बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

बन जाओ अफ़साना


तुम गीत गज़ल बन करके

मेरे सपनों में आना

मैं शब्द शब्द बन जाऊंगी

तुम बनना नया तराना।

मैं सुर संगम बन जाऊंगी

तुम तान सुरीली गाना

मैं मधुर कण्ठ से गाऊंगी

तुम लयबद्ध हो जाना।

मैं प्रेम मग्न हो जाऊंगी

तुम भी साथ निभाना

मैं बनूंगी मीरा राधा

तुम कृष्ण मेरे बन जाना।

मैं बनूंगी शृंगार का प्याला

तुम उसमें डूब जाना

मैं बनूंगी तुम्हारी शमा

तुम बन जाना परवाना।

मैं नहीं बनूंगी ऐसी शमा

अकेले ही जल जाऊं

वादा है इक तुमसे

तुम मेरे संग जल जाना।

तब देखेगी ये दुनिया

जोड़ी ये गीत गज़ल की

हम भी बन जायेंगे फ़िर

एक नया अफ़साना।

000

पूनम

42 टिप्‍पणियां:

सूबेदार ने कहा…

बहुत सुन्दर एक भाव पूर्ण अभिब्यक्ति ,आपकी सुन्दर रचना मीरा की याद दिलाती हुई कविता क़े लिए -----हार्दिक बधाई.

Anamikaghatak ने कहा…

achchi kavita padhane ke liye bahut bahut dhanyavad........shringar ras se ot prot ye kavita

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मैं बनूंगी मीरा राधा
तुम कृष्ण मेरे बन जाना............
हम भी बन जायेंगें फिर एक नया अफसाना.......... बहुत ही सुंदर
काश..... बस ऐसा ही हो...... पूनम जी सुंदर प्रस्तुति....

कडुवासच ने कहा…

...bahut sundar ... behatreen !

आशीष मिश्रा ने कहा…

तुम गीत गज़ल बन करके

मेरे सपनों में आना

मैं शब्द शब्द बन जाऊंगी

बहोत ही भाव पूर्ण प्रस्तुति

Alpana Verma ने कहा…

'मैं बनूंगी मीरा राधा

तुम कृष्ण मेरे बन जाना।'
-मीरा भी और राधा भी..बहुत सुन्दर भाव हैं.
प्रेमरस में सराबोर सुन्दर रचना.

रानीविशाल ने कहा…

Bahut bhavpurna prastuti .....dhanywaad.

सदा ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ भावमय प्रस्‍तुति ।

Satish Saxena ने कहा…

अपने प्यार के प्रति अनुराग की बढ़िया अभिव्यक्ति मगर प्यार से मनुहार क्यों ...?

Akanksha Yadav ने कहा…

बड़ा खूबसूरत अफसाना....बधाई.


__________________________
"शब्द-शिखर' पर जयंती पर दुर्गा भाभी का पुनीत स्मरण...

संजय भास्‍कर ने कहा…

पूनम जी सुंदर प्रस्तुति....

SATYA ने कहा…

बहुत सुन्‍दर प्रस्‍तुति.

यहाँ भी पधारें:-
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में

समयचक्र ने कहा…

तुम गीत गज़ल बन करके
मेरे सपनों में आना
मैं शब्द शब्द बन जाऊंगी
तुम बनना नया तराना

बहुत सुन्दर प्रस्तुति....आभार

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

मैं शब्द शब्द बन जाउंगी
तुम बनना नया तराना

सुकोमल भावों को लेकर रची गई मनमोहक रचना...बधाई

shikha varshney ने कहा…

मैं शब्द शब्द बन जाउंगी
तुम बनना नया तराना

वाह ..बेहद खूबसूरत ख्याल.

RAJWANT RAJ ने कहा…

prem ki prakashtha me sntulan ki jgh ko bhut khoobsoorti se ukera hai aapne .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रेम के कुछ मधुर भाव लिए है आपकी रचना पूनम जी .... जीवन यूँ ही बीतता रहे तो कितना अच्छा है ...

rashmi ravija ने कहा…

मैं नहीं बनूंगी ऐसी शमा अकेले ही जल जाऊं
वादा है इक तुमसे तुम मेरे संग जल जाना।

क्या बात है...बहुत खूब
एकदम प्रेममयी रचना...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

मन के तारों को झंकृत कर गयी कविता।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

waah... waah... sundar...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत भावप्रवण गीत ...

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत रचना है ये तो.
आपकी लेखनी का ही जादू है यह.....
.यूँ ही लिखते रहे...
मेरे ब्लॉग इस बार मेरी रचना ...
स्त्री

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ..बार -२ पढने को मन करता है.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

प्रेम की पराकाष्ठा है यह कविता.. एक दूसरे में समकर मैं और तुम का भेद मिटाती रचना.. पूनम जी जितनी तारीफ की जाए इस रचना की उतनी कम है!!

hem pandey ने कहा…

तुम गीत गज़ल बन करके

मेरे सपनों में आना

मैं शब्द शब्द बन जाऊंगी
तुम बनना नया तराना।

-इन पंक्तियों ने विशेष प्रभावित किया |

ZEAL ने कहा…

तुम गीत गज़ल बन करके

मेरे सपनों में आना

मैं शब्द शब्द बन जाऊंगी

तुम बनना नया तराना।

मैं सुर संगम बन जाऊंगी

wah waah waah !....poonam ji...shaandaar prastuti.

.

मनोज कुमार ने कहा…

शब्द सामर्थ्य, भाव-सम्प्रेषण, संगीतात्मकता, लयात्मकता की दृष्टि से कविता अत्युत्तम हैं। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
मध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

शरद कोकास ने कहा…

सुन्दर

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ भावमय प्रस्‍तुति

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Bahut hi shandar aur prabhavshali abhivyakti---.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

आप की रचना 08 अक्टूबर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com/2010/10/300.html



आभार

अनामिका

Apanatva ने कहा…

bahut sunder bhav liye bahut hee bhavuk pyaree rachana.......

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत कोमल अभिव्यक्ति!!

अंजना ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति....

नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

सपन विक्रम सिंह (SAPAN VIKRAM SINGH) ने कहा…

प्यारी कविता, शब्दों का अद्भुत इंद्रजाल.
हार्दिक बधाई...........

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर
आपको और आपके परिवार को नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ

निर्मला कपिला ने कहा…

मैं शब्द शब्द बन जाऊंगी

तुम बनना नया तराना।

मैं सुर संगम बन जाऊंगी

तुम तान सुरीली गाना
वाह बहुत सुन्दर। बधाई।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है, आनन्द आ गया।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मैं नहीं बनूंगी ऐसी शमा
अकेले ही जल जाऊं

इसमें वर्तमान प्रेम की झलक है

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.

कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com पर कृपया नई पोस्ट देखें

Kailash Sharma ने कहा…

मैं नहीं बनूंगी ऐसी शमा

अकेले ही जल जाऊं

वादा है इक तुमसे

तुम मेरे संग जल जाना।.....

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना...बहुत सुन्दर....आभार...

बेनामी ने कहा…

mere blog mein is baar...
सुनहरी यादें ....

Anand Rathore ने कहा…

हम भी बन जायेंगें फिर एक नया अफसाना.,, bahut khoob