शनिवार, 18 जनवरी 2014

जिन्दगी----।

कहते हैं जिसे जिन्दगी उस जिन्दगी को ढूंढते हैं।
पोंछते हैं अश्कों को जीने का बहाना ढूंढ़ते हैं॥

खामोश है जुबान पर दिल ये रोता है।
कांटों भरी डगर पर हंसने का बहाना ढूंढ़ते हैं।।

थाम ले कोई हाथ जिस राह से भी गुजरे हम।
हम सफ़र मिल जाय सफ़र का बहाना ढूंढ़ते हैं॥

चाहत हर किसी की होती नहीं पूरी फ़िर भी
कोशिश का बहाना,खुदा के पास ढूंढ़ते हैं।।
000
पूनम


8 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...

आप सभी लोगो का मैं अपने ब्लॉग पर स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप सभी मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...

From : •٠• Education Portal •٠•
Latest Post : •٠• General Knowledge 006 •٠•

kuldeep thakur ने कहा…

***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक 20/01/2014 को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।


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प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, बहुत सुन्दर..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही लाजवाब ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह ! बेहतरीन लाजबाब गजल ...!

RECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.

कौशल लाल ने कहा…

वाह.. बहुत सुन्दर..

Bhavana Lalwani ने कहा…

bahut achhi lagi isliye apne fb page pe share kar rahi hun ye link ...

कविता रावत ने कहा…

चाहत हर किसी की होती नहीं पूरी फ़िर भी
कोशिश का बहाना,खुदा के पास ढूंढ़ते हैं।।
...बहुत सही ..ऊपर वाले पर भरोसा कर उसे पुकारना ही पड़ता है ...