काली
कोट में लाल गुलाब,
चाचा
तुमको करते याद,
बाल
दिवस हम संग मनायें,
बस
इतनी सुन लो फ़रियाद।
बचपन
क्यों अब रूठा रहता,
हर
बच्चा क्यों रोता रहता,
आओ
चाचा नेहरू आओ,
सारे
जहां को तुम बतलाओ।
खेल
खिलौने साथ छीन कर,
क्यूं
सब हमें रुलाते हैं,
भारी
बस्तों और किताबों,
में
हमको उलझाते हैं।
क्या
हमने कुछ गलत किया है,
जिसकी
हमको सजा मिली है,
प्यारे
थे सब बच्चे तुमको,
सुन
लो इनकी ये फ़रियाद।
आओ
चाचा नेहरू आओ,
जन्म
दिवस हम संग मनाओ।
000
पूनम
श्रीवास्तव
7 टिप्पणियां:
Sunder Balgeet
बाल दिवस पर चाचा नेहरू को याद कर वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सार्थक प्रस्तुति ..
बाल दिवस की शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (15-11-2014) को "मासूम किलकारी" {चर्चा - 1798} पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
बालदिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....बहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूं।
खेल खिलौने साथ छीन कर,
क्यूं सब हमें रुलाते हैं,
भारी बस्तों और किताबों,
में हमको उलझाते हैं।
sahi swal hai ..aaj ki siksha pranali ne bachcho ka bachapan chhin liya hai umda rachna
इसको खा के तो अग्नि देव का भी पेट ख़राब हो गया होगा....
इसको खा के तो अग्नि देव का भी पेट ख़राब हो गया होगा....
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