रविवार, 10 मई 2015

तुम याद बहुत आती हो मां---।

तुम याद बहुत आती हो मां
तुम याद बहुत आती हो मां---।

बचपन में तुम थपकी दे कर
मुझको रोज सुलाती मां
अब नींद नहीं आने पर
तेरी याद बहुत आती है मां।

पग-पग पर तेरी उंगली थाम के
चलना हमने सीखा था मां
थक जाते थे जब चलते चलते
आंचल की छांव बिठाती थी मां।

तन पर कोई घाव लगे जब
झट मलहम बन जाती थी मां
मन की चोट न लगने देती
प्यार इतना बरसाती थी मां।

वो सारी बातें सारी यादें
अक्सर हमें रुलाती हैं मां
जो ज्ञान दिया तुमने हमको
वो हमको राह दिखाता मां।

कोई दिवस विशेष नहीं पर
हर पल तुम संग में रहती मां
हमसाया बन कर साथ हमारे
दिल में हर पल तुम बसती मां।

तुम याद बहुत आती हो मां
तुम याद बहुत आती हो मां---।
000
पूनम श्रीवास्तव





7 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

माँ जैसा और कोई मिलता भी नहीं दुनिया में ..तभी तो वह जीवन भर साथ निभाती है .. ... दुनिया में रहकर और बाद में भी ..
सुन्दर

मन के - मनके ने कहा…

भावमई रचना,जैसे मां की ममता.

अभिषेक शुक्ल ने कहा…

बेहतरीन।

रचना दीक्षित ने कहा…

क्या कहूँ ...बस तुम याद बहुत आती हो माँ

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें. कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

बेनामी ने कहा…

तुम याद बहुत आती हो मां

Satish Saxena ने कहा…

वाह !