सोमवार, 15 जून 2009

दिल-ए-दास्ताँ


दिल के हाल का क्या कहिये
जब दिल ये अपना रहा नहीं।

नजरें तो चुरा गईं दिल मेरा
पर उनकी इनायत रही नहीं।

उनके सितम का क्या कहिये
जब करम अपनों पर रहा नहीं।
आंखों से अश्क बहाते रहे
पर दिल उनका पिघला ही नहीं।

यूं आंख मिचौली खेली बहुत
अब इतने बेगैरत हम भी नहीं।

आखिर हम भी तो इन्सां हैं
पत्थर ही सही न मोम सही।

आयेंगे दर पर बार-बार वो
हम भी उनसे कम तो नहीं।
==========
पूनम

15 टिप्‍पणियां:

sajal ने कहा…

bas thek thaak rachna hai...isse bahut behtar ho sakti hai...vichaar achhe shabd sanyojan itna sateek nahi


www.pyasasajal.blogspot.com

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर रचना के लिए,
पूनम जी को बधाई।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह क्या बात लिखी है............... हम किसी से कम नहीं............. उनके दर पर आते रहेंगे, अच्छी से भावों को उतारा है इस रचना में

Alpana Verma ने कहा…

इस बार अलग रंग में रची है आप की यह रचना.
भाव बहुत अच्छे हैं कुछ शेर बहुत अच्छे लिखे हैं ..

[मगर इन्हें थोडा और तुक्बद्नी में लिखा होता तो सोने पर सुहागा वाली बात होती कहने का अर्थ है कि या इसे एक ग़ज़ल बनाया जा सकता है अगर ग़ज़ल की व्याकरण को प्रयोग किया जाये..या फिर शब्दों के संयोजन में थोडा बदलाव कर के इन्हीं भावों seबहुत अच्छा गीत भी बन सकता है..]

Vinay ने कहा…

आपने बख़ूबी जज़्बात बयाँ किये हैं

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

सुन्दर गजल..
प्यार को और उससे जुडी बैटन को बहुत गहराई से व्यक्त करती हुई....लाजवाब...............

Science Bloggers Association ने कहा…

दिल की बातों को आपने बखूबी गजल में पिरो दिया है। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

satish kundan ने कहा…

मन को भा गई आपकी रचना...ऐसे ही लिखते रहें और हम आपकी रचना का लुफ्त उठाते रहेंगे...मैंने भी एक नई रचना डाली है आपका स्वागत है..

cartoonist anurag ने कहा…

BADHAI........
bahut hi sunder rachna hai....

M Verma ने कहा…

आयेंगे दर पर बार-बार वो
हम भी उनसे कम तो नहीं।
आत्मविश्वास ऎसी कि विश्वास न हो. बहुत खूब

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

i agree with alpana varma....
भाव बहुत अच्छे हैं कुछ शेर बहुत अच्छे लिखे हैं ..

[मगर इन्हें थोडा और तुकबन्दी में लिखा होता तो सोने पर सुहागा वाली बात होती|कहने का अर्थ है कि इसे एक ग़ज़ल बनाया जा सकता है,अगर ग़ज़ल की व्याकरण को प्रयोग किया जाये..या फिर शब्दों के संयोजन में थोडा बदलाव कर के इन्हीं भावों से बहुत अच्छा गीत भी बन सकता है..]

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

बख़ूबी जज़्बात बयाँ किये हैं!!!

Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत ओर शानदार रचना लिखा है आपने!

Parul kanani ने कहा…

umda lekhni...!!

k.r. billore ने कहा…

lajawwb andaaj hai aapka, kuch der ke liye jajbaati ho gaye hum padhkar,,,,,,kamana, mumbai,