हार्दिक आभार,पूनम जी.
मनभावन रचना .....
जवाब देंहटाएंप्रकृति के श्रंगार का बहुत ही सुंदर, मानो सब कुछ सामने ही दिखाई दे रहा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
चाँद, बांसुरी, हवा, हरियाली ... सावन का महीना ... हर तरफ प्राकृति का चित्रण ... सुन्दर बना रहा है इस रचना को .... बहुत ही लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar prakriti ka sakshatkar kara diya apne .---dhanyabad
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति ... आभार
जवाब देंहटाएंप्रकृति यहाँ सजझज कर आती..
जवाब देंहटाएंपूनम जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'झरोखा' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 28 जुलाई को 'प्रकृति के रंग...' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
बांसों के झुरमुट में सरसराती हवा
जवाब देंहटाएंबांसुरी के स्वर जैसी लहरा उठी
हरी हरी घास पर ओस की बूंदें
नई नवेली दूल्हन सी मुस्कुरा उठीं।
बहुत सुंदर ... अच्छी प्रस्तुति
तमाम रंग बिखेरता सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंबधाई.
यही तो निर्मल श्रावणी छटा और प्रेम है | जिसकी गहराई मंपना मुश्किल है | बधाई पूनम जी
जवाब देंहटाएंhttp://gorakhnathbalaji.blogspot.com/2012/08/blog-post.html
Sundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पूनम जी !
प्रकृति की सुगंध से सराबोर आपकी यह काव्य रचना पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया …
इन भावों का कुछ पल का सान्निध्य जो आह्लाद प्रदान करता है , यही लेखनी की सार्थकता है ।
आशा है, आपका स्वास्थ्य अब अच्छा है …
परमपिता परमात्मा कृपा बनाए रहे …
शुभकामनाओं सहित …
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंsundar rachna
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