बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

अभियान गीत



मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं

तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।

चलो चलें विजय के गीत साथ ले

मंजिलों से दूर हैं ये काफ़िले

काफ़िलों को एक नया मार्ग दो

एक नई उमंग एक विचार दो।

अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां

सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां

इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो

क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।

आदमी क्यूं आदमी को डस रहा

हर शहर क्यूं लाश से है पट रहा

आदमी के हर ज़हर निकालकर

इक नये समाज को तुम नींव दो।

मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं

तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।

000

पूनम

42 टिप्‍पणियां:

Sunil Kumar ने कहा…

पूनम जी, आज तो आपके रचना बहुत ओजपूर्ण है विश्वास से भरी क्या बात है बधाई

केवल राम ने कहा…

अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।

ओजपूर्ण भावों और नयी आशाओं का संगम है आपकी यह रचना ...आपका आभार

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर रचना बढिया पोस्ट मुझे अच्छी लगी.बधाई ....

Roshi ने कहा…

sandesh deti rachna...........

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

ओजस्वी कविता है पूनम जी. बधाई.

Satish Saxena ने कहा…

बहुत खूब ....
आभार अच्छी रचना के लिए !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत ओजस्वी रचना ... यह अभियान शुरू होना चाहिए

रचना दीक्षित ने कहा…

अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।

पूनम जी बहुत सुंदर भावपूर्ण देशप्रेम के प्रति समर्पित गीत जो एक सही सन्देश भी दे रहा है. बहुत बधाई.

shikha varshney ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत ओज से भरा हुआ.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

युग का उत्साह जगाता हुआ गीत।

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना ,बधाई.

Manvi ने कहा…

जोशीला अभियान गीत है। बहुत बढिया रचना।

Ravi Rajbhar ने कहा…

Sadar Pradam Poonam G,
sach kahu to aj ki rachna ka to koi jabab hi nahi.

अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।
bhawporn prastuti ke liye badhai.

आशा बिष्ट ने कहा…

apke likhe shabd pad kar rakt snchar doguni gati se ho raha hai....

ojpurn prastuti.....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आदमी के हर ज़हर निकालकर

इक नये समाज को तुम नींव दो।



मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं

तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।... kitni sundar baat kahi hai...aameen

सदा ने कहा…

मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो

बहुत ही खूबसूरत से अहसास लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति .

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर पूनम जी,
क्या कहने

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपका पोस्ट अच्छा लगा । धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

ऐसे गीत अब कहाँ सुनाई देते हैं... सचमुच अफसोस होता है यह देखकर कि समाज की ऐसी हालत हो गयी है... क्या यही समाज हम सौंपेंगे आने वाली पीढ़ी को!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
सुना है बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!

विभूति" ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर और मनोहर गीत !

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ojasvi rachna. bahut bahut badhayi is sunder rachna k liye.

aur deepawali ki shubhkaamnaye apko aur apke pariwar ko.

संगीता पुरी ने कहा…

आदमी के हर ज़हर निकालकर

इक नये समाज को तुम नींव दो।

मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं

तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।

बहुत सटीक !!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

पूनम जी,मेरे पोस्ट में आकार जो मेरा हौसला बढाया दिल से सुक्रिया,आभार मेरा दूसरा ब्लॉग
dheerendra11 देखे......

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

bahut sundar...

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मुसुराहटों को गीत और गीत को रूप - क्या परस्पर सामंजस्य है! सुन्दर।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ओज़स्वी .... आशावान गीत ... विश्वास भरी रचना है ... लाजवाब रचना है ...

Rachana ने कहा…

मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं

तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
sunder kavita josh bhari
rachana

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक दिल से शुभकामनाएं

Satish Saxena ने कहा…

दीपावली पर आपको और परिवार को हार्दिक शुभकामनायें !

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत ओजपूर्ण और प्रेरक प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

Minoo Bhagia ने कहा…

deepawlai ki hardik shubhkammayein poonam , khush raho

Rakesh Kumar ने कहा…

वाह! आपकी प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर
ओजपूर्ण है.सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.


पूनम जी,आपके व आपके समस्त परिवार के स्वास्थ्य की सुख समृद्धि की मंगलकामना करता हूँ. मैं यह दुआ करता हूँ कि आप अपने सुन्दर
सद् लेखन से ब्लॉग जगत को हमेशा हमेशा
आलोकित करती रहें.

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है,

प्रेम सरोवर ने कहा…

मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
बहुत सुंदर । धन्यवाद ।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

शुभकामनाएँ,

SAJAN.AAWARA ने कहा…

dil me josh jagati rachna ...
bahut hi badhiya likha hai mam apne....
jai hind jai bharat

Arti ने कहा…

Very nice post. Inspiring indeed.
Wish you a belated Happy Diwali and a Joyful New Year:)

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई..

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदमी के हर ज़हर निकालकर इक नये समाज को तुम नींव दो
प्रेरक प्रस्तुति......विश्वास भरी रचना

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com