बुधवार, 26 अगस्त 2015

पापा ऐसी कुर्ती ला दो

पापा जी ऐसी कुर्ती ला दो
जिसमें कलफ़ लगी कालर हो
झिलमिल झिलमिल तारों वाली
लटकी उसमें झालर हो।

पहन के कुर्ती को जब
मैं निकलूंगा घर से बाहर
देख के मुझको लोग कहेंगे
लगता प्यारा है राजकुवंर।


बैठूंगा मै फ़िर घोड़ी पर
साथ चलेंगे बाजे गाजे
परी लाऊंगा परी लोक से
जो हो सुन्दर सबसे ज्यादा।।
पापा ऐसी कुर्ती ला दो-----------।
000
पूनम श्रीवास्तव





6 टिप्‍पणियां:

अभिषेक शुक्ल ने कहा…

बहुत प्यारी कविता....गुलाबी सी अभिव्यक्ति।

रचना दीक्षित ने कहा…

सुंदर रचना. रक्षाबंधन की शुभकामनायें.

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया रचना

Satish Saxena ने कहा…

वाह , बहुत सुन्दर रचना ! मंगलकामनाएं कलम को !

Shanti Garg ने कहा…

सुन्दर व सार्थक रचना ..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत सुंदर गीत ।