ख्वाब देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुम्हारे पांवों को ढंक सके चादर इतना तो देखो।
अपने से ऊपर देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुमसे नीचे भी कोई है इतना तो देखो।
एक चींटी भी कोशिश से चढ़ती है पहाड़ इतना देखो
कुछ पाने के लिये हिम्मत है जरूरी इतना तो देखो।
अच्छा बीज ही बनता बेहतर पौधा इतना देखो
अच्छे कर्मों से ही होता है बड़ा इन्सां इतना तो देखो।
यदि चाहत है तो उंचाई तक पहुंचोगे जरूर इतना तो देखो
पांव टिके हैं जमीं पर कितने इतना तो देखो।
एक माचिस की लौ भी दूर करती है अंधेरा इतना तो देखो
बन के देश के दीपक रौशनी दे सकते सबको इतना तो देखो।
********
पूनम
तुम्हारे पांवों को ढंक सके चादर इतना तो देखो।
अपने से ऊपर देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुमसे नीचे भी कोई है इतना तो देखो।
एक चींटी भी कोशिश से चढ़ती है पहाड़ इतना देखो
कुछ पाने के लिये हिम्मत है जरूरी इतना तो देखो।
अच्छा बीज ही बनता बेहतर पौधा इतना देखो
अच्छे कर्मों से ही होता है बड़ा इन्सां इतना तो देखो।
यदि चाहत है तो उंचाई तक पहुंचोगे जरूर इतना तो देखो
पांव टिके हैं जमीं पर कितने इतना तो देखो।
एक माचिस की लौ भी दूर करती है अंधेरा इतना तो देखो
बन के देश के दीपक रौशनी दे सकते सबको इतना तो देखो।
********
पूनम
24 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर रचना !!
वाह बहुत खुब, बेहद भाव पुर्ण रचना। बधाई
बढ़िया भाव!
अपने से ऊपर देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुमसे नीचे भी कोई है इतना तो देखो।
बेहतरीन भाव -- बेहतरीन अभिव्यक्ति
बेहतर । आभार।
पूनम जी।
सुन्दर भावों से सजी रचना के लिए बधाई!
sunder bhav se bani sunder rachana,bahut khub
बहुत अच्छी रचना और भाव बधाई आपको।
सुन्दर विचारो से भारी पडी है आपकी कविता.....जो जीवन को सफलता की पाठ पढा रही है .......बेहद खुब्सूरत रचना के लिये बहुत बहुत बधाई.
आशा और विशवास भरती सुन्दर रचना ...........
यदि चाहत है तो उंचाई तक पहुंचोगे जरूर इतना तो देखो
पांव टिके हैं जमीं पर कितने इतना तो देखो।
waah waah!
bahut khoob Poonam ji,
is gazal ka to har sher hi ek seekh aur hosla deta hua hai..
Sakaratmak bhaav liye hue bahut achchee rachna.
aap bahut bhavpoorn likhti hain
ek lucknowites ki tippadi pakar achcha laga.....aur aapki rachna wakai jaandaar hai
shukria.u r welcomed ,aati rahiye,aapki dhroharon ki pukaar sunene yogya hai.har har hinustaani ke liye.
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने और साथ में तस्वीर भी बहुत सुंदर है!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
अपने से ऊपर देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुमसे नीचे भी कोई है इतना तो देखो।
पूनम जी बहुत सारगर्भित रचना है...मेरी बधाई स्वीकार करें
नीरज
ख्वाब देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुम्हारे पांवों को ढंक सके चादर इतना तो देखो।
pahli pankti ne hi speechless kar diya......
Ultimate kavita hai aapki.......
bahut khoobsurat abhivyakti....prernadaayak rachna...badhai
बहुत ही प्रेरक रचना |
यदि चाहत है तो उंचाई तक पहुंचोगे जरूर इतना तो देखो
पांव टिके हैं जमीं पर कितने इतना तो देखो।
बहुत ही सुन्दर लिखा है पूनम जी. हर शेर खूबसूरत बना पड़ा है. बधाई.
बहुत सुन्दर भाव!
अपने से ऊपर देखो तो जरूर पर इतना देखो
तुमसे नीचे भी कोई है इतना तो देखो।
karuna aur santulan
एक माचिस की लौ भी दूर करती है अंधेरा इतना तो देखो
बन के देश के दीपक रौशनी दे सकते सबको इतना तो
desh bhaktee ke zazbe ko salam
waah ...bahut hi achha likha aapne..
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