इस शहर में हम अजनबी हैं
जाने पहचाने से चेहरे हैं फ़िर भी
हर पल में लगता ये और ही कोई है।
इस शहर में-----------------।
बेमतलब यहां पे तो कुछ भी नहीं है
ऐसा हो शायद ही इन्सान कोई
यहां जो मतलबी नहीं है
इस शहर में-------------------।
है खून का रिश्ता जिससे भी जिसका
वक्त पड़ने पे देखा
बदल रक्त की रंगत ही गई है।
इस शहर में ----------------।
दुश्मनी होती नहीं किससे किसीकी
खुरच दे उसे जिल्द पुरानी समझ के
फ़िर चढ़ा दे कवर दोस्ती की नई सी।
इस शहर में ---------------------।
जाना पहचाना या हो वो बेगाना
पहले हम इन्सां हैं
फ़िर हम कोई हैं
इस शहर में -------------------।
कभी झांक कर देखो औरों के दिल में
उनमें जो है वो हमारे में भी
क्या लगता है फ़र्क थोड़ा भी कोई है
इस शहर में ---------------।
रंजो सितम से ये दुनिया भरी है
है जीना इसी में और मरना यहीं है
आपस में फ़िर क्यूं यूं ही ठनी है
इस शहर में ---------------।
शहर में ही जब अपने हम अजनबी हैं
तो दुनिया तो फ़िर भी बहुत ही बड़ी है
फ़िर भी हम क्यों अजनबी हैं।
इस शहर में ---------------।
00000000
पूनम
जाने पहचाने से चेहरे हैं फ़िर भी
हर पल में लगता ये और ही कोई है।
इस शहर में-----------------।
बेमतलब यहां पे तो कुछ भी नहीं है
ऐसा हो शायद ही इन्सान कोई
यहां जो मतलबी नहीं है
इस शहर में-------------------।
है खून का रिश्ता जिससे भी जिसका
वक्त पड़ने पे देखा
बदल रक्त की रंगत ही गई है।
इस शहर में ----------------।
दुश्मनी होती नहीं किससे किसीकी
खुरच दे उसे जिल्द पुरानी समझ के
फ़िर चढ़ा दे कवर दोस्ती की नई सी।
इस शहर में ---------------------।
जाना पहचाना या हो वो बेगाना
पहले हम इन्सां हैं
फ़िर हम कोई हैं
इस शहर में -------------------।
कभी झांक कर देखो औरों के दिल में
उनमें जो है वो हमारे में भी
क्या लगता है फ़र्क थोड़ा भी कोई है
इस शहर में ---------------।
रंजो सितम से ये दुनिया भरी है
है जीना इसी में और मरना यहीं है
आपस में फ़िर क्यूं यूं ही ठनी है
इस शहर में ---------------।
शहर में ही जब अपने हम अजनबी हैं
तो दुनिया तो फ़िर भी बहुत ही बड़ी है
फ़िर भी हम क्यों अजनबी हैं।
इस शहर में ---------------।
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पूनम
22 टिप्पणियां:
bahut hi sundar rachana hai .....badhayi
संजय तिवारी ’संजू’ ने कहा…
लेखनी प्रभावित करती है.
संजय तिवारी ’संजू’ जी।
आपको सभी की लेखनी प्रभावित करती है.
मगर मुझे पूनम जी का गीत बहुत अच्छा लगा।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
दुश्मनी होती नहीं किससे किसीकी
खुरच दे उसे जिल्द पुरानी समझ के
फ़िर चढ़ा दे कवर दोस्ती की नई सी।
एकदम सही कहा आपने
आभार पूनम जी के इस बेहतरीन गीत को पढ़वाने के लिए.
पूनम जी को आभार पूनम जी को ही पढ़वाने के लिए. :)
रंजो सितम से ये दुनिया भरी है
है जीना इसी में और मरना यहीं है
आपस में फ़िर क्यूं यूं ही ठनी है
इस शहर में ---------------
सुन्दर गीत
SUNDAR GEET HAI .... INSAAN SAB KE HOTE HUVE BHI AJNABI HO JAATA HAI ..... SUNDAR RACHNA........
क्या बात है बहुत खुब। गजब की अभिव्यक्ति दिखी आपकी इस रचना में। बधाई
बहुत ही सरल,भावभीनी रचना
स्वार्थपरता पर खूबसूरती से लिखा है
,,बधाई
है खून का रिश्ता जिससे भी जिसका
वक्त पड़ने पे देखा
बदल रक्त की रंगत ही गई है।
इस शहर में......।
बेहतरीन । आभार ।
दिल में उतर गयी आपकी सुन्दर रचना
Shayad phir gaon ka rukh karne ki jarurat hai,wapas lautne ki jarurat hai.Shubkamnayen.
तहे दिल तक पहुचे ऐसा लिखती है आप |
बहुत सुन्दर रचना....बेहतरीन गीत को पढ़वाने के लिए बहुत बहुत बधाई....
मतलबपरस्त दुनिया को आईना दिखाती एक अच्छी रचना.
सोचती हूँ पूनम जी,यही हाल रहा तो अगली पीढी कैसी दुनिया देखेगी..क्या शब्दकोश में सहयोग,प्रेम ,रिश्तों के अर्थ बदल जायेंगे?
दुश्मनी होती नहीं किससे किसीकी
खुरच दे उसे जिल्द पुरानी समझ के
फ़िर चढ़ा दे कवर दोस्ती की नई सी।
बहुत ही अच्छी रचना...बधाई स्वीकार करें
नीरज
इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
haqeekat se judi hui ,wakai achchhi rachana hai .
Beautiful!
बहुत अच्छी रचना बन पड़ी है पूनम जी.
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