कुछ इस तरह से आइना
पलट के देखती हूँ बार बार
शायद किसी तरह उनका
दीदार हो जाय।
बेरुखी हवाओं से
कहती हूँ बार बार
कुछ इस तरह बहो
की बहार आ जाय।
दूर तक नजरें उठा के
सोचती हूँ बार बार
की चिलमन गिरने से पहले
वो नजर आ जाय।
आंखों से बहे अश्कों को
पोंछती हूँ बार बार
शायद खुशी का
कोई पैगाम आ जाय।
क़दमों की आहट पर
भागती हूँ बार बार
आ गये हों शायद वो
अब इंतजार ख़त्म हो जाय।
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पलट के देखती हूँ बार बार
शायद किसी तरह उनका
दीदार हो जाय।
बेरुखी हवाओं से
कहती हूँ बार बार
कुछ इस तरह बहो
की बहार आ जाय।
दूर तक नजरें उठा के
सोचती हूँ बार बार
की चिलमन गिरने से पहले
वो नजर आ जाय।
आंखों से बहे अश्कों को
पोंछती हूँ बार बार
शायद खुशी का
कोई पैगाम आ जाय।
क़दमों की आहट पर
भागती हूँ बार बार
आ गये हों शायद वो
अब इंतजार ख़त्म हो जाय।
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पूनम
8 टिप्पणियां:
आप भी लखनऊ से हम भी लखनऊ से आपकी रचनाएँ पढ़ने में बहुत मज़ा आ रहा है।
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
सरकारी नौकरियाँ
बेरुखी हवाओं से
कहती हूँ बार बार
कुछ इस तरह बहो
की बहार आ जाय।
waah ! bahut achchee rachna hai Poonam ji.
sach kahun aap ke blog par aa kar mujhey bhi achcha lga.
mere blog par aap aayin...bahut khushi hui..sach kahun..bahut apni si lagin aap.shukriya.
बेरुखी हवाओं से
कहती हूँ बार बार
कुछ इस तरह बहो
की बहार आ जाय।
सुन्दर रचना, बहुत खूब.
धन्यवाद
आंखों से बहे अश्कों को
पोंछती हूँ बार बार
शायद खुशी का
कोई पैगाम आ जाय।
......खुशियों ने दस्तक दी है,इंतज़ार ख़त्म हुआ है........देखिये तो बाहर,उजाला ही उजाला है
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ..पूनम जी ..आपकी रचनाएँ एकदम अलग हट कर हैं .
मेरी यादों को अपने दिल में बसाये रहिए।
मानिन्द-ए-ख्वाब अपने दिल में सजाये रहिए।
इक न दिन वो तुमसे मिलने आयेंगे-
प्यार की राह को खुशगवार बनाये रहिए
मन में रखिए आस,
नज़र वो आएँगे!
मन की बगिया में,
बहार बन छाएँगे!
आँखों को सपने,
खुशियों के भाएँगे!
इंतज़ार पूरा होगा,
सपने सज जाएँगे!
jeene naheen detaa
ye kambakht "shaayad".
aashaaon kee dor hai
ye kambakht "shaayad".
shaayad kisee mod par,
mil hee jaayen koyee aur,
yah bhee hai ek raastaa,
chaahe koee jo, shaayad.
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