शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

मुस्कुराहट


किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना

कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।

गम के आंसुओं में मत डुबाओ किसी को इस कदर

कहीं इक दिन तुम्हारा भी दामन न उसमें तर जाये।

मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम

कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।

किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो

कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।

बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना

तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

000

पूनम

49 टिप्‍पणियां:

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत सुंदर..........बेहतरीन...बड़े दिनों के बाद..कहा थी आप....हमे तो आपकी रचनाओं का इंतजार था।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।

bahut sahi kaha ... aur bahut achha likha hai

केवल राम ने कहा…

मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।

आपने जीवन के उस सत्य को उद्घाटित करने का प्रयास किया है ..जिसकी तलाश में इंसान हमेशा रहता है .....और जो इंसान इन बातों से उपर उठ जाता है सही मायने में वो इन पंक्तियों का मतलब समझ जाता है ...बहुत सुंदर भाव ...आपका शुक्रिया

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

bahut hi gahre ehsah hai........ sunder prastuti.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर पूनम जी ....संवेदनशील पंक्तियाँ.... जो एक सुंदर बात सिखाती हैं.... आभार

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

पूनम जी! वाह क्या विचार सुमन दिया है आपने, अगर कुछ कह पाऊँ तो कबीर से उधार लेके बस इतना कि:

"कबिरा गर्व न कीजीये कभहु न हंसिये कोय,
अबहिं तो नाव समुन्दरहि को जाने का होय!"

विशाल ने कहा…

बहुत ही बढ़िया सन्देश.
शुभ कामनाएं

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय पूनम जी..
नमस्कार
किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये। बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

...संवेदनशील पंक्तियाँ बहुत सुंदर भाव आपका शुक्रिया

संजय भास्‍कर ने कहा…

कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

इधर स्वास्थ्य की गड़बड़ी के कारण मैं न तो कम्प्युटर पर काम कर पा रही थी न ही किसी ब्लाग पर आ पा रही थी। इस अनुपस्थिति के लिये मैं क्षमा प्रार्थी हूं। आप लोग मेरे ब्लाग पर आये इसके लिये मैं आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा कर रही हूं। अब मैं धीरे धीरे पुनः आप सभी के ब्लाग पर पहुंचूंगी। पूनम

रचना दीक्षित ने कहा…

बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

प्रेम के रस में सराबोर जीवन के सत्य को पहचानने की अनूठी कोशिश. सुंदर कविता के लिए शत शत बधाइयाँ.

पूनम जी आपके अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना. आपकी ब्लॉग पर अनुपस्थिति बिलकुल बरदास्त नहीं. आगे बीमार होने का प्रयास भी न करें.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

जो आप बोते हैं वही काटते हैं, जैसा देते हैं वैसा ही पाते हैं.. यही सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना.. धन्यवाद पूनम जी!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार।

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह जी बहुत सुंदर लगी आप की यह विचारो भरी रचना धन्यवाद

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुंदर सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना| धन्यवाद |

OM KASHYAP ने कहा…

मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।
किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो
कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।

बहुत सुंदर भाव .आपका शुक्रिया

ॐ कश्यप में ब्लॉग जगत में नया हूँ
कृपया आप मेरा मार्ग दर्शन करे
धन्यवाद
http://unluckyblackstar.blogspot.com/

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों से सजाया है आपने इस अभिव्‍यक्ति को ...बेहतरीन ।

Udan Tashtari ने कहा…

किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।

-सच कहा!!


सुन्दर रचना!

कविता रावत ने कहा…

किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
गम के आंसुओं में मत डुबाओ किसी को इस कदर
कहीं इक दिन तुम्हारा भी दामन न उसमें तर जाये
.....bilkul sahia kaha aapne.. dusaron par jo hansta hai ek n ek din wah pachhtata jarur hai..

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मत खोदो मौत के गड्ढे किसी के लिये भी तुम
कहीं खुद तुम्हारे ही पांव न उसमें धंस जायें।

बहुत खूब ....
पूनम जी सही राह दिखा रही हैं .....

amit kumar srivastava ने कहा…

delicate but true lines..

अभिषेक मिश्र ने कहा…

बहुत ही सार्थक पंक्तियाँ.

Unknown ने कहा…

आदरणीय पूनम जी,

इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि आपने हृदयस्पर्शी और समाज को आईना दिखाने वाली रचना लिखी है|

इस विधा को उत्तरोत्तर बढाते रहना होगा, जिससे समाज में संवेदनाओं और सरोकारों का महत्व बना रहे|

लोगों के बीच इतने सटीक शब्दों में सच्चाई को बयां करने का माद्दा कितने से लोगों में होता है?

आपकी रचना आपके जिन्दा होने का सबूत है| अन्यथा तो इन दिनों लोग जिन्दा लाशों को ढो रहे हैं|

शानदार अभिव्यक्ति| साधुवाद|

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
फोन :0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666

निर्मला कपिला ने कहा…

बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना

तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।
बहुत अच्छा सन्देश दिया इस रचना के माध्यम से। बधाई। बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना

तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

Ravi Rajbhar ने कहा…

Bahut hi bhawpoorn prastuti rakhi aapne.
bahut-2 badhai.

mridula pradhan ने कहा…

किसी के प्यार का सिला इतनी नफ़रत से न दो
कहीं वो अंजाम तुम्हारे ही साथ न हो जाये।
behad achchi lagi...

Meenu Khare ने कहा…

बहुत बड़ी सीख देती छोटी सी कविता अच्छी लगी.वसन्तोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Kailash Sharma ने कहा…

बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना

तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

बहुत सार्थक और प्रभावपूर्ण प्रेरक रचना..बहुत सुन्दर भाव..आभार

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Aaj Kafi samay baad lauta hun..aur aate hi aapki ye sashakt aur bhavpurn rachna ka rasaswadan kar saka eske liye dhanyavad..

Yun bhi aapki rachnaon ki madhurta alag si hoti hai..

Subhkamnaon sahit...

Deepak..

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

सराहनीय आलेख।
प्रभावकारी लेखन के लिए बधाई।
=====================
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीया पूनम जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

प्यार भरा दिल रख' ज़रा देख लो इतना
तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये


सही है , कई बार एक स्नेहिल मुस्कान सौ दुःख भुलाने को पर्याप्त होती है…
सुंदर रचना के लिए आभार !

बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

नेट पर आजकल आपको कहीं देखा हुआ याद नहीं आ रहा ।
शस्वरं पर
पधारे हुए भी बहुत समय हो गया ।
आशा है, सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये

बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना है.
आप आपने स्वास्थ्य की तरफ ज़रूर ध्यान दीजियेगा.
शुभकामनायें.

वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा पूनम जी!
किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये



सही बात है.................जीवन कभी एक सा नहीं रहता................आज आप जिस पर हँस रहे हैं...........हो सकता है कल भी आप उसी राह से गुजरें।


एक निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

बेनामी ने कहा…

कितना अच्छा लिखती हैं आप , सच में आँखें भर आती हैं...पढने हुए .
हमारे ब्लॉग पर भी आये आपका वेलकम है

वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर ने कहा…

डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
“वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।

ashish ने कहा…

बहुत ही अर्थपूर्ण , भाव भरी और सार्थक कविता .

Rajender Singh Nagie ने कहा…

बहुत अच्दे तरिके से आपने एक असहाय की की पीड़ा को दशार्या है।

Unknown ने कहा…

kya kare post hi itani pyari hai ki dubara comm likhna pada,
waise aaye the new rachna ki talas me.
asa hai jaldi hi padhane ko milegi.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

बस प्यार भरा दिल रख ज़रा देख लो इतना

तुम्हारी मुस्कुराहट से ही किसी की ज़िन्दगी संवर जाये।

sachmuch muskaraahat baantane ke liye hi bana hai .
ise jitana baanto utana badata hi jaata hai.
bahut sundar bhaw.

Sunil Kumar ने कहा…

किसी की बेबसी पर मत हंसो इतना
कि बेबसी को भी इक दिन तूम पर न तरस आये।
एक सुंदर बात सिखाती हैं......
पूनम जी आपके अच्छे स्वास्थ्य की मंगलकामना

संजय भास्‍कर ने कहा…

happy birthday

संजय भास्‍कर ने कहा…

many many happy returns of the day...

संजय भास्‍कर ने कहा…

जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय पूनम जी..
नमस्कार
जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं

Mithilesh dubey ने कहा…

बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

baten to aam hai lekin man ko bheetar tak lagne wali per fir bhi koi sambhalta nahi aur dusro ko dard dete waqt bhool jata hai ki kabhi uski bhi bari aayegi. sunder rachna.

वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर ने कहा…

पूनम जी आपकी कविता हमने ‘पथ के साथी’ पर प्रकाशित की है। कृपया देखिये- http://pathkesathi.blogspot.com/


कहाँ गये पेड़ों के रक्षक?

पूनम श्रीवास्तव जी की एक कविता प्रकृति के लिये..............

आज धरा है हमसे पूछती
क्यों प्रकृति लगती खाली?
जहाँ कभी थे झूमते पेड़
और चहुँदिशि थी हरियाली।

जो हमको जीवन देते,
उनकी जान ही खतरे में डाली।
कहाँ गये पेड़ों के रक्षक?
कहाँ खो गये वन-माली?

ज्योति सिंह ने कहा…

satyam shivam aur sundaram ,sachchi baate hai sabhi .