आज कविता खुद अपनी
दास्तां सुनाने आई है
अपनी जुबान से अपने को
आपका बनाने आई है।
लोग कहते हैं
मुझे पढ़ कर क्या हूं मैं
कोई कहता है कविता
तो दिल की आवाज है
तो कोई उसे महज एक
नजर देखकर समझता
टाइम पास है
किसी के लिये यह सिर्फ़
कोरी बकवास है
तो किसी के लिये
एक कोमल अहसास है।
इल्जाम तो मैं नहीं लगाती
क्योंकि वो मेरा काम नहीं
जो नहीं समझ सके मुझे
उनको भी दोषी कहना ठीक नहीं
क्योंकि मैं तो
एक निश्छल निर्मल और
हकीकत को बयां करने वाली
आपके ही दिल की आवाज हूं।
जो मैं देखती सुनती और
समझती हूं
आपके दिल की धड़कनों से
उसे ही आपके कर कमलों से निकाल कर
एक रचना के रूप में
आपके सम्मुख पेश हो जाती हूं
कोरे कागज पर।
मैं ही तो
महर्षि वाल्मीकि के
मुख से निकला हुआ
पहला छंद हूं
जो क्रौन्च पक्षी के जोड़े को
देख कर अचानक
ही उनके मुख से निकला
और आगे चलकर
अपने अलग अलग रूपों में
सामने आता रहा।
मैं ही सात सुरों के सरगम से
निकलकर
बन जाती हूं
गीत गज़ल कविता या छंद
मैं ही तो वो संगीत हूं
जो आपके दिलों के तार को
छेड़ते हुये
आपके ही दिल से
बाहर निकलती हूं।
मैं आप को भी
यथार्थ से परिचित कराने
के लिये मजबूर हो जाती हूं
क्योंकि जब सब कुछ
देखकर कुछ कर नहीं पाती
तो फ़िर आपके मन में
उमड़ घुमड़ कर
विचलित सी मचलती
हुई रह जाती हूं।
फ़िर खुद न कह कर
आपके
द्वारा कई रूपों में बेनामी
से निकल कर सच्चाई
से सबको रूबरू कराने के लिये
पन्नों पर उतरती जाती हूं
क्योंकि मैं अच्छी या बुरी भी
नहीं हूं
मैं तो सिर्फ़ एक रचना हूं
जो कि आपके दिल की
आवाज हूं
और एक कोमल और स्वच्छ
अहसास भी।
0000
पूनम
24 टिप्पणियां:
सच है कविता दिल से निकली आवाज़ ही होती है ..... पर ये सब भी होती है जो आपने लिखा है इस सुंदर रचना में ...... हर किसी का अपना अपना अंदाज़ है देखने का ........
मैं तो सिर्फ़ एक रचना हूं
जो कि आपके दिल की आवाज हूं
और एक कोमल और स्वच्छ अहसास भी।
वाकई कविता तो कोमल और स्वच्छ अहसास ही तो है
सुन्दर रचना
सुन्दर अन्दाज़ है कविता का
badee acchee rachana , kavita ka udgam shrot prerana sabhee to jeevan se jude hai .bhavo ko vyakt karane ka ek madhyam.........bahut hee sunder prastuti..........
bahut hi shandar prastuti.
बहुत सुंदर भाव .......मानो..ज़ज्बात और कागज़ के बीच का फासला नाप दिया हो ! बहुत बहुत बधाई!
बहुत अच्छी कविता।
बड़ा गहरा चिन्तन है पूनमजी आपकी इस कविता में !यह बिलकुल सत्य है की किसी पर आक्षेप करना कविता का कम नहीं, यदि कविता ने ऐसा किया भी ई तो वो जन जागरण और कुरीतियों के खिलाफ उठाई हुई आवाज़ थी! जिसमे निहित भावनाए बहुत शुद्ध थी ! किन्तु वर्तमान परिपेक्षय में तो कविता के माध्यम से भी स्वार्थ निहित राजनीति होने लगे है !! आपकी यह कविता आपकी इस गहरी सोच और कविता के महात्मय को स्पष्ट कराती है.........बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ! एक नई रचना कल ही लिखी है शायद पसंद आए पड़ियेगा जरुर...
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
सुंदरता से लिखी कविता की कहनी उसकी ज़बानी ...
खूबसूरत रचना...
बहुत गज़ब दिल से निकली आवाज!
bahut khoobsurat jubani hai...jo apne bhavo se jaise bhi kavita ko leta hai use kavita usi roop me dikhti hai..jaise pani me koi rang dalo vo usi rang ka dikhta he..kavita per bhi apne bhavo ka apni socho ka jo rang daal kar ham padhte he usi roop me use grahen karte hai...
acchhi rachna. badhayi.
.बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए....
"आपकी इस कविता को पढ़कर सुख मिला,आनन्द नहीं,सुख के बाद दुख आता है पर आनन्द तो उच्चावस्था है ऐसा मेरा मानना है।
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
"कविता की जुबानी" ने follower बना दिया.
बहुत कुछ उभर आया है कविता में । कविता की जुबानी कविता का बहुत कुछ....बेहतरीन कविता । आभार ।
bahut sundar
कविता आज खुद आपके द्वारा अपने बारे में बता गई....काफी अच्छा लगा....
कविता आज खुद आपके द्वारा अपने बारे में बता गई....काफी अच्छा लगा....
dard ko jubaan mil jaye
kuch aisa hi ehsaas likha hai aapne..
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी के लिए ! उससे भी बड़ी वजह है जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद कहना चाहती हूँ क्यूंकि आपके मन में ये ख्याल आया मुझे लेकर कविता लिखने की और ये मेरे लिए बड़े ही गर्व और सौभाग्य की बात होगी अगर आप मुझे लेकर कविता लिखेंगी! एक बार फिर से दिल से शुक्रियादा करती हूँ!
बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!
सभी के ह्रदय में एक कवी और कविता होती है. भावनाओं का सागर और शब्दों की बाजीगरी सभी के पास नहीं होती.
..सुंदर एहसास.
waah!
yah to apne aap mein niraali kavita hai.
dil ke ahsaas hi to hain kavita..har insaan kavi hi to hai..kuchh shbdon mein bhaav baandh pate hain kuchh nahin...
bahut sundar kavita..
saath diya chitr bhi bahut paasand aaya...jaise dil ki baat kah raha ho...
एक टिप्पणी भेजें