चल पड़े बाराती लेकर
अपने बंदर मामा
शेरवानी पहनी थी ऊपर
नीचे था पाजामा।
आगे आगे चले बाराती
पीछे मामा जी की कार
धूम धड़ाका बैण्ड बाजा
बजता रहता बार बार।
नाचते गाते चली बारात
पहुंची बंदरिया के द्वार
स्वागत हुआ सभी लोगों का
पूरा हुआ उनका व्यवहार।
जब आई जयमाल की बारी
बंदरिया थी छोटी गोरी
सोचे कैसे माला डालूं
लाल हुये थे गाल।
मामा ने देखा मामी को
चिंता से थी बेहाल
लगा जम्प बंदर मामा ने
डाल दिया वरमाल।
000
पूनम श्रीवास्तव
7 टिप्पणियां:
mazedar ........
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बहुत रोचक बाल गीत ...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-08-2015) को "समस्याओं के चक्रव्यूह में देश" (चर्चा अंक-2076) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-08-2015) को "समस्याओं के चक्रव्यूह में देश" (चर्चा अंक-2076) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ये शादी तो अच्छी हो गई.
सुंदर कविता.
छोटी सी बंदरिया की शादी, प्यारी सी बंदरिया की शादी।
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