( मैं सबसे पहले सभी पाठकों एव प्रशंसकों से क्षमा चाहती हूं।क्योंकि इधर मैं अपनी मां जी की अस्वस्थता के कारण इलाहाबाद में रही।इसीलिये न ही मैं पाठकों को जवाब ही दे पा रही थी न ही कोई नयी पोस्ट। साईं बाबा की अनुकम्पा से मां जी अब धीरे धीरे स्वस्थ हो रही हैं। अब मेरा मन भी कुछ लिखने पढ़ने में लगेगा।)
कुछ तो ऐसा हो जाता----
जो मन की आंखों को भाता
जिसे देख के रोम रोम
मेरा पुलकित हो जाता।
माझी के गीतों के जैसा
मल्हारी रागों के जैसा
बारिश की फ़ुहारों जैसा
मन को सिंचित कर जाता।
निश्छल बचपन के जैसा
चंचल चितवन के जैसा
बेला के फ़ूलों जैसा
मन बगिया महका जाता।
झिलमिल तारों के जैसा
सागर की सीपों जैसा
आशाओं के दीपक जैसा
जीने की चाह बढ़ा जाता।
0000
पूनम
36 टिप्पणियां:
पूनम जी,बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
ek sahaj chah...bahut achhi rachna .
maa ji puri tarah swasth ho jayen , prarthna hai
waah poonam ji bahut khoob....
वाकई कुछ तो ऐसा हो जाता। बहुत ही सहज ढंग से भावों को चित्रित करती कविता।
सर्वप्रथम परमपिता से प्रार्थना कि आपकी माता जी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें... आपकी कविता जिन कामनाओं को व्यक्त कर रही हैं, यदि हो जाता तो धरतीपर स्वर्ग उतर आता… बहुत अच्छा लगा...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
माँ अब स्वस्थ हैं यह जान कर अच्छा लगा....
वाह! बहुत सुन्दर!
बहुत सुंदर शब्दों.... सुंदर कविता.... माँ अब स्वस्थ हैं यह जान कर अच्छा लगा....
manohari rachna.......nice
माँ अब स्वस्थ हैं यह जान कर अच्छा लगा....
सुन्दर अभिव्यक्ति....हमेशा की तरह...
अच्छी रचना!!
माता जी के शीध्र स्वास्थय लाभ और दीर्घायु होने की कामना!
आपकी अम्मा को मेरा प्रणाम । भगवान करे उनका स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहे ।
खूबसूरत से एहसास...
कुंवर जी,
हमेशा की तरह सुन्दर रचना आपकी माँ के स्वास्थ्य के लिये कामना करती हूँ कि वो जस्ल्द से ठीक हों और हमे आपकी रचनायें पढने को मिलें धन्यवाद्
bahut sundar bhaavavyakti..........aapki maa jald poorna swasth ho jaayein yahi ishwar se kaamna hai.
परम सौन्दर्य से परिपूर्ण काव्य
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गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
आभार इस कविता को प्रस्तुत करने का..अच्छी पोस्ट!
गुलमोहर पर आना के लिए शुक्रिया। हेमन्त जी से दो-तीन बार मुलाकात हुई है लखनऊ में। यह आपका नया परिचय निकला। खुशी हुई। मुलाकात होती रहेगी। शुभकामनाएं।
माफ करें, पहली लाइन इस तरह पढ़ें-गुलमोहर पर आने के लिए शुक्रिया।
MY BEST WISHES FOR HER WELL BEING AND HEALTH!
THE POEM IS BEAUTIFULLY ENCAPSULATED AS USUAL.....
THE PAIN OF SOMETHING MISSING HAS BEEN BROUGHT OUT WELL!
REGARDS,
ASHISH :)
JANIYE....
KYUN HOTA BAADAL BANJAARA.....?
सुन्दर रचना ...
sunder nirmal abhivyakti.
prarthna karti hu aapki maa poorn roop se swasth ho jaye.
bahut sundar.
sadaiv kee bhanti sunder abhivykti..........
पूनमजी ,
बहुत सुंदर ! भावों से परिपूर्ण रचना है ।
यूं तो ताक-झांक की आदत नहीं , लेकिन झरोखा में पहली बार झांक कर बहुत ख़ुशी हुई ।
आप भी मेरे यहां शस्वरं पर आएं ना !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
ब्लॉग जगत में एक झरोखा,
घोर तिमिर में पूनम जैसा।
मातृसेवा से फ़ारिग होकर,
मेरा स्वागत कर जाता।
मेरा मन हर्षित हो जाता।
झिलमिल तारों के जैसा
सागर की सीपों जैसा
आशाओं के दीपक जैसा
जीने की चाह बढ़ा जाता ..
बहुत अच्छा लिखा है ...
आशा है अब माता जी की तबीयत अच्छी होगी ...
सहज शब्दों में बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
माँ के स्वस्थ होने की खबर सुन,हर्ष हुआ
सुन्दर कविता है पूनम जी.
सरल शब्दों में अच्छी कविता ।
माँ जी के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करता हूं ।
मेरी कामना है -
सच में कुछ ऐसा हो जाए!
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आँखों में उदासी क्यों है?
हम भी उड़ते
हँसी का टुकड़ा पाने को!
bahut umda....
बहुत ही प्यारी सी चाह लिए हुए है यह सुन्दर कविता और चित्र भी मोहक है.
माता जी अब स्वस्थ हैं यह जान कर ख़ुशी हुई. बेहतर स्वस्थ्य हेतु उन्हें शुभकामनाएं और मेरा प्रणाम भी पहुंचाएं.
सुन्दर रचना के लिए बधाई !
बहुत सी कवितायेँ पढ़ी आपकी ये कविता बहुत सरल और लयबद्ध लगी भाव हर रचना के बहुत ही सुन्दर होते है आपके
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