रविवार, 9 अगस्त 2015

चंदा मामा

चंदा मामा दिन बहुत हुए
बात न तुमसे होती है
आज और कल करते करते
मुलाकात न तुमसे होती है।


मां भी रोज बुलाती तुमको
दूध और भात खिलाने को
लुका छिपी खेलो बदली संग
पर नाम न लेते आने का।

रूठे रूठे क्यों लगते मुझसे
इतना तो बतला ही दो
हो गई हो गर गलती कोई
तो माफ़ी मुझको दे ही दो।

हंस कर बोले चंदा मामा
है सूरज के घर मेरी दावत
साथ साथ खेलेंगे कल हम
धमा चौकड़ी खूब करेंगे।

चंदा मामा दिन बहुत हुए
बात न तुमसे होती है।
000
पूनम श्रीवास्तव


2 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !

बेनामी ने कहा…

बढ़िया