रविवार, 13 दिसंबर 2009

अहसास


अहसास ही जिन्दगी है
और जिन्दगी को हर तरह से
जीना ही जीवन है।

जीवन से जुड़ती हैं यादें
बहुत सी बातें
उनमें भी होती है
एक बात खास
जो जुड़ी होती है
जिन्दगी के साथ
जिसके बिना कोई पल भी
आपके लिये है कोरी किताब
वो है जीवन का ही दूसरा रूप
जिसे हम कहते हैं अहसास।

जब तक श्वांस है
वो हर वक्त दिलाती है अहसास
सुख हो
दुख हो
जीवन हो
मरण हो
हंसना रोना हो
रिश्ते नाते निभाना हो
इन सब बातों का हमें
अनुभव कराती है
ये जिन्दगी
यानि अहसास।

क्योंकि
अहसास ही तो जीवन है
अहसास यदि नहीं है तो
फ़िर आपकी
जिन्दगी है बेकार
किसी बात का
अगर हमें नहीं अहसास
तो फ़िर हम
बन जाते हैं जिन्दा लाश।

जो होते हैं
निष्क्रिय बेजान
जिनके जीने का
कोई मकसद नहीं
जिनका होना न होना
कोई मायने नहीं रखता
और इस तरह से
एक दिन वो भी आता है
ये जिन्दगी भी हो जाती है खत्म
पर खत्म नहीं होता अहसास
क्योंकि
वो लोगों के बीच में
छोड़ जाता है अहसास
अपने होने या
न होने का।
००००

पूनम

23 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

behtareen kavita...........

baanch kar achha laga !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा है अगर कोई भी एहसास नही है जीवन में तो जीवन एक मशीन की तरह है ....... बहुत लाजवाब रचना है .........

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

वृहदारण्यक में ऋषि कहते हैं कि वे अपने बाद भी अपनी संतति के अहसास से जीते हैं!
शायद ऐसी ही रचना हो वृहदारण्यक!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

एहसास के बिना जीवन ही कहाँ...बहुत भावपूर्ण रचना..बधाई

समयचक्र ने कहा…

सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति .. अच्छी रचना ...

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत भावपूर्ण व सुन्दर रचना है। बधाई।

मनोज कुमार ने कहा…

एक दिन वो भी आता है
ये जिन्दगी भी हो जाती है खत्म
पर खत्म नहीं होता अहसास

रचना अच्छी लगी।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

जिन्दगी की बेहतरीन परिभाषा दीं हैं आपने!

आशु ने कहा…

पूनम जी,

आप ने अहसास और उस का ज़िन्दगी से जो गहरा रिश्ता होता है उसे ले कर बहुत बेहतरीन
तरीके से उन ख्यालों को अपनी कविता के रूप में ढाला है.

बहुत शानदार परिभाषा दी है आप ने अहसास की.

आशु

Apanatva ने कहा…

bahut saral tareeke se gaharee baat batana koi aapase seekhe .bahut jeevant rachana.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

गहरी अनुभूतियाँ .........बहुत ही अच्छी हैं

Arshia Ali ने कहा…

बहुत ही गहरे एहसासात हैं आपके। हमारी बधाई स्वीकारें।
------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।

लता 'हया' ने कहा…

शुक्रिया ,
यादें ,बच्चे ...वो भयानक दिन .........एक ही झरोखे से झाँकने पर तीन अलग -अलग मंज़र देखने को मिले ; बच्चे ...मन को छू गयी ,वो दिन रूह को और याद ज़हन को .
.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ये एहसास न होते तो हम पत्थर होते ....

शायद किसी गहरे एहसास से जुड़ने के बाद लिखी है ये रचना .....!!

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर एहसास हैं कविता मे । एहसास हैं तभी दुनिया चल रही है वर्ना सब कुछ पत्थर जैसा था। बधाई

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत भावपूर्ण व सुन्दर रचना है। बधाई।

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बिल्कुल सत्य है कि जीना मरना हंसना रोना इन सब का अहसास यह जिन्दगी कराती रहती है ।अहसास अगर नही तो वह लाश ही है "" वह लाश थी तभी तैरती रही /डूबने के लिये जिन्दगी चाहिये"" ।अहसास का ही नाम जिन्दगी है । यह एक दम नई और गहरी बात है कि जिन्दगी समाप्त होने के बाद भी अहसास मौजूद रहता है उन लोगों मे जिनके बीच हम कभी रहे थे

शशिभूषण ने कहा…

अच्छी रचना है.

श्याम जुनेजा ने कहा…

aap theek kahti hain ahsas hi jeevan hai lekin ahsason ki bhi ek yatra hai inhein crude se refine hona hota hai rishton ke bandhan se nikal kar smagr manvta ko apne dayre mein lena hota hai sankuchit se vyapak hona hota hai vyashthi se samashti tak fail jana hota hai
ye sukhad hai ki aap jeevan ko lekar likh rahi hain aur gambheerta ke sath likh rahi hain ..keep on.. with best wishes

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

Wahwa...achhi kavita...

dweepanter ने कहा…

अहसास ही जिन्दगी है
और जिन्दगी को हर तरह से
जीना ही जीवन है....


बहुत सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।

pls visit...
http://dweepanter.blogspot.com

sandhyagupta ने कहा…

Ek samucha darshan chupa hai is rachna me.Shubkamnayen.

निर्झर'नीर ने कहा…

क्योंकि
वो लोगों के बीच में
छोड़ जाता है अहसास
अपने होने या
न होने का।

सत्य ..सुन्दर प्रस्तुति