रविवार, 17 मई 2009

मन पाखी


मन तुम तो पाखी बन कर
उड़ जाते हो दूर गगन तक
पल भर में ही हो आते हो
सात समुन्दर पार तक।

पल में यहां और पल में वहां
हर क्षण जगह बदलते हो
क्या कोई तुम्हारा एक ठिकाना
बना नहीं है अब तक।

हर पल तुम तो विचरा करते
चैन न लेने देते हो
जैसे भटकता कोई राही
मिले न मंजिल जब तक।

सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।
00000000
पूनम

14 टिप्‍पणियां:

neha shefali ने कहा…

आदरणीय पूनम मैम,
आपकी कवितायेँ पढी मैने....आप सच में बहुत ही अच्छा लिखती हैं.
आपकी कविता माँ मन को छू गयी .और मन पाखी भी अपने में एक मास्टरपीस
है.मेरी बधाई स्वीकारें .......
माही

रश्मि प्रभा... ने कहा…

सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक....बहुत सुन्दर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मन को किसने बाँधा है,
मन तो आजाद परिन्दा है।
पल में यहाँ वहाँ उड़ जाना,
इसका गोरखधन्धा है।

Vinay ने कहा…

bahut sundar kavita hai, badhaai ho!

vijay kumar sappatti ने कहा…

namaskar poonam ji ,

bahut hi acchi kavita ....
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक...
ye lines to ultimate hai .. man ko chooti hui likhi hai aapne ..
dil se badhai sweekar karen..

meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..

http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html


aapka

vijay

Alpana Verma ने कहा…

सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।

बहुत ही सुन्दर रचना पूनम जी.
मन तो सच में उडता पन्छी ही है...कहां कोई बान्ध पायेगा..

मोना परसाई ने कहा…

सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।
bhla man bhi koi bandh paya hae.sundar rachna.

Priyanka Singh ने कहा…

मन तुम तो पाखी बन कर
उड़ जाते हो दूर गगन तक
पल भर में ही हो आते हो
सात समुन्दर पार तक।

kitna sach hai...nice

satish kundan ने कहा…

सहज भाव...सुन्दर अभिव्यक्ति!सच में मन को बांधना आसान नहीं....कभी मेरे ब्लॉग पर आयें आपका स्वागत है

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

बहुत ही अच्छा और गहेरा लिखा एक अलग ही अनुभूति हुई ये रचना पढ़कर .......
अक्षय-मन

sandhyagupta ने कहा…

Saral shabdon me gehri baat kahi aapne.Badhai.

Urmi ने कहा…

लाजवाब और उम्दा रचना के लिए बहुत बहुत बधाई!

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

मेरी बधाई स्वीकारें .......