चंदा
मामा दिन बहुत हुए
बात
न तुमसे होती है
आज
और कल करते करते
मुलाकात
न तुमसे होती है।
मां
भी रोज बुलाती तुमको
दूध
और भात खिलाने को
लुका
छिपी खेलो बदली संग
पर
नाम न लेते आने का।
रूठे
रूठे क्यों लगते मुझसे
इतना
तो बतला ही दो
हो
गई हो गर गलती कोई
तो
माफ़ी मुझको दे ही दो।
हंस
कर बोले चंदा मामा
है
सूरज के घर मेरी दावत
साथ
साथ खेलेंगे कल हम
धमा
चौकड़ी खूब करेंगे।
चंदा
मामा दिन बहुत हुए
बात
न तुमसे होती है।
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पूनम
श्रीवास्तव
2 टिप्पणियां:
बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !
बढ़िया
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