बात न पूछो आजादी के मस्तानों की
दीवानों की नादानों की परवानों की।
जो बचपन में ही कूद पड़े
क्रान्ति की अलख जगाने में
वो टूट पड़े थे फ़ूट पड़े थे
आजाद हिन्द को करने को
जां की परवाह न की
जिन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी
पल पल जीते रहे वो
हरदम आजाद देश को करने को।
फ़ूट पड़ी थी ज्वाला
जब क्रान्ति की पूरी तरह
परवान पे थी।
हर मां के जवानों ने अपनी
जान भारत माता के नाम
कर दी थी।
फ़िर भी सबक न लिया हमने
ना दर्द को हमने जरा भी समझा
जिस दर्द को तिल तिल
सहते हुये उन्होंने अपनी
कुर्बानी दे दी थी।
आओ भारत के सपूतों
सुन लो
अभी समय नहीं बीता है
ये राजनीति ये कूटनीति
ये सामाजिक अत्याचार
से भी हम निपट लें तो
उनको थोड़ी सी सच्ची
श्रद्धांजली हो जाएगी।
हर साल आता है पन्द्रह अगस्त
आ के चला फ़िर जाता है
वो भी देखता पलट पलट कर
भारत माता से
किसका कितना नाता है।
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पूनम श्रीवास्तव
4 टिप्पणियां:
सुंदर गीत.
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें आपको.
दिनांक 17/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
बढ़िया गीत ।
बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति
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