शनिवार, 5 मार्च 2011

चींटी की कोशिश






चींटी
चढ़ी पहाड़ पर


फ़िसलती गिरती बार-बार

जितना ही वो कोशिश करती

आ गिरती नीचे धाड़-धाड़ ।


दूर से देख रहा था बंदर

बैठा बैठा डाल पर

देख को चींटी को बेहाल

तरसा उसके हाल पर।


बोला ज़ोर से-ओ नन्हीं चींटी

क्यों करती कोशिश खाली पीली

गिर गयी जो तू नीचे

बचेगी ना फ़िर हड्डी पसली।


चढ़ना छोड़ पहाड़ पे तू

ये तेरे बस की बात नहीं

पहाड़ पे यूँ ही चढ़ जाना

इतना है आसान नहीं।


चींटी बोली –“बंदर भैया

क्यों मेरी हिम्मत गिराते हो?

कोशिश से ही मिलती मंज़िल

क्या तुम ये नहीं जानते हो?


बंदर बोला-कर लो कर लो

कोशिश चाहे लाखों बार

हाथ ना आयेगी मंज़िल

चाहे आज़मा लो फ़िर एक बार।


सुन चींटी को आया जोश

बोली अब तो ज़रूर चढ़ूँगी

चाहे जां चली ही जाये

चढ़ कर ही मैं दम लूँगी।


आखिर कोशिश दम लाई

चींटी खुशी से चिल्लाई

चढ़ी पहाड़,मैं जीत गयी

देख लिया बंदर भाई!


बंदर ने खुश हो दी बधाई

बात पते की तूने बताई

कोशिश नहीं जाती बेकार

समझ में मेरे अब आयी।

पूनम

28 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर सीख भरी कविता।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर कविता पूनमजी ..... बच्चों बड़ों सबको सार्थक सीख देती.......

Sunil Kumar ने कहा…

bachhon hi nahi badon ko bhi shiksha deti hui rachna , badhai

Deepak Saini ने कहा…

achchhi seekh bhari kavita
badhai

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर सीख.... लेकिन आलसी लोगो को यह बात अच्छी नही लगती, उन्हे पोंगा पडितो के चरण ही अच्छॆ लगते हे, ओर उम्र भर कर्मो को रोते हे,
धन्यवाद इस सुंदर विचार के लिये

Unknown ने कहा…

पूनमजी
बहुत सुंदर सीख,सार्थक कविता

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

अच्छी बात बताती कविता .....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

प्रेरक और सुन्दर कनिता!

रचना दीक्षित ने कहा…

शिक्षाप्रद कविता. बहुत सुंदर.

Minoo Bhagia ने कहा…

bahut sunder

OM KASHYAP ने कहा…

सुंदर सन्देश देती बढ़िया प्रस्तुती.
इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।

केवल राम ने कहा…

बंदर ने खुश हो दी बधाई
“बात पते की तूने बताई
कोशिश नहीं जाती बेकार
समझ में मेरे अब आयी।”

प्रेरनादायी पंक्तियाँ ....जीवन संघर्ष का नाम है

ashish ने कहा…

प्रेरित करती पंक्तियाँ , जीवन में ना रुकने की शिक्षा , आनंदित हुए पढ़कर . आभार .

रश्मि प्रभा... ने कहा…

चींटी बोली –“बंदर भैया

क्यों मेरी हिम्मत गिराते हो?

कोशिश से ही मिलती मंज़िल

क्या तुम ये नहीं जानते हो?”
...........shabash chinti rani, aur dekho tum jeet gai

mridula pradhan ने कहा…

prerna denewali kavita hai.

Mithilesh dubey ने कहा…

सुंदर सन्देश देती बढ़िया प्रस्तुती.
इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।..........................

Ravi Rajbhar ने कहा…

Kya Bat hai Mam,
Kin shabdo se tarif karu is atulya rachna ki samjh me nahi aata.

Bas Dil me baith gai ...
sabko bahar kar.....

Mai ek CA student hun... hamare agal bagal bhi bahut se bandar rahten hain...Mujhe chinti ko apna guru banana padega :)

Thanks
n
Abhar ki aapne etani sunder rachna ham sabse banta.
Apne swasth ka dhyan rakhiye.
aur ati-sighra swasth ho jaiye..!

Ravi Rajbhar

Unknown ने कहा…

I like it.....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता ... बाल कविता है पर कभी कभी बड़ों को भी इसकी जरूरत होती है ...

Udan Tashtari ने कहा…

प्रेरक रचना.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

जिन्दगी का सबक सिखाती सुन्देर कविता.

संतोष पाण्डेय ने कहा…

बात पते की बताई.सुंदर सन्देश

Shekhar Suman ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन सीख देती कविता....
ये सीख ज़िन्दगी भर याद रहने चाहिए, मेहनत ही जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता है...
क्या आप भी अपने आपको इन नेताओं से बेहतर समझते हैं ???

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

पुनम जी! प्रेरणादायक रचना!

ज्योति सिंह ने कहा…

कोशिश से ही मिलती मंज़िल

क्या तुम ये नहीं जानते हो?”
bilkul satya ,mahila divas ki badhai aapko .

Patali-The-Village ने कहा…

सुन्दर सीख भरी कविता। धन्यवाद|

रमेश शर्मा ने कहा…

gaagar me saagar si kawita
badhai

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर सीख,सार्थक कविता