गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

दीवानगी की हद


मौत आती भी नहीं जां जाती भी नहीं

भंवर में फ़ंसे मांझी सी सांसें अटकी ही रहीं।

तेरे यादों के दिये जलाये हैं हुये

पर तू आस पास नजर आई ना कहीं।

खयालों में डूबा हूं तेरे इस कदर

न यहीं का रहा ना रहा कहीं।

ये दीवानगी की ही हद है शायद मेरी

एक तरफ़ा प्यार मेरा कभी तो जीतेगा सही।

मेरे प्यार की जुस्तजू है प्यार की इन्तहां

तेरे इनकार पर भी एतबार नहीं।

प्यार की ताकत है कोई कच्ची डोर नहीं

खिंची चली आयेगी तू रहे जहां भी कहीं।

धड़कनें देतीं दस्तक दिल के बन्द पट खोल जरा

मुस्कराता सा नजर आऊंगा बंद पलकों से ही देख सही।

तेरे कदमों की आहट को सुन रहा हूं कब से

तेरी राहों में हरदम मेरी पलकें हैं बिछी ।

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पूनम

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

मुस्कुराहट


किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना

कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।

गम के आंसुओं में मत डुबाओ किसी को इस कदर

कहीं इक दिन तुम्हारा भी दामन न उसमें तर जाये।

मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम

कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।

किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो

कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।

बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना

तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

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पूनम