हम तो तेरे दिल से उतर जाएँगे ऐसे,
जैसे जिल्द पुरानी किताबों से उतर जाती है,
ये तो सोचा ही न था.
थाम के हाथ हम तो चले सीधी डगर,
राह में नागफनियाँ भी बहुत होती हैं,
ये तो सोचा ही न था.
आंख से आंसू जो टपके तो बने मोती,
ऐसी बातें तो ख्वाबों में ही होती हैं हकीकत में नहीं,
ये तो सोचा ही न था.
कल था क्या और आज हुआ क्या है,
पल ही पल में तकदीर बदल जाती है,
ये तो सोचा ही न था.
०००००००००
पूनम
33 टिप्पणियां:
बहुत खूब कविता जी धन्यवाद,
विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई
बदलते देर नहीं होती। चाहे वह रिश्ते हों या तक़दीर! बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोsस्तु ते॥
विजयादशमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
काव्यशास्त्र
4.5/10
शुरूआती पंक्तियाँ आकर्षित करती हैं
किन्तु रचना सही तरह बांधती नहीं
सुन्दर प्रयास
आखो से आसू टपक जाते तो मोती हो जाते
क्या पक्ति लिखी है आपने बहुत सुन्दर गहराई तक उतर जाने वाली कबिता मैंने आज देर तक पढता रह बहुत अच्छा लगा
एक गंभीर, भाव भारी कबिता क़े लिया --धन्यवाद
विजय दशमी पर बहुत सारी शुभकामनाये.
जीवन में कितना कुछ आता है बिना सोचा, अन्जाना।
हम तो तेरे दिल से उतर जाएँगे ऐसे,
जैसे जिल्द पुरानी किताबों से उतर जाती है,
ये तो सोचा ही न था.
सुंदर रचना बधाई
superb.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
पूनम जी! आपकी रचनाओं में एक नवीनता होती है... यहाँ भी कुछ ऐसा ही दिखाई देता है. अगर इंसान का सोचा हो जाए तो भगवान, तक़दीर, सन्योग जैसे शब्द खोखले हो जाएंगे!! अच्छी रचना!
Sundar rachna...Man ke bhav ka bahut hi khoobsurat prastutikarn.
VIKAS PANDEY
www.vicharokadarpan.blogspot.com
सुंदर रचना बधाई|
आंख से आंसू जो टपके तो बने मोती,
ऐसी बातें तो ख्वाबों में ही होती हैं हकीकत में नहीं,
ये तो सोचा ही न था.
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हाँ पूनमजी ऐसी बातें तो हकीकत में नहीं होती...... दशहरे के पर्व की शुभकामनाएं
कल था क्या और आज क्या हुआ है
पल हीपल में तक़दीर बदल जाती है।
गहरी अनुभूतियां सार्थक शब्दों में बदल गई हैं...बधाई।
सोचा हुआ हो जाये तो क्या कहने
सुन्दर रचना
सच में आज कल हर पल तक़दीर बदल जाती है..कोई अछानक से जिन्दी में आता है और अछानक से दूर चला जाता है...
ज़िन्दगी अधूरी है तुम्हारे बिना.. ....
कविता अच्छी है पूनम जी !
विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई
... behatreen rachanaa !!!
सब कुछ परिवर्तनीय है . अच्छी कविता . आभार
bahut khoobsurt
mahnat safal hui
yu hi likhate raho aapko padhana acha lagata hai.
"कल था क्या और आज हुआ क्या है,
पल ही पल में तकदीर बदल जाती है,
ये तो सोचा ही न था."
ये सोचने का समय ही कहाँ देती है
सुंदर रचना
इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
कृपया जरूर आएँ...
सुनहरी यादें ....
हम तो तेरे दिल से उतर जाएँगे ऐसे,
जैसे जिल्द पुरानी किताबों से उतर जाती है,
ये तो सोचा ही न था.
खूबसूरती से भावों को अभिव्यक्त किया है
बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति..
बिना सोचे ही क्या क्या हो जाता है....
बहुत खूब!!
बहुत खूबसूरत
poonam acchee prastuti..........
par real life me aise anubhavo se sakshatkar kabhee bhee na ho isee duaa ke sath
sarita dee
is soch ka hisab rakhna hi to mushkil hai..gud one!
आंख से आंसू जो टपके तो बने मोती,
ऐसी बातें तो ख्वाबों में ही होती हैं हकीकत में नहीं,
ये तो सोचा ही न था.
bahut hi badhiyaa
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ! बधाई !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com
waah !..kya baat hai !
पुरानी कितावों से जिल्द उतर जाने की उपमा श्रेष्ठ बहुत पहले किसी ने कहा था जैसे सूखे हुये फूल कितावों में मिलें ।बिलकुल सत्य ही तो है स्वप्न मे ंही ऐसा संभव है कि आंख के आंसू मोती बन जाये ।देखतेदेखते तक्दीर बदल जाना भी सत्य है। एक अच्छी कविता
हम तो तेरे दिल से उतर जाएँगे ऐसे,
जैसे जिल्द पुरानी किताबों से उतर जाती है,
ये तो सोचा ही न था...kya baat hai.
कहन में सादगी को सलाम.
वैसे मैं तो सलाह दूंगा की:-
गीत कहने के लिए दर्द को पाले रखिये
जिल्द वल्लाह किताबों की संभाले रखिये.
कुँवर कुसुमेश
ज़िन्दगी मे वही तो याद रहता है जो सोचा नही होता मगर घट जाता है। अच्छी लगी आपकी कविता। शुभकामनायें।
हम तो तेरे दिल से उतर जाएँगे ऐसे,
जैसे जिल्द पुरानी किताबों से उतर जाती है,..
वाह .. क्या बात लिख दी है आपने ...
अक्सर कभी कभी ऐसा होता है ....
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