मन तुम तो पाखी बन कर
उड़ जाते हो दूर गगन तक
पल भर में ही हो आते हो
सात समुन्दर पार तक।
पल में यहां और पल में वहां
हर क्षण जगह बदलते हो
क्या कोई तुम्हारा एक ठिकाना
बना नहीं है अब तक।
हर पल तुम तो विचरा करते
चैन न लेने देते हो
जैसे भटकता कोई राही
मिले न मंजिल जब तक।
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।
00000000
पूनम
उड़ जाते हो दूर गगन तक
पल भर में ही हो आते हो
सात समुन्दर पार तक।
पल में यहां और पल में वहां
हर क्षण जगह बदलते हो
क्या कोई तुम्हारा एक ठिकाना
बना नहीं है अब तक।
हर पल तुम तो विचरा करते
चैन न लेने देते हो
जैसे भटकता कोई राही
मिले न मंजिल जब तक।
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।
00000000
पूनम
14 टिप्पणियां:
आदरणीय पूनम मैम,
आपकी कवितायेँ पढी मैने....आप सच में बहुत ही अच्छा लिखती हैं.
आपकी कविता माँ मन को छू गयी .और मन पाखी भी अपने में एक मास्टरपीस
है.मेरी बधाई स्वीकारें .......
माही
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक....बहुत सुन्दर
मन को किसने बाँधा है,
मन तो आजाद परिन्दा है।
पल में यहाँ वहाँ उड़ जाना,
इसका गोरखधन्धा है।
bahut sundar kavita hai, badhaai ho!
namaskar poonam ji ,
bahut hi acchi kavita ....
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक...
ye lines to ultimate hai .. man ko chooti hui likhi hai aapne ..
dil se badhai sweekar karen..
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
vijay
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।
बहुत ही सुन्दर रचना पूनम जी.
मन तो सच में उडता पन्छी ही है...कहां कोई बान्ध पायेगा..
सोचूं तुमको बंधन में बांधूं
पर कैसे और कहां तक
तुम ऐसे परवाज़ हो जिसको
बांध सका ना कोई अब तक।
bhla man bhi koi bandh paya hae.sundar rachna.
मन तुम तो पाखी बन कर
उड़ जाते हो दूर गगन तक
पल भर में ही हो आते हो
सात समुन्दर पार तक।
kitna sach hai...nice
सहज भाव...सुन्दर अभिव्यक्ति!सच में मन को बांधना आसान नहीं....कभी मेरे ब्लॉग पर आयें आपका स्वागत है
बहुत ही अच्छा और गहेरा लिखा एक अलग ही अनुभूति हुई ये रचना पढ़कर .......
अक्षय-मन
Saral shabdon me gehri baat kahi aapne.Badhai.
लाजवाब और उम्दा रचना के लिए बहुत बहुत बधाई!
मेरी बधाई स्वीकारें .......
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