बुधवार, 15 जून 2011

निराला-बचपन

बचपन तो होता है निराला

निश्छल, निर्मल,मस्ती वाला

दुनिया से उसको क्या मतलब

वो तो खुद ही भोला- भाला ।

मां की गोदी में लोरी

सुन कर वह तो सो जाता

बातें करता परियों के संग

सपनों में वो मतवाला ।

ना कोई चिंता,ना ही फ़िकर

मस्ती में बीते हर पल

चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान

देख के हंस दे रोने वाला।

बचपन सबके संग में खेले

ऊँच नीच की बात न मन में

सबके दिल को प्यार से जीते

वो तो है मन मोहने वाला।

वो धमा चौकड़ी,वो लड़ी पतंग

वो ब्याह रचाना गुड़िया का गुड्डे के संग

वो पूड़ी हलवा मेवे वाला

सच में वो बचपन अलबेला।

कुछ खट्टा कुछ मीठा बचपन

होता कुछ कुछ तीखा भी बचपन

भूले से भी ना भूलने वाला

यादों में हरदम बसने वाला।

काश ये बचपन हरदम रहता

दुनिया का उसपर रंग ना चढता

कोई अगर मुझसे पूछे तो

माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला।

000

पूनम

63 टिप्‍पणियां:

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

अपनी बचपन की याद दिला दी आपने...सच में बचपन जैसा पल तो होता ही नहीं है कभी..बिल्कुल निश्चिंत..आज सोचता हूँ कितनी चिंता है,ये वो..पर बचपन तो बचपन था..जो लौट नहीं सकता फिर...लाजवाब लिखा है आपने,....धन्यवाद

Unknown ने कहा…

बहुत अच्छा चित्रित किया आपने बचपन को ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सचमुच, बिल्कुल, भोला भाला।

Rachana ने कहा…

bahut sunder kavita bahut dinobad padhi bachchon ki kavita thanks poonam ji
rachana

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

कितनी प्यारी भोली भाली कविता बचपन की......

Minoo Bhagia ने कहा…

wo kaghaz ki kashti wo barish ka paani ,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


कुछ चिट्ठे ...आपकी नज़र ..हाँ या ना ...? ?

SAJAN.AAWARA ने कहा…

MAM BAHUT PYARI KAVITA LIKHI HAI APNE, MERA BHI MAN BACHPAN ME JANE KE LIYE KARTA HAI, KYA KARE ESA MUMKIN TO NAHI HAI LEKIN BACHO KE SATH KHELKAR HUM BHI BACHE BAN SAKTE HAIN. . . . .
BAHUT KHUBSURAT RACHNA. . . .
JAI HIND JAI BHARAT

रचना दीक्षित ने कहा…

भूले से भी ना भूलने वाला
यादों में हरदम बसने वाला।
काश ये बचपन हरदम रहता
दुनिया का उसपर रंग ना चढता
कोई अगर मुझसे पूछे तो
माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला.

कोई लौटा दे मुझे बीते हुए दिन, सच पूनम जी काश ऐसा हो जाता. बधाइयाँ सुंदर भाव और बढ़िया लेखन के लिए.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

काश बचपन के दीं फिर कोई लौटा पाता .. सुन्दर रचना

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bachpan ki mohakta me baandh diya

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सुन्दर रचना

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Bahut hi pyara geet bachpan ko fir se jeene ki tamanaa.....
Hemant

ashish ने कहा…

बचपन कि याद दिला गयी आपकी कविता , अति सुँदर भोली भाली.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बचपन की याद दिला दिया...आभार

http://anusamvedna.blogspot.com ने कहा…

बचपन बहुत ही सुहावना होता है एकदम निर्मल और निष्कपट ....आप ने बचपन को बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया है इस रचना में ....

सदा ने कहा…

काश ये बचपन हरदम रहता
दुनिया का उसपर रंग ना चढता
कोई अगर मुझसे पूछे तो
माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला।
हर पंक्ति एक सच कहती हुई

बचपन के दिनों में खोती हुई ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Kailash Sharma ने कहा…

सच में बचपन कितना प्यारा और मासूम होता है..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच में बचपाम को जैसे जिया है आपने ... हूबहू कलम में उतारा है ... लाजवाब ...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

भूले से भी ना भूलने वाला

यादों में हरदम बसने वाला।


काश ये बचपन हरदम रहता

दुनिया का उसपर रंग ना चढता

बहुत सुंदर... आपकी रचनाओं में अलग ही स्वाद मिलता है। बचपन की याद दिलाती रचना कहना ठीक नहीं होगा, बल्कि बचपन की तस्वीर दिखाती कहना ज्यादा उचित होगा।

shikha varshney ने कहा…

ये दौलत भी ले लो....
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन..
जगजीत सिंह याद आ गए.
बहुत सुन्दर कविता काश बचपन लौट के आ पाता.

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

प्यारा सा बचपन )))))))

Jyoti Mishra ने कहा…

bachpan sach mein bohot nirala hota hai :)
very nice read !!!

Suman ने कहा…

poonam ji,
bahut sunder rachna hai ....

बेनामी ने कहा…

हम सभी के मनोभावों को चित्रित कर रही है आपकी ये प्यारी सी रचना - हर कोई यही चाहेगा
"माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला"

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी है!

G.N.SHAW ने कहा…

पूनम जी वैसे तो अपने बचपन किसी को याद नहीं होता , पर दूसरो के बचपन देख हम कल्पना कर ही लेते है ! बहुत ही कोमलता से बचपन को उधृत किया है आपने ! बधाई

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत प्यारी रचना.....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

सुन्दर रचना..........

Vandana Ramasingh ने कहा…

काश ये बचपन हरदम रहता
दुनिया का उसपर रंग ना चढता
कोई अगर मुझसे पूछे तो
माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला।....
सरल और सुन्दर चित्रण बचपन का

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत सुंदर भोली भाली बचपन की कविता , हमें तो यह याद आ रहा है| एक था बचपन ..

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर, प्यारी, मासूम और भोली भाली रचना लिखा है आपने और साथ ही साथ चित्र भी शानदार! मैं तो अपने बचपन के दिनों में लौट गयी! बहुत अच्छा लगा पूनम जी इतनी प्यारी कविता पढ़कर!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

Deepak Saini ने कहा…

बचपन की याद दिला दी
सुन्दर रचना

Sagar ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

ghughutibasuti ने कहा…

बहुत सुंदर! सबको बचपन में लौटा ले गईं आप.
घुघूती बासूती

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

अरे बाप रे!! कहाँ बचपन में ले गयी पूनम बहिन!! ये सब याद करने के बाद लगता है कि हमने क्या दौलत खो डी है.. सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविता याद आ गयी!!

Amrita Tanmay ने कहा…

Bachpan fir se paane ki chaahat ko hava de gayi aap...aabhar...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

पूनम जी बाल पन और और बाल मन का सुंदर चित्रण -बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं -बधाई हो

चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान

देख के हंस दे रोने वाला।


इसीलिए तो कहते हैं हम भी अगर बच्चे होते ....
शुक्ल भ्रमर ५

Alpana Verma ने कहा…

वो पूड़ी हलवा मेवे वाला

सच में वो बचपन अलबेला।

बहुत सुन्दर कविता..सच में बचपन होता ही बहुत निराला है.

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

bahut sunder chitran kiya hai bachpan ka aapne.....
:)hum mante hai ki hum to aaj bhi bachpan hi jee rahe hain.shararat aisi ho ki saamne wala sath dene ko mazboor ho jaye.....hum sabhi ke andar se bachpan(:@) kahin nahi gaya waqt ki dhool hai zara sabhi log hata kar to dekhiye apne aap hi aa jayega.fir wahi hasi thitholi hogi aapki zindagi mein,samajhdaari ka bojh jyada hi uthate hain hum sabhi log.zara bewkoof ban kar to dekhiye bada maza aata hai.sorry agar kuch bachpane mein galat likha ho:):)

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

काश वो दिन फिर मिल जाएं, बचपन तो है हमारे सामने मगर हमारे बच्चों का...

Rakesh Kumar ने कहा…

हमें तो आपके हृदय का निर्मल,निश्छल बचपन अभी भी दिखलाई पड़ रहा है.बचपन की अनुभूति तन से तो होती ही है,मन से ज्यादा होती है.कहतें हैं संत हृदय भी बालरूप,भोला भाला हो जाता है,जो सहज ही सबके मन को मोहता है.आपकी सुन्दर प्रस्तुति मन को मोह रही है.
देरी से आपके ब्लॉग पर आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.
हाल में ही यूरोप टूर से लौटना हुआ है.आपके ब्लॉग पर आकर मन मुग्ध हो गया.
बहुत बहुत आभार.

कविता रावत ने कहा…

Bachpan kee yadon ka sundar jharokha.... Bachoon ke jimedari sar par aane ke baad mujhe bhi apna bachpan bahut yaad aata hai...
aaj aapne yaad taaji kari..dhanyavaad

somali ने कहा…

sach..bachpan sach me bahut nirala hota hai.bahut pyari abhivyakti ki hai bachpan ki

रविकर ने कहा…

kaise follow karun

Dr Varsha Singh ने कहा…

काश ये बचपन हरदम रहता
दुनिया का उसपर रंग ना चढता
कोई अगर मुझसे पूछे तो
माँग लूँ दिन फ़िर बचपन वाला।

बचपन की यादें ताजा कर दी आपने...आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

आपकी ये रचना जितनी बार पढो, अच्छा लगता है। बचपन की याद दिलाती हुई। बहुत दिन से नई पोस्ट नहीं डाली आपने, इंतजार है।

Satish Saxena ने कहा…

काश यह सपना पूरा हो जाए ! ! शुभकामनायें आपको !

Asha Joglekar ने कहा…

पूनम जी आप ब्लॉग वापसी पर अभिनन्दन । बचपन के दिन तो होते ही ऐसे हैं कि हर कोई चाहता है उन दिनों में लौटना चाहे कुछ देर के लिये ही सही ।

Ravi Rajbhar ने कहा…

Bahut hi sunder chitran kiya hi bachpan ka....!

ye o waqt hi jo life me dubara kabhi nahi ata..... sach me abhi-2 to ham bachpan se nikale hi par fir se bachcha ban jane ko jee chahta hai.

umda prastuti ke liye badhai swikare.

sm ने कहा…

beautiful poem
childhood everyone loves

Admin ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रसतुति chhotawriters.blogspot.com

amit kumar srivastava ने कहा…

bachpan to bas bachpan...

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर भाव वाचक गेय बाल गीत .

Satish Saxena ने कहा…

इनकी मस्ती के क्या कहने ....शुभकामनायें आपको !

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

दुनियादारी बचपन को खत्म कर देती है...

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

aadarniy mahendra ji
aapke blog par maine kitni baar post kiya par aapka blog khulta hi nahi .kya karan hai ,samajh nahi pa rahi hun .
kripya koi sujhav den ki kaise aapka blog khulega
dhanyvaad
poonam

Alpana Verma अल्पना वर्मा ने कहा…

कविता तो बहुत ही सुन्दर लिखी है.
@और हाँ, आज आप की प्रकाशित पुस्तकों के बारे में जाना ,बहुत खुशी हुई.बहुत बहुत बधाई ओर शुभकामनाएँ.

mridula pradhan ने कहा…

wah.....kya bachpan ko lakar dikhaya hai.

Urmi ने कहा…

मेरे खानामसाला ब्लॉग एवं अन्य ब्लॉग पर आकर टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए शुक्रिया!

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुंदर,
बधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

neelima garg ने कहा…

so innocent & interesting..

संजय भास्‍कर ने कहा…

बचपन कि याद दिला गयी आपकी कविता