मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
चलो चलें विजय के गीत साथ ले
मंजिलों से दूर हैं ये काफ़िले
काफ़िलों को एक नया मार्ग दो
एक नई उमंग एक विचार दो।
अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।
आदमी क्यूं आदमी को डस रहा
हर शहर क्यूं लाश से है पट रहा
आदमी के हर ज़हर निकालकर
इक नये समाज को तुम नींव दो।
मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
000
पूनम
42 टिप्पणियां:
पूनम जी, आज तो आपके रचना बहुत ओजपूर्ण है विश्वास से भरी क्या बात है बधाई
अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।
ओजपूर्ण भावों और नयी आशाओं का संगम है आपकी यह रचना ...आपका आभार
सुंदर रचना बढिया पोस्ट मुझे अच्छी लगी.बधाई ....
sandesh deti rachna...........
ओजस्वी कविता है पूनम जी. बधाई.
बहुत खूब ....
आभार अच्छी रचना के लिए !
बहुत ओजस्वी रचना ... यह अभियान शुरू होना चाहिए
अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।
पूनम जी बहुत सुंदर भावपूर्ण देशप्रेम के प्रति समर्पित गीत जो एक सही सन्देश भी दे रहा है. बहुत बधाई.
वाह बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत ओज से भरा हुआ.
युग का उत्साह जगाता हुआ गीत।
बहुत सुन्दर रचना ,बधाई.
जोशीला अभियान गीत है। बहुत बढिया रचना।
Sadar Pradam Poonam G,
sach kahu to aj ki rachna ka to koi jabab hi nahi.
अन्धकार छा रहा है क्यूं यहां
सत्य लड़खड़ा रहा है क्यूं यहां
इक प्रकाश पुंज तुम बिखेरे दो
क्रान्ति गीत है नया ये छेड़ दो।
bhawporn prastuti ke liye badhai.
apke likhe shabd pad kar rakt snchar doguni gati se ho raha hai....
ojpurn prastuti.....
आदमी के हर ज़हर निकालकर
इक नये समाज को तुम नींव दो।
मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।... kitni sundar baat kahi hai...aameen
मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो
बहुत ही खूबसूरत से अहसास लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
सुन्दर प्रस्तुति .
बहुत सुंदर पूनम जी,
क्या कहने
आपका पोस्ट अच्छा लगा । धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है ।
ऐसे गीत अब कहाँ सुनाई देते हैं... सचमुच अफसोस होता है यह देखकर कि समाज की ऐसी हालत हो गयी है... क्या यही समाज हम सौंपेंगे आने वाली पीढ़ी को!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
सुना है बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!
बहुत ही सुन्दर रचना....
बहुत सुन्दर और मनोहर गीत !
ojasvi rachna. bahut bahut badhayi is sunder rachna k liye.
aur deepawali ki shubhkaamnaye apko aur apke pariwar ko.
आदमी के हर ज़हर निकालकर
इक नये समाज को तुम नींव दो।
मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
बहुत सटीक !!
पूनम जी,मेरे पोस्ट में आकार जो मेरा हौसला बढाया दिल से सुक्रिया,आभार मेरा दूसरा ब्लॉग
dheerendra11 देखे......
bahut sundar...
मुसुराहटों को गीत और गीत को रूप - क्या परस्पर सामंजस्य है! सुन्दर।
ओज़स्वी .... आशावान गीत ... विश्वास भरी रचना है ... लाजवाब रचना है ...
मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
sunder kavita josh bhari
rachana
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक दिल से शुभकामनाएं
दीपावली पर आपको और परिवार को हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत ओजपूर्ण और प्रेरक प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
deepawlai ki hardik shubhkammayein poonam , khush raho
वाह! आपकी प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर
ओजपूर्ण है.सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
पूनम जी,आपके व आपके समस्त परिवार के स्वास्थ्य की सुख समृद्धि की मंगलकामना करता हूँ. मैं यह दुआ करता हूँ कि आप अपने सुन्दर
सद् लेखन से ब्लॉग जगत को हमेशा हमेशा
आलोकित करती रहें.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है,
मैं तुम्हारी मुस्कुराहटों को गीत दूं
तुम हमारे गीत के सुरों को रूप दो।
बहुत सुंदर । धन्यवाद ।
शुभकामनाएँ,
dil me josh jagati rachna ...
bahut hi badhiya likha hai mam apne....
jai hind jai bharat
Very nice post. Inspiring indeed.
Wish you a belated Happy Diwali and a Joyful New Year:)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई..
आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
आदमी के हर ज़हर निकालकर इक नये समाज को तुम नींव दो
प्रेरक प्रस्तुति......विश्वास भरी रचना
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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